Sindri के औद्योगिक इतिहास के पन्ने से उड़ा PDIL; जनप्रतिनिधि मूकदर्शक, विरोध में मना काला दिवस Dhabad News
देश के उर्वरक नीतियों के विशेषज्ञ डॉ. एसकेएल दास ने दोनों पीएसयू की बंदी के लिए राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों की निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराया है।
सिंदरी, जेएनएन। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम पीडीआइएल का अस्तित्व 14 सितंबर को सिंदरी से पूर्ण रूप से समाप्त हो गया। पीडीआइएल के महाप्रबंधक डॉ. एके सिंह ने संस्थान की चाभी सिंदरी खाद कारखाना के प्रभारी देवदास अधिकारी को सौंप दी। संस्थान में अंतिम क्षणों में बचे 17 अधिकारियों को सोमवार को नोएडा में योगदान देना है।
खाद कारखाना के बाद पीडीआइएल सिंदरी का दूसरा पीएसयू है, जिसे इतिहास के पन्नों में दफन कर दिया गया। लोगों ने आज के दिन को सिंदरी के लिए काला दिवस के रूप में मनाया। देश के उर्वरक नीतियों के विशेषज्ञ डॉ. एसकेएल दास ने दोनों पीएसयू की बंदी के लिए राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों की निष्क्रियता को जिम्मेदार ठहराया है। धनबाद जिले में कोयला, पानी की बहुलता के कारण सिंदरी में खाद कारखाना के निर्माण का निर्णय लिया गया था।
पीडीआइएल सिंदरी बचाओ मोर्चा के संयोजक रंजीत कुमार पीडीआइएल की सिंदरी इकाई की बंदी से मायूस हैं। कहा कि इसे रोकने के लिए सांसद से राजनीतिक दवाब बनाने का आग्रह किया गया था। परंतु वे सफल नहीं हुए। सिंदरी नगर बचाओ मोर्चा के संयोजक दीपक कुमार दीपू ने कहा कि आज सिंदरी के लिए काला दिवस है। पीएसयू का स्वदेशी तकनीक पर आधारित कैटलिस्ट प्लांट को जमींदोज कर दिया गया।