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करंट लगने से मर गई भैंस तो मालिक एक साल से नहीं जोड़ने दे रहा तार, यहां बिजली फाल्ट होने से जलापूर्ति होती है प्रभावित Dhanbad News

दामोदर हेड वर्क्स जामाडोबा में लगातार बिजली का फाल्ट होने के कारण झरिया एवं पुटकी का जलापूर्ति प्रभावित हो जाती है। दो दिन से यह समस्या फिर बनी हुई है। इससे पहले भी यहां कई बार ऐसा हो चुका है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 08:50 AM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 08:50 AM (IST)
करंट लगने से मर गई भैंस तो मालिक एक साल से नहीं जोड़ने दे रहा तार, यहां बिजली फाल्ट होने से जलापूर्ति होती है प्रभावित Dhanbad News
जैतपुर खटाल में बिजली का तार टूटकर गिर जाने से दो भैंस मर गई थी। (फाइल)

धनबाद, जेएनएन। दामोदर हेड वर्क्स जामाडोबा में लगातार बिजली का फाल्ट होने के कारण झरिया एवं पुटकी का जलापूर्ति प्रभावित हो जाती है। दो दिन से यह समस्या बनी हुई है। इससे पहले भी यहां कई बार ऐसा हो चुका है। एटक माडा के उप महासचिव मो. असलम बताते हैं कि नवंबर 2019 में जैतपुर खटाल में बिजली का तार गिर जाने के कारण दो भैंस मर गई थी। उसके मालिक ने आज तक बिजली तार जोड़ने नहीं दिया। नतीजा यह निकला कि जरा सी बिजली समस्या होने पर जलापूर्ति ठप हो जाती है।

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मो. असलम ने कहा कि इसके बाद वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एल एंड टी के फीडर से माडा को बिजली मिल रही है। हमेशा लो वोल्टेज एवं बिजली की समस्या बनी रहती है। माडा के पास सीधे डीवीसी से बिजली कनेक्शन न होने के कारण खामियाजा लोगों को उठाना पड़ रहा है। इसका सीधा असर झरिया से लेकर केंदुआ-पुटकी तक की लगभग 12 लाख की आबादी पर हो रहा है। इस ओर माडा के किसी पदाधिकारी की तत्परता दिखाई नहीं पड़ती है। माडा एमडी और तकनीकी सदस्य भी चुप्पी साधे हुए हैं।

दो माह पहले डेडीकेटेड लाइन लेने पर बनी थी सहमति: झमाडा (झारखंड खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार) के जामाडोबा और पुटकी संयत्र को सीधे बिजली न मिलने के कारण हर दिन लाखों गैलन पानी बर्बाद होता है। कई दिनों तक जलापूर्ति भी बाधित रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए दो माह पहले माडा ले डीवीसी और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड से सीधे संयंत्र को बिजली आपूर्ति की योजना बनाई थी। माडा ने जेबीवीएनएल को पत्र लिखकर जामाडोबा और पुटकी जल संयत्र को बिजली देने के लिए एक डेडीकेटेड लाइन देने का प्रस्ताव भी दिया।

इस योजना पर लगभग 95 लाख खर्च की होने का अनुमान भी लगाया गया। इसका जिक्र भी इस प्रस्ताव में किया गया था। डेडीकेटेड लाइन हो जाने से बिजली कटने की स्थिति में भी इन दोनों जन संयंत्रों से जलापूर्ति होगी, लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं सका। दरअसल बिजली कटने के बाद एक जल संयंत्र को दोबारा चालू करने में एक से डेढ़ घंटे का समय लग जाता है। इस बीच संयंत्र और पाइपलाइन का पानी बर्बाद हो जाता है। जामाडोबा और पुटकी जल संयंत्र से झरिया से लेकर कतरास तक पानी पहुंचता है। इससे लगभग 12 लाख की आबादी की प्यास बुझती है।

दोनों जल संयंत्रों में निर्बाध बिजली आपूर्ति और पानी की बर्बादी रोकने के लिए एक डेडीकेटेड लाइन की योजना बनाई गई है। जेबीवीएनएल को प्रस्ताव भी भेजा गया है। उम्मीद है कि सकारात्मक पहल होगी। -दिलीप कुमार, एमडी माडा


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