Caste Certificate: झारखंड के निवासियों के लिए खुशखबरी ! अब इस आसान तरीके से निर्गत होगा जाति प्रमाण पत्र
Caste Certificate झारखंड के जिलों और अंचल कार्यालयों में बैठे जिम्मेवार अधिकारी अकर्मण्य हो गए हैं। स्थानीय निवासी जाति और अन्य प्रमाण पत्र निगर्त करने के दाैरान मनमानी करते हैं। इससे विभिन्न प्रमाण पत्र हासिल करने वाले हलकान-परेशान हैं।
जागरण संवाददाता, धनबाद। झारखंड में जाति, आय, आवासीय और विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्रों का निर्माण एक जटिल प्रक्रिया बन गई है। इसे हासिल करने के लिए आवेदनकर्ता अंचल कार्यालयों का चक्कर काटते रहे हैं। अंचल अधिकारी सुनते ही नहीं। अंचल अधिकारी अकर्मण्य और बेलगाम हो गए हैं। वे सुनते ही नहीं। कई अंचल अधिकारी तो प्रमाण पत्र के लिए तमाम कागजात उपलब्ध होने के बावजूद निर्गत नहीं करते हैं। कहते हैं-जहां जाना है जाओ, प्रमाण पत्र नहीं बनेगा। इससे स्कूल-कालेजों में नामांकन लेने वाले अभ्यर्थी काफी परेशान हैं। यह बात झारखंड सरकार तक पहुंची है। इसके बाद मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने जाति प्रमाण पत्र जारी करने में आ रह परेशानियों को निर्देश दूर करने का निर्देश दिया है।
धनबाद समेत राज्य के सभी उपायुक्तों को निर्देश
सूबे के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने जाति प्रमाण पत्र जारी करने में आ रही परेशानियों को दूर करने का निर्देश दिया है। उन्होंने धनबाद समेत सभी जिलों के उपायुक्तों से जाति प्रमाण पत्र के लंबित व निष्पादित मामलों की जानकारी मांगी है। कहा है कि राज्य में बिना खतियान के स्थानीय जांच के आधार पर भी जाति प्रमाण पत्र बनाया जाना है। अंचल कार्यालय से बनाये गये जाति प्रमाणपत्र के आधार पर अभ्यर्थी ऑनलाइन आवेदन करेंगे। उस आवेदन के आधार पर अनुमंडलाधिकारी कार्यालय से जाति प्रमाणपत्र जारी किया जायेगा।
पहले से जारी है दिशा-निर्देश
मुख्य सचिव ने उपायुक्तों से कहा है कि कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग द्वारा इससे संबंधित स्पष्ट आदेश जारी है। खतियान नहीं होने या परिवार के अन्य सदस्यों का पूर्व से प्रमाण पत्र नहीं बनने की वजह से किसी का जाति प्रमाण पत्र लंबित नहीं रहना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में आवेदक के आवेदन की जांच स्थानीय स्तर पर करायी जाये। मुखिया व ग्रामसभा की रिपोर्ट के साथ स्थानीय स्तर पर जांच करा कर जाति प्रमाण पत्र जारी किया जाये। स्थानीय जांच प्रतिवेदन के आधार पर आनलाइन आवेदन किया जा सकता है। इसके बाद अनुमंडलाधिकारी कार्यालय से जाति प्रमाणपत्र जारी किया जायेगा।
तीन तरह के निर्गत किए जाते जाति प्रमाण पत्र
मुख्य ताैर पर तीन तरह के जाति प्रमाण पत्र निर्गत किए जाते हैं। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी। मुख्य सचिव के अनुसार विस्थापित आवेदकों का जाति प्रमाणपत्र वर्तमान पता के आधार पर भी जारी किया जा सकता है। इससे छात्रों को सहूलियत हाेगी।
प्रमाण पत्र नहीं बनने से यह परेशानी
जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण जहां इस जाति के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है, वहीं, शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं को राज्य सरकार द्वारा दी जानेवाली स्कॉलरशिप से भी वंचित रहना पड़ रहा है। झारखंड के किसी भी शैक्षणिक संस्थान में शिक्षा ग्रहण करने व राज्य सरकार द्वारा निकाली गयी किसी भी वैकेंसी में नौकरी के लिए आवेदन के साथ जाति प्रमाण पत्र जरूरी है। राज्य सरकार ने जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की है। लेकिन, इसके जरूरतमंद इस व्यवस्था के पेच में फंस रहे हैं। आवेदक भूमिहीन होने या उसके पास जमीन से कागजात नहीं होने पर स्थिति गंभीर हो जाती है।
प्रज्ञा केंद्रों के माध्यम से आवेदन
प्रज्ञा केंद्रों के माध्यम से जमा किया जानेवाला आवेदन अंचल के कर्मचारी के पास पहुंचता है। जमीन के कागजात नहीं होने पर कर्मचारी उसे रिजेक्ट कर देता है। इसके बाद चप्पल घिस जाने तक भी चक्कर काटने पर सीओ कार्यालय से आवेदक को कोई संतोषजनक जवाब तक नहीं मिलता है। जबकि, भूमिहीनों को जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने विशेष व्यवस्था की है। भूमिहीनों को ग्राम सभा के अनुमोदन या मुखिया व वार्ड पार्षद का अनुशंसा के बाद जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने का नियम है। लेकिन, यह नियम केवल कागजों तक ही सिमट कर रह गया है। ग्रामसभा या मुखिया के अनुमोदन के बाद भी सीओ उसे संतुष्ट नहीं होने की बात कर ज्यादातर आवेदनों को रद्द कर देते हैं।