जब बिहार के डीएसपी को जयनगर-पुरी एक्सप्रेस में लगी शौच तो रेल मंत्री तक पहुंच गई बात, जानिए पूरा मामला
सफर के दाैरान शौच लगी तो डीएसपी साहब ने तफ्तीश शुरू कर दी। पता चला कि सेकेंड एसी के बगल का कोच स्लीपर क्लास का है। दोनों के बीच आने-जाने का रास्ता भी खुला है। सो स्लीपर वाले एसी में आकर सुबह का जरूरी काम ताबड़तोड़ निपटा रहे थे।
तापस बनर्जी, धनबाद। आप पूरे परिवार के साथ सेकेंड एसी में सफर रहे हों और स्लीपर के यात्री आकर टायलेट की सूरत बिगाड़ दें तो गुस्सा आएगा ही। बिहार के डीएसपी साहब के साथ भी ऐसा हुआ। 11 दिसंबर को परिवार के साथ पुरी जा रहे थे। जयनगर-पुरी एक्सप्रेस के सेकेंड एसी में सवार थे। सोचे थे आराम से यात्रा करेंगे। सुबह उठे तो टायलेट की ओर बढ़े। देखा, लाइन लंबी है। मंथन में लग गए, इतने कहां से आ गए। पुलिस में हैं तो तहकीकात में जुट गए। तफ्तीश में पता चला कि सेकेंड एसी के बगल का कोच स्लीपर क्लास का है। दोनों के बीच आने-जाने का रास्ता भी खुला है। सो स्लीपर वाले एसी में आकर सुबह का जरूरी काम ताबड़तोड़ निपटा रहे थे। बस डीएसपी साहब का पारा चढ़ा, रेलमंत्री से लेकर डीआरएम तक को संदेश लिख भेजा। जवाब आया, जल्द ही कार्रवाई होगी।
@AshwiniVaishnaw @DRM_ASN
My traveling details @DRM_ASN
Sir my traveling details PNR-6259181650
Trn:18420
Dt:11-12-21
Cls:2A
Sir in AC 2 coach we travel 4 peace of mind and https://t.co/xZclpZ02MF this coach all types of private vendors are coming.There is safety concern.pls— Rakesh (@RakeshDSP2009) December 11, 2021
राजधानी एक्सप्रेस ने की चुगली
आप सोच रहे होंगे कि ट्रेन कैसे चुगली करेगी। भला ऐसा भी होता है। तो जान लें, 22 दिसंबर को सुबह नई दिल्ली से हावड़ा जा रही राजधानी एक्सप्रेस ने चुगली न की होती तो पता नहीं क्या होता। अरे भाई, प्रधानखंता में टूटी पटरी पर रात भर ट्रेनें दौड़ती रहीं, मगर रेलवे बेखबर। राजधानी आई तो इसकी गति तेज थी, पटरी टूटी होने से कोच को जोर का झटका लगा। बस हो गई चुगली। उस समय लगा कि लापरवाही बरतने वाले इंजीनियरिंग विभाग के बाबू नपेंगे। पर ये क्या, कुछ भी नहीं हुआ। अंदर की बात ये कि डेढ़ महीने में पटरी चिटकने की 15 घटनाएं हो गई हैं। दो बार मालगाड़ी बेपटरी हुई है। बावजूद बाबू जमे हैं, जबकि पटरी पर नजर रखने का इसी विभाग का जिम्मा है। पता नहीं साहब क्यों मेहरबान हैं। कानाफूसी हो रही, अब भी कुछ नहीं होगा।
कहां गायब हैं यूनियन वाले नेताजी
रेलवे कर्मियों के सुख-दुख में साथ निभाने का दावा करने वाली यूनियन के नेताजी की टार्च लेकर तलाश हो रही है। नेताजी दिखते ही नहीं। वह भी तब जबकि 21 दिसंबर को पाथरडीह में ओवरहेड तार का काम कर रहे रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर विकास कुमार निरीक्षण यान से गिर गए, सिर पर चोट से मौत हो गई। दो और कर्मचारी भी गिरकर जख्मी हुए थे। 26 दिसंबर को रेल महाप्रबंधक पाथरडीह आ रहे हैं। रेल विभाग में सरगोशियां हो रहीं, सुरक्षा उपायों को दरकिनार कर काम हो रहा था। सेफ्टी बेल्ट होती तो इस घटना से बच सकते थे। पाथरडीह में पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। हद तो तब हुई जब इंजीनियर की मौत के बाद अधिकारियों ने भी दूरी बना ली। रेल यूनियन भी चुप्पी साध गई। नेताजी गायब हो गए। न सुरक्षा पर सवाल, न जांच की मांग।
अरे बाप रे! पूरे 500
धनबाद स्टेशन परिसर में कार लेकर जाते ही पार्किंग ठेकेदार के नुमाइंदे 20 रुपये की पर्ची थमाते थे। गाड़ी खड़ी करें या नहीं, इससे उन्हें कोई सरोकार न था। यात्रियों की आवाजाही के लिए बनी थ्रू लेन से गाड़ी ले जाने पर भी नकदऊ लग ही जाता था। बिन पैसे बाहर निकलना असंभव था। शिकायत हुई तो रेलवे ने ठेकेदार से कई बार जुर्माना वसूला। बात नहीं बनी तो व्हीकल स्कैनर गेट को प्रभावी कर दिया। अब नई व्यवस्था शुरू हुई है। थ्रू लेन में गाड़ी खड़ी करने वालों से रेलवे ने 500 रुपये पार्किंग शुल्क वसूलने का फरमान जारी किया। बाकायदा थू्र लेन पर साइन बोर्ड लग चुका है। अब जहां ठेकेदार 20 रुपये वसूल कर पिंड छोड़ देता था, वहीं रेलवे 25 गुना ज्यादा लेकर मुस्कान के साथ यात्रा कराएगी। खैर रेेलवे की माया है वही जाने, हम तो भइया कुछ नहीं कहेंगे।