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MGNREGA: टॉप थ्री से ट्वेंटी पर लुढ़का बोकारो, काम नहीं मिलने मजदूरों की बढ़ी परेशानी

मुख्यमंत्री ने सरकार बनने के बाद राज्य में एक साथ पांच योजनाओं को एक साथ लांच किया था। इसका मुख्य उद्देश्य था कि ग्रामीण झारखंड मजबूत हो। इन योजनाओं में नीलांबर-पितांबर जल समृद्धि योजना बिरसा हरित ग्राम योजना वीर शहीद पोटो हो खेल परियोजना तथा दीदी बाड़ी योजना शामिल थी।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 08:58 AM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 08:58 AM (IST)
MGNREGA: टॉप थ्री से ट्वेंटी पर लुढ़का बोकारो, काम नहीं मिलने मजदूरों की बढ़ी परेशानी
मनरेगा में साल में साै दिन रोजगार की गांरटी ( प्रतीकात्मक फोटो)।

बोकारो, जेएनएन। झारखंड के मुख्मंत्री हेमंत सोरेन ने जिन पांच योजनाओं को लेकर गत वर्ष काम प्रारंभ करने का निर्देश दिया था बोकारो जिले के ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी खासकर प्रखंड विकास पदाधिकारी और मनरेगा का काम देखने वाले कर्मचारियों ने उन योजनाओं को पूर्ण करने की बात तो दूर टॉप थ्री में रहने वाले बोकारो जिले को टॉप 20 में पहुंचा दिया है। जिले की हालत यह है कि राज्य की ग्रामीण विकास विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने सभी योजनाओं की प्रगति का प्रतिशत बताते हुए ऑनलाइन बैठक की कार्रवाई सभी जिलों को भेजी है। साथ ही समय रहते इसे पूर्ण कर लिया जाए। हालांकि इसकी समीक्षा बीते दिनों मुख्यमंत्री ने भी किया था , पर जिले के अधिकांश बीडीओ व प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारियों की प्राथमिकता सूची से योजना का कार्यान्वयन गायब हो चुका है। ग्राम रोजगार सेवक से लेकर पंचायत सेवक तक पंचायत भवनों में बैठना छोड़ चुके हैं। जबकि अन्य प्रदेशों में लॉकडाउन के कारण बाहर से मजदूरों का आने का क्रम जारी है । उन्हें यहां काम नहीं मिल रहा है इससे उनकी परेशानी बढ़ गई है। यही नहीं सचिव ने 15 मार्च से 31 मार्च के बीच पूरे राज्य में मनरेगा से सामग्री खरीद के एवज में 200 करोड़ की निकासी को संदेहास्पद मानते हुए जांच करने का भी आदेश दिया है।

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सीएम की पांच योजनाओं की है बूरी स्थिति

राज्य के मुख्यमंत्री ने सरकार बनने के बाद राज्य में एक साथ पांच योजनाओं को एक साथ लांच किया था। इसका मुख्य उद्देश्य था कि ग्रामीण झारखंड मजबूत हो। इन योजनाओं में नीलांबर-पितांबर जल समृद्धि योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना, वीर शहीद पोटो हो खेल परियोजना तथा दीदी बाड़ी योजना शामिल थी। इससे जल संरक्षण, स्वच्छता, वृक्षारोपण, एवं सब्जी उत्पादन से आमदनी सबकुछ समाहित थी। पर जिले में इन योजनाओं पर ढंग से काम करने के बजाय प्रखंड कार्यक्रम समन्वयक से लेकर बीडीओ तक चुप्पी मारकर बैठ गए। और तो और पंचायतों में शोक पीट का निर्माण भी लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुआ। इसका एक कारण यह भी रहा कि जिला स्तर पर भी मॉनिटरिंग नहीं हुई। अब चूंक सभी प्रकार के काम के लिए 30 जून तक का समय है। यदि काम नहीं होता है तो बोकारो लक्ष्य से काफी पीछे रह जाएगा।

  • किस योजना की क्या है जिले की स्थिति कितना हुआ है काम
  • 1. उपरी टांड़ एवं मेढ़बंदी में : 27 प्रतिशत
  • 2. सोक पीट में : : 27 प्रतिशत
  • 3. कपोस्ट पीट के निर्माण में : 16 प्रतिशत
  • 4. खेल मैदान का काम में : 19 प्रतिशत
  • 5. दीदीबाड़ी योजना में : 19 प्रतिशत

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