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Rajendra Prasad Birth Anniversary 2021: देश के प्रथम राष्ट्रपति का जीवंत लुक देखना है तो चले आइए गोल्फ ग्राउंड

गोल्फ ग्रांउड के पास स्थित राजेंद्र पार्क में दो वर्ष पहले 2019 में विधायक निधि से डॉ राजेंद्र प्रसाद स्मृति भवन का निर्माण किया गया था। भवन का संचालन राइजिंग चैरिटेबल सोसाइटी के जिम्मे है। डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति और महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 11:52 AM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 08:54 AM (IST)
Rajendra Prasad Birth Anniversary 2021: देश के प्रथम राष्ट्रपति का जीवंत लुक देखना है तो चले आइए गोल्फ ग्राउंड
राजेंद्र पार्क स्थित डा. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा ( फोटो जागरण)।

जागरण संवाददाता, धनबाद : देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद की 137वीं जयंती तीन दिसंबर को है। इनके नाम से शहर में एकमात्र पार्क गोल्फ ग्राउंड के नजदीक राजेंद्र स्मृति भवन डॉ राजेंद्र प्रसाद पार्क के नाम से मौजूद है। डॉ राजेंद्र बाबू का जीवंत लुक देखना है तो आप यहां आ सकते हैं। प्रसिद्ध मूर्तिकार अर्जुन राम पॉल ने राजेंद्र बाबू की प्रतिमा में जान डाल दिया है। देखने से प्रतिमा इस कदर प्रतीत हाेती है कि अभी बोल उठेगी। यह मूर्ति इस समय चर्चा में है। तमाम इंटरनेट मीडिया पर ट्रेंड कर रही है। डॉ राजेंद्र प्रसाद की 137वीं जयंती के उपलक्ष्य में तीन यानी शुक्रवार को यहां पार्क में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन राइजिंग चैरिटेबल सोसइटी की ओर से किया जा रहा है। डॉ राजेंद्र बाबू के नाम पर यह तीसरा वर्ष है, जब रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। सोसइटी के राजन सिन्हा ने बताया कि सुबह दस बजे से शिविर शुरू होगा और शाम चार बजे तक चलेगा।

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दो वर्ष पहले बना स्मृति भवन

गोल्फ ग्रांउड के पास स्थित राजेंद्र पार्क में दो वर्ष पहले 2019 में विधायक निधि से डॉ राजेंद्र प्रसाद स्मृति भवन का निर्माण किया गया था। भवन का संचालन राइजिंग चैरिटेबल सोसाइटी के जिम्मे है। डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति और महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे और उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। राष्ट्रपति होने के अतिरिक्त उन्होंने भारत के पहले मंत्रिमंडल में 1946 और 1947 मेें कृषि और खाद्यमंत्री का दायित्व भी निभाया। सम्मान से उन्हें राजेन्द्र बाबू कहकर पुकारा जाता है।


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