World Braille Day 2021: दृष्टिबाधित भी पढ़ेंगे कुरान की आयतें, हिंदी में सहेजकर ब्रेल लिपि में लिख रहीं नफीस
नफीस का कहना है कि टाइप करने मात्र से ही कुरान की प्रतियां बाजार में उपलब्ध नहीं हो जाएंगी। टाइप करने से इसकी महज एक प्रति ही उपलब्ध हो सकेगी। कागज पर उभारे गए अक्षर होते हैं। उनको स्पर्श कर नेत्रहीन अक्षर के बारे में समझ जाते हैं।
बोरारो [ राममूॢत प्रसाद ]। कुरान की आयतें पढ़ने में दृष्टिहीनता बाधक न बने, इसके लिए बोकारो जिले के गौसनगर की 32 वर्षीया नफीस तरीन हिंदी भाषियों के लिए ब्रेल लिपि में इसे गढ़ रही हैं। दृष्टिहीन नफीस पेशे से शिक्षिका हैं और अध्यापन का कार्य कर रही हैं। इससे पूर्व उन्होंने तकरीबन तीन वर्ष की मेहनत से 2016 में ब्रेल में हाथ से कुरान लिखी थी। अब वह दृष्टिबाधितों के लिए उसकी आयतें टाइप कर रही हैं। बकौल नफीस, ब्रेल में कुरान तो लिख डाली, परंतु उसकी आयतों को ब्रेल में टाइप करना समस्या थी। फिर इंटरनेट का सहारा लिया। बहुत खोजबीन करने पर पता चला कि जर्मनी में ऐसी टाइपराइटर बनती है, जो ब्रेल लिपि में टाइप कर सकती है। इसके बाद मुंबई स्थित एक टाइपराइटर आपूर्तिकर्ता से अनुरोध कर उसे मंगवाया। लाकडाउन की अवधि में ही उसे टाइप करना शुरू किया। उम्मीद है कि 2021 के अंत तक यह पूरा हो जाएगा।
हाफिज का मिला मार्गदर्शन तो लक्ष्य साधने चल पड़ी
बोकारो स्टील से सेवानिवृत्त नफीस के पिता मुख्तार असलम के अनुसार बचपन से ही दृष्टिहीन नफीस ने ब्रेल लिपि की मदद से 2008 में स्नातक एवं 2010 में बीएड किया। दृष्टिहीनता की वजह से वह कुरान नहीं पढ़ पाती थी। तब उसने ब्रेल लिपि में इसे लिखने की इच्छा प्रकट की। उसकी तमन्ना पूरी करने के लिए उन्होंने नफीस के मार्गदर्शन के लिए हाफिज तस्लीम से संपर्क साधा, जिन्होंने उनका आग्रह स्वीकार कर लिया। इसके बाद नफीस ने 2013 में इस पर काम करना शुरू किया और 2016 में कुरान लिखने का कार्य संपन्न हुआ। इसमें कुल एक हजार पन्ने हैं। लाकडाउन में उसने कई दिनों के लगातार अभ्यास के बाद टाइप करने में दक्षता हासिल की। तस्लीम हर दिन उसके घर आते हैं। वह आयतों का उच्चारण करते हैं और नफीस टाइप करती हैं। फिर टाइप की गई आयतों को वह हाफिज को सुनाती है, ताकि अगर कोई चूक रह जाए तो वह उसे ठीक कर लें।
कॉपीराइट के बाद प्रतियां होंगी तैयार
नफीस का कहना है कि टाइप करने मात्र से ही कुरान की प्रतियां बाजार में उपलब्ध नहीं हो जाएंगी। टाइप करने से इसकी महज एक प्रति ही उपलब्ध हो सकेगी। दरअसल ब्रेल लिपि में कागज पर उभारे गए अक्षर होते हैं। उनको स्पर्श कर नेत्रहीन अक्षर के बारे में समझ जाते हैं। इसे हर प्रकाशक प्रकाशित नहीं कर सकते। लिहाजा इसे दिल्ली या देहरादून के प्रिंटिंग सेंटर में भेजकर हिंदी ब्रेलि लिपि में प्रकाशित कराकर इसकी अन्य प्रतियां तैयार कराई जाएंगी। दुनिया के हर दृष्टिबाधित कुरान पढ़ सके, इसलिए वह इसका कॉपीराइट लेगी।