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चलता फिरता नेकी का द्वार, ठंड से ठिठुरते लोगों का कर रहा उद्धार...युवाओं की टीम रात नौ से 12 बजे कर रही मदद

आप शहर में घूम रहे हैं और अचानक कोई बुजुर्ग या जरूरतमंद ठंड में ठिठुरता नजर आ जाए तो रुक जाइए। माना आप मदद करना चाह रहे हैं और किसी कारणवश नहीं कर पा रहे हैं तो चिंता करने की जरूरत नहीं है।

By Atul SinghEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 12:01 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 12:01 PM (IST)
चलता फिरता नेकी का द्वार, ठंड से ठिठुरते लोगों का कर रहा उद्धार...युवाओं की टीम रात नौ से 12 बजे कर रही मदद
अचानक कोई बुजुर्ग या जरूरतमंद ठंड में ठिठुरता नजर आ जाए तो रुक जाइए।

आशीष सिंह, धनबाद: आप शहर में घूम रहे हैं और अचानक कोई बुजुर्ग या जरूरतमंद ठंड में ठिठुरता नजर आ जाए तो रुक जाइए। माना आप मदद करना चाह रहे हैं और किसी कारणवश नहीं कर पा रहे हैं तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। बस एक फोल काल कर आप उस जरूरतमंद का बदन ढक इस ठंड में पुण्य के भागीदार बन सकते हैं। कुछ युवाओं ने एक सोच विकसित की।

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इसका नाम दिया - उद्भव एक नई सोच। आज यह जरूरतमंदों की भरपूर मदद कर रही है। धनबाद शहर में रात को कोई भी व्यक्ति फुटपाथ पर बिना कंबल के ठंड से जूझते हुए नजर आए तो उदभव नई सोच के मोबाइल नंबर 9693883304 पर रात नौ से 12 बजे तक फोन करके जरूरतमंद की लोकेशन बता दीजिए। युवाओं की टीम कुछ देर में मदद के तौर पर कंबल लेकर पहुंच जाएगी। कुछ खाने-पीने की इच्छा हुई तो यह सुविधा भी युवा दे रहे हैं। नेकी के द्वार को नई सोच के तौर पर विकसित करने वाले शशि पांडे का कहना है कि मदद वाले हाथ हमेशा दुआ वाले हाथ से ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। इसीलिए मदद कर रहे हैं। इस ठंड में अभी तक शहर के जोड़ाफाटक रोड, हीरापुर, कोर्ट मोड़, बस स्टैंड, धनबाद स्टेशन, सरायढेला, पीएमसीएच के आसपास के इलाकों में 61 कंबल का वितरण किया जा चुका है।

जेब खर्च बचाकर खरीदते हैं कंबल

शशि पांडे ने बताया उद्भव एक नई सोच के तौर पर पांच वर्षों से एक मुहिम चलाई जा रही है। पांच वर्ष पहले हमारी संस्था ने बच्चों के बीच जागरूकता अभियान चलाया। दीपावली के बाद घर की साफ सफाई के दौरान मिले पुराने कपड़ों को एकत्रित किया। अच्छे कपड़ों को अलग कर जरूरतमंदों के बीच बांटा। यह काफी ऊर्जा देने वाला कार्य लगा। उसी वक्त कुछ लोग इस कार्य को देख साथ चलने के लिए तैयार हुए। इस दौरान रात में कुछ कंबल भी रात में जरूरतमंदों को बांटा। हमने देखा कि रात में जरूरतमंदों को कंबल की अधिक जरूरत है। ठान लिया कि हर वर्ष किसी भी जरूरतमंद को ठंड में ठिठुरने नहीं देंगे। इस अभियान के तहत रात नौ से 12 बजे तक का बीड़ा उठाया कि कोई भी जरूरतमंद ठंड से नहीं जूझेगा। इसमें शहर में किसी भी जगह पर किसी भी व्यक्ति को कोई भी असहाय ठंड में ठिठुरता मिले या किसी भी तरह की समस्या से घिरा हुआ हो तो रात नौ से 12 बजे के बीच हमारे नंबर पर लोकेशन के सहित जानकारी दे सकता है। तत्काल सहायता पहुंचा दी जाती है। सभी युवा हैं। आर्थिक स्थिति भले ही बेहतर नहीं फिर भी अपनी जेब खर्च में कटाैती कर कंबल खरीदते हैं। हर महीने के खर्च से कुछ पैसे बचाकर जमा करते हैं। कुछ लोग सहयोग करते हैं। इनसे रुपये न लेकर कंबल का सहयोग लेते हैं। इस कार्य में शशि पांडेय, नीरज पाठक, मनीष कुमार, राहुल रक्षित, राकेश कुमार झा, लव कुश कुमार सक्रिय सदस्य तौर पर जुड़े हैं।


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