आज नहीं सहेजा जल तो बचाना मुश्किल होगा कल; 2050 तक बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे धनबाद के लोग, 11 क्षेत्र पहले से ड्राईजोन Dhanbad News
गैर सरकारी अंतरराष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड (उब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की हालिया रिपोर्ट ने धनबाद की चिंता बढ़ा दी है। धनबाद के 11 क्षेत्र पहले से ही ड्राईजोन में शामिल हैं स्टेट ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की रिपोर्ट के अनुसार धनबाद का भूगर्भ जलस्तर 15.7 मीटर नीचे चला गया है।
धनबाद, [आशीष सिंह]। 2050 तक धनबाद में पानी की घनघोर किल्लत होने वाली है। अब अगर हम जल संरक्षण के प्रति नहीं चेते ते आने वाले समय में बूंद बूंद के लिए तरसेंगे। धनबाद के कुछ इलाके पहले से ही ड्राईजोन में हैं और अब गैर सरकारी अंतरराष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड (उब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की हालिया रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। इसने विश्व के 100 ऐसे शहरों की सूची जारी की है जहां 2030 तक पानी संकट बढ़ने वाला है। इसी के समानांतर देश के 28 ऐसे शहरों की भी सूची जारी की है जो रिस्क जोन में आ चुके हैं और 2050 तक यहां पानी की समस्या होने वाली है।
इसमें धनबाद भी शामिल है। इसके अलावा अन्य शहरों में नासिक, जबलपुर, हुबली-धारवाड़, नागपुर, जालंधर, भोपाल, सूरत, दिल्ली, अलीगढ़, लखनऊ, कन्नूर, पुणे, श्रीनगर, कोलकाता, मुंबई, कोझीकोड, विशाखापत्तनम, ठाणे, बड़़ोदरा, राजकोट, कोटा, ग्वालियर, चंडीगढ़, बेंगलुरु, मुंबई, अमृतसर, लुधियाना और अहमदाबाद शामिल है। धनबाद के 11 क्षेत्र ड्राईजोन में पहले से शामिल हैं। स्टेट ग्राउंड वाटर अथॉरिटी की रिपोर्ट पर गौर करें तो धनबाद का भूगर्भ जलस्तर 15.7 मीटर नीचे चला गया है। धनबाद राज्य का दूसरा जिला है, जहां भूगर्भ जलस्तर सबसे कम है। अत्यधिक दोहन और तेजी से विकसित होता कंकरीट का जंगल पानी की कमी में महती भूमिका निभा रहा है।
शहर के कई इलाकों को ड्राई जोन में पहुंचाने में वाटर बॉटलिंग प्लांट का भी हाथ है। जहां बोरिंग का पानी मिलना मुश्किल है, ऐसे इलाकों को ड्राई जोन कहते हैं। आने वाले दिनों में स्थिति और विकराल होने वाली है। आज अगर हमने जल नहीं सहेजा तो कल बचाना मुश्किल हो जाएगा। अपनी कोख में आग को समेटे हुए कोयलांचल की धरती पानी के लिए कराह रही है। यहां के लोग पानी की परेशानी से आए दिन दो-चार हो रहे हैं। यह किसी खास इलाके का मसला नहीं रह गया है, पूरे कोयलांचल की स्थिति ऐसी ही है।
धनबाद और झरिया में भूमिगत जल का अधिक दोहन : सिर्फ धनबाद शहर ही नहीं कई प्रखंड ऐसे हैं, जहां दिन प्रतिदिन पानी की किल्लत हो रही है। केंद्र सरकार की ओर से पानी विहीन प्रखंडों की सूची में वहां की भूमिगत जल की स्थिति को भी बताया गया है। रिपोर्ट के जिले में सबसे अधिक खतरनाक स्थिति धनबाद और झरिया प्रखंड की है। धनबाद और झरिया में भूमिगत जल का काफी दोहन किया गया है। धनबाद में 107.5 फीसद और झरिया में 127 फीसद जल दोहन किया गया। नतीजतन, अब यहां की धरती के अंदर पानी नहीं बचा है। यहां की जमीन पानी विहीन हो गयी है। बाघमारा और तोपचांची की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है। तोपचांची में 98.45 फीसद और बाघमारा में 91.77 फीसद जल दोहन हो चुका है। बलियापुर आंशिक गंभीर की श्रेणी में है, यहां भूजल का 78.1 फीसद दोहन किया गया है।
फैक्ट फाइल
- पिछले वर्ष तक शहरी क्षेत्रों में 12 मीटर पर पानी मिल जाता था।
- अब 15 मीटर पर पानी मिल रहा पानी।
- कोलियरी क्षेत्रों 14 से 15 मीटर में पानी मिल जाता था, अब 17 से 18 मीटर पर मिल रहा पानी।
- अधिकतर बॉटलिंग प्लांट के पास ट्रेड लाइसेंस नहीं।
- पानी की शुद्धता का सर्टिफिकेट भी नहीं।
- फिल्टर करने के बाद 50 से 60 लीटर पानी बहा दिया जाता है।
- पानी में टीडीएस की मात्रा कितनी होनी चाहिए, इसकी जानकारी नही।
ये इलाके हैं ड्राई जोन : बैंकमोड़, धोवाटांड़, टेलीफोन एक्सचेंज रोड, चांदमारी, धनसार, बस्ताकोला, गजुआटांड़, बरमसिया, झरिया, बाघमारा का कोलियरी क्षेत्र, निरसा का कोलियरी क्षेत्र।
शुद्धता के नाम पर दे रहे धोखा: पानी का कारोबार कर रहे बॉटलिंग प्लांट संचालक धनबाद के लोगों को शुद्ध पानी देने के नाम पर धोखा दे रहे हैं। निगम की जांच में इसका खुलासा भी हो चुका है। आरओ लगाकर बोरिंग के पानी को शुद्ध बताकर जार व बोतल में पैक कर लोगों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। पीने के पानी का टीडीएस भी सही नहीं रहता है। बगैर गुणवत्ता रोजाना हजारों गैलन पानी लोगों को पिलाया जा रहा है। नगर विकास विभाग नगर निगम को अवैध रूप से संचालित बॉटलिंग प्लांट पर लगाम लगाने के लिए पत्र जारी कर चुका है। अनाधिकृत रूप से चल रहे बॉटलिंग प्लांट पर कार्रवाई करने तक की बात कही है।
यह वाकई चिंता की बात है। अवैध बोरिंग पर रोक है। जो करता मिलता है उसपर दंडात्मक कार्रवाई भी होती है। अनाधिकृत रूप से चल रहे बॉटलिंग प्लांट की समय-समय पर जांच होती है। अब इसमें पहले से अधिक तेजी लाई जाएगी। जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक भी किया जाएगा, ताकि भूमिगत जल का स्तर बरकरार रहे। -मो. अनीस, कार्यपालक पदाधिकारी नगर निगम।