CBI Raid on Lalu: हेलो, आई एम लालू प्रसाद यादव फ्राम बिहार...मुझे पीएम से इमिडिएट बात कराएं
लालू यादव और परेशानी दोनों एक दूसरे के पर्याय हो गए है। मुश्किलें है कि लालू का पीछे छोड़ने का नाम नहीं ले रही। सीबीआइ ने एक बार फिर लालू यादव की मुश्किलें बढ़ा दी है। आरआरबी भर्ती मामले में सीबीआइ ने लालू के 17 ठिकानों पर छापेमारी की है।
जागरण संवददाता, दुमका: लालू यादव और परेशानी दोनों एक दूसरे के पर्याय बन गए है। मुश्किलें हैं कि लालू का पीछा नहीं छोड़ रही। सीबीआइ ने एक बार फिर लालू यादव की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया है। आरआरबी भर्ती मामले में सीबीआइ ने लालू के 17 ठिकानों पर छापेमारी की है। छापेमारी चल ही रही है। जांच के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। गौरतलब है कि चारा घोटाला मामल में लालू यादव फिलहाल जेल से जमानत पर रिहा हुए थे। अभी अस्पताल में भर्ती है। आज लालू से ही जुड़ा एक किस्सा सुनाते है।
हमारे केस का गुड़-गोबर कर देगा
दुमका कोषागार से हुए चारा घोटाला मामलों की सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद यादव दो-तीन बार दुमका आए थे। तब उनके दुमका के सर्किट हाउस में ठहरने का इंतजाम होता था। लालू यहां पेशी देने आए तब इसी दौरान केंद्र के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी से फोन पर बातचीत की थी। तब दुमका के सर्किट हाउस में एसटीडी की सुविधा नहीं थी। पीएम से बातचीत करने की मंशा जताने पर यहां से उन्हें किसी निजी बूथ से कांफ्रेस के जरिए बात कराई गई थी। तब उन्होंने फोन पर बात करते हुए अपने अंदाज में कहा था कि- हेलो, आई एम लालू प्रसाद यादव फार्म बिहार। मुझे पीएम से इमिडिएट बात कराएं। इसके बाद पीएम के लाइन पर आते ही लालू प्रसाद ने कहा था कि बाबा, प्रणाम, हम लालू प्रसाद यादव बोल रहे हैं बिहार से। फिर कहा, आप तो हमारे अभिभावक हैं। सुने हैं कि बिहार में राज्यपाल उपेन विश्वास को बनाया जा रहा है। आग्रह है कि उन्हें राज्यपाल नहीं बनाएं अन्यथा वह हमारे केस का गुड़-गोबर कर देगा।
उपेन विश्वास से था छत्तीस का आकड़ा
इसके बाद उन्होंने अपने पार्टी सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह से फोन पर बात की। कहा कि राजद के सभी सांसद तुरंत पीएमओ जाकर पीएम से आग्रह कीजिए। हमारी बात पीएम से हो गई है। उस वक्त बिहार से राजद के 20 सांसद थे जो तुरंत पीएमओ जाकर इस मसले पर पीएम से बातचीत की और बात बन गई थी। बता दें कि चारा घोटाला मामले में लालू प्रसाद यादव को जेल की सलाखों तक पहुंचाने में तत्कालीन सीबीआइ के संयुक्त निदेशक के पद पर रहने वाले उपेन विश्वास की अहम भूमिका थी।