Lockdown में तीन माह से बस परिचालन ठप; अब सड़कों पर बिना चले चुकाना होगा Road Tax
बस परिवहन पहले से ही कोरोना की मार झेल रहा था। लाकडाउन में बीते तीन महीनें से बसों का परिचालन ठप है। इसके बावजूद भी सरकार इनसे रोड टैक्स वसूलने को तैयार है।यह फैसला तो कंगाली में आटा गिला वाली कहावत को यहां चरित्रार्थ कर रही। June 22
धनबाद, जेएनएन : Lockdown, June 22, पिछले डेढ़ माह से परिवहन व्यवस्था पर लॉकडाउन लगा हुआ है। कोरोना महामारी के कारण अंतर राज्यीय बस सेवा तथा राज्य के अंदर चलने वाले सार्वजनिक परिवहन पर रोक लगी हुई है। सिर्फ ऑटो को जिले में और टैक्सी को जिले से बाहर परिचालन की अनुमति है।
तीन माह से राज्य में लॉकडाउन है। वही 16 मई से जिले भर की बसे बस स्टैंड मैं खड़ी है। भले ही बसें सड़कों पर नहीं उतरी लेकिन बिना चले ही इन बसों का रोड टैक्स चुकाना पड़ेगा। इस बार सरकार रोड टैक्स को लेकर किसी प्रकार की रियायत के मूड में नहीं है।
पिछले वर्ष लॉकडाउन में छह माह के लिए रियायत दी गई थी। बस संचालकों को समय मिलने से थोड़ी राहत मिली थी। लेकिन इस वर्ष ऐसी कोई योजना फिलहाल नहीं है। इस संबंध में बस ओनर एसोसिएशन के संयोजक संजय सिंह ने बताया कि अधिकांश बसें लोन पर होती है। बैंक की तरफ से भी लोन को लेकर काफी दबाव है। लेकिन जब बसें खड़ी है तो उसके रख रखाव, ड्राइवर, कंडक्टर, खलासी का मेहनताना जोड़कर इतना नहीं बचता है, कि बैंकों को पैसा चुकाया जा सके इसके बाद रोड टैक्स और इंश्योरेंस का कर्ज अलग है।
प्रत्येक तिमाही पर 9 हजार का टैक्स
एक बस के लिए प्रत्येक तिमाही 9 हजार रुपए का रोड टैक्स जमा करना पड़ता है। अगर एक तिमाही फेल हुई तो दूसरी तिमाही में 200 प्रतिशत की फाइन के साथ टैक्स जमा करना पड़ता है। इसके अलावा इंश्योरेंस के लिए अलग से प्रति बस कम से कम 24 से 25 हजार रुपए तिमाही जमा करना पड़ता है। बस संचालकों ने सरकार से टैक्स में रियायत की मांग की है।