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नाभिकीय ऊर्जा नीति पर भारत को पुनर्विचार की जरूरत : डॉ. कृष्ण पाल

बीआइटी सिंदरी में आयोजित समारोह में देश-विदेश से बीआइटी के पूर्ववर्ती छात्र जुटे।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Nov 2018 09:18 PM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 09:18 PM (IST)
नाभिकीय ऊर्जा नीति पर भारत को पुनर्विचार की जरूरत : डॉ. कृष्ण पाल
नाभिकीय ऊर्जा नीति पर भारत को पुनर्विचार की जरूरत : डॉ. कृष्ण पाल

¨सदरी :  बीआइटी में अंतरराष्ट्रीय पूर्ववर्ती छात्र समागम का आयोजन हो रहा। समागम में देश-विदेश से बीआइटीयन जुटे हैं। इन्हीं में से एक बीआइटीयन और विश्व के ख्याति प्राप्त अमेरिकी उद्योगपति डॉ. कृष्ण पाल ¨सह ने भारत को नाभिकीय ऊर्जा नीति पर पुनर्विचार करने की सलाह दी है। बीआइटी ¨सदरी में उन्होंने कहा कि भारत को एक स्थान पर बड़े-बड़े नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र लगाने के बजाय पूरे देश में छोटे-छोटे नाभिकीय ऊर्जा लगाने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों की आवश्यकता के लिए 60 गीगावाट ऊर्जा की जरूरत है। भारत की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए प्रतिवर्ष 40 गीगा वाट बिजली के उत्पादन की क्षमता बढ़ानी होगी। ऐसे में भारत को बड़े पैमाने पर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के बजाय नाभिकीय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन लागत के संबंध में पूछे जाने पर डॉ. कृष्ण पाल ने बताया कि नाभिकीय ऊर्जा की लागत लगभग पांच रुपये प्रति किलोवाट प्रति घंटा आएगी। यह पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन पर आनेवाली लागत से काफी कम है।

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तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता चिंतनीय

भारत में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता के संबंध में बताया कि स्थिति निश्चित रूप से काफी ¨चतनीय है। इसके समाधान के लिए बड़े पैमाने पर योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की आवश्यकता है। शोध की वर्तमान व्यवस्था के संबंध में कहां की भारत को उपलब्ध प्रौद्योगिकी को आत्मसात कर तकनीकी अपग्रेडेशन के लिए इसमें शोध शुरू करना चाहिए। कहा कि देश सही दिशा में चल रहा है। देश में प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा काम हो रहा है।

विट्सा की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय पूर्ववर्ती छात्र समागम में डॉ. कृष्ण पाल ने कहा कि उनकी कंपनी ने पुणे में अपना कार्यालय खोला है। कंपनी गुजरात में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र की स्थापना कर रही है। भारत के कई एक क्षेत्रों में कंपनी निकट भविष्य में नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र का निर्माण करेगी। इसके लिए कंपनी को बड़े पैमाने पर अभियंताओं की जरूरत पड़ेगी।

बीआइटी सिंदरी के छात्रों को नौकरी में मिलेगी प्राथमिकता

उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी बीआइटी ¨सदरी के छात्रों को नियोजन में प्राथमिकता देगी। मौके पर बीआइटी के निदेशक डॉ. डीके ¨सह ने उन्हें बी टेक का मूल प्रमाण पत्र दिया। 1967 बैच के पासआउट डॉ. कृष्ण पाल ने बी टेक का प्रमाण पत्र प्राप्त करते हुए भावुक हो गए। कहा कि आज तक उनकी शैक्षणिक पहचान नहीं थी। संस्थान से प्रमाण पत्र पाकर उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है कि उनकी पहचान उन्हें मिल गई।  निदेशक डॉ. डीके ¨सह ने एलुमनी मीट के उद्घाटन समारोह में पूर्ववर्ती छात्रों को संस्थान का रत्न बताया। कहा कि इन रत्नों ने संस्थान के अपग्रेडेशन में बहुमूल्य योगदान दिया है।

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डि¨स्टग्विज एलुमनी अवार्ड से सम्मानित किए गए पूर्ववर्ती छात्र

अमेरिकी उद्योगपति डॉ. कृष्ण पाल ¨सह, डॉ. योगेंद्र चड्डा, डॉ. उदय कुमार सिन्हा, श्रीनारायण शर्मा, डॉ. अनिल कुमार ¨सह (सभी यूएसए), डॉ. नील पंडित (डेनमार्क), डॉ. रामजी प्रसाद, डॉ. एसएस जमुआर, रमेश यादव (यूएसए) को बीआइटी ¨सदरी डि¨स्टग्विज एलुमनी अवार्ड व राजेंद्र कुमार चौधरी, शशांक शेखर गरुरयार, श्वेता कुमारी को एसोसिएशन की उत्कृष्ट सेवा के लिए बीआइटी ¨सदरी एक्सिलेंस सर्विस अवार्ड से नवाजा गया। रमेश यादव यूएसए की ओर से लिखित गीत भारत को बढ़ाने के लिए, विधा फैलाने के लिए, 49  में जन्मे बीआइटी का ज्ञान फैलाने के लिए बीआइटी का कुल गीत घोषित किया गया।


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