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धनबाद शहर की बंद हो गईं ज्यादातर तीसरी आंखें, अब कुछ हुआ तो जज हत्याकांड जैसा नहीं दिखेगा

सरकार के कार्यकाल के दौरान धनबाद शहर में सिटी सर्विलांस के लिए जिला नियंत्रण कक्ष का उद्घाटन 18 अगस्त 2017 को पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल ने किया था। इस दौरान सर्विलांस के लिए लगाए गए कैमरों पर नगर निगम ने करीब 05 करोड़ रुपया खर्च किया था।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:54 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 08:52 PM (IST)
धनबाद शहर की बंद हो गईं ज्यादातर तीसरी आंखें, अब कुछ हुआ तो जज हत्याकांड जैसा नहीं दिखेगा
धनबाद के रणधीर वर्मा चाैक पर लगे सीसीटीवी कैमरे ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। बहुत दिन पहले की बात नहीं है। करीब छह महीने पहले की ही तो घटना है। 28 जुलाई 2021 को धनबाद के रणधीर वर्मा चाैक पर एक आटो ने जज उत्तम आनंद को धक्का मारकर उड़ा दिया। पहले तो लोगों ने सोचा कि यह सड़क दुर्घटना का मामला है। लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज सामने आया तो देश की न्याय व्यवस्था हिल गई। फुटेज में साफ दिख रहा था कि आटो ने जानबूझकर जज को धक्का मारा है जिससे माैत हुई है। इसके बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए सीबीआइ जांच शुरू हुई। लेकिन अब धनबाद में कोई बड़ी धटना होगी तो नहीं पता चलेगा। क्योंकि ज्यादातर सीसीटीवी कैमरे बंद हो चुके हैं।

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2017 में शहर पर नजर रखने के लिए लगाए गए थे 116 सीसीटीवी कैमरे

शहर की हरेक गतिविधि पर नजर रखने के लिए वर्ष 2017 में बड़े धूमधाम से विभिन्न इलाकों में अत्याधुनिक क्लोज सर्किट कैमरों सीसीटीवी को लगाया गया। शुरूआती दिनों में इन कैमरों से सुरक्षा एजेंसियों से लेकर अन्य सरकारी काम काज में काफी मदद भी की। लेकिन समय बीतने के साथ इसके प्रति इसके रख रखाव के लिए जिम्मेवारों ने लापरवाही दिखानी शुरू कर दी। नतीजा यह हुआ है कि आज लगाए गए कुल 116 कैमरों में से अधिकांश ने काम करना बंद कर दिया है। आश्चर्य तो यह कि इन कैमरों के खराब होने की जानकारी इसकी मरम्मत कर सुचारू रखनेवाले विभाग यानि कि धनबाद नगर निगम को भी है। लेकिन इन कैमरों के खराब होने का उनका तर्क भी उनको कटघरे में खड़ा करता दिखता है। रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान धनबाद शहर में सिटी सर्विलांस के लिए जिला नियंत्रण कक्ष का उद्घाटन 18 अगस्त 2017 को पूर्व मेयर शेखर अग्रवाल ने किया था। इस दौरान सर्विलांस के लिए लगाए गए कैमरों पर नगर निगम ने करीब 05 करोड़ रुपया खर्च किया था। जबकि कंट्रोल रूम में बैठ कर इनके द्वारा शहर की मानिटरिंग की जिम्मेवारी जिला पुलिस को दी गई थी।

रखरखाव की जिम्मेदारी जमशेदपुर की एजेंसी को

कैमरों के स्थापना के दौेरान इसके रख रखाव के लिए जमशेदपुर की कंपनी मैपल को अधिकृत किया गया था। जो समय समय पर खराबी को ठीक करने का दावा कर मेँटेनेंस का सालाना भुगतान लेती आ रही है। लेकिन अधिकांश कैमरों के खराब होने की जानकारी होने के बावजूद मैपल कंपनी पर इनको ठीक कराने का दबाव नहीं बना पाने से नगर निगम के अधिकारियों पर अंगुली उठनी शुरू हो गई है।इसी बीच एसएसपी से लेकर अनुमंडल पदाधिकारी तक ने नगर निगम को लिखित में इनके मरम्मत का अनुरोध नगर निगम से किया है। बावजूद निगम के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। जिससे उनकी मंशा पर सवाल उठना लाजिमी है।

नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल

धनबाद नगर निगम के उप नगर आयुक्त राजेश कुमार सिंह का अटपटा जवाब भी निगम की कार्यशैली की पोल ही खोलता दिख रहा है। उनका कहना है कि कभी सड़क खुदाई के कारण तो कभी मोबाइल कंपनी वाले या गैस पाईप लाइन वाले अपना केबल बिछाने के दौरान सीसीटीवी कैमरे के केबल काट देते हैं। इस वजह से कैमरे काम नहीं कर रहे हैं। लेकिन वे उस समय चुप्पी साध लेते हैं, जब उनसे पूछा जाता है कि इसके लिए उन कंपनियों ने निगम से पूर्वानुमति तो ले ही रखी होगी और उसके लिए एक निर्धारित रकम भी निगम कार्यालय में जमा कराया होगा। तो उन जमा कराए गए पैसों से मरम्मत क्यों नहीं की जा रही। इसके अलावा बिना मरम्मत किए ही इसके लिए जिम्मेवार कंपनी को किए जानेवाले भुगतान पर भी वे चुप्पी साध लेना बेहतर समझते हैं। इस सवालों के जवाब नहीं देना भी उनकी गलत मंशा को बताने के लिए पर्याप्त दिख रहा है।


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