श्रीमद् भागवत कथा से सात पीढि़यों को मिलता मोक्ष
संवाद सहयोगी कतरास गंगा गोशाला कतरास के गोपाष्टमी शताब्दी महोत्सव में हवन पूजन के साथ श्र
संवाद सहयोगी, कतरास : गंगा गोशाला कतरास के गोपाष्टमी शताब्दी महोत्सव में हवन पूजन के साथ श्रीमद्भागवत कथा को विराम दिया गया। 17 जोड़े यजमानों को 17 विद्वान पंडितों ने भागवत परायण पूर्ण कराया। अयोध्या से आए जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेववाचार्य ने कथा के सातवें देन भगवान के चौबीस अवतारों का वर्णन किया। कहा कि भगवान विष्णु के रामावतार, कृष्णावतार, वामन अवतार, नरसिंह अवतार मुख्य है। राम व कृष्ण जन-जन के आराध्य हैं। भगवान विष्णु के दोनों विग्रह सूर्य और चंद्रवंश में उत्पन्न हुए थे और दिन और रात से संबंध रखते हैं। सूर्य दिन के मालिक हैं, जबकि चंद्रमा रात के मालिक हैं। 16 अक्षर के हरे राम हरे कृष्ण मंत्र का जप और मनन करने से भगवान प्राप्ति का मार्ग सुगम हो जाता है। गृहस्थ जीवन में यदाकदा दृश्य-अदृश्य पाप हो जाते हैं, उन पापों से मुक्ति के लिए भागवत कथा सुननी चाहिए।
मान्यता है कि भागवत श्रवण से सात पीढि़यों के पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है। भागवत कथा के अंत में आरती की जाती है, जिसमें वर्णन है कि भागवत भगवान की है आरती, पापियों की पाप से है तारती...।
समापन मौके पर अध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल सचिव महेश अग्रवाल, दीपक अग्रवाल, बृजमोहन गडोदिया, सजन अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, संजय केजरीवाल, अजय हेलिवाल, नरेंद्र अग्रवाल, सुनील अग्रवाल, संजय केसरी, संजय खंडेलवाल, कृष्ण कन्हैया राय, जीवन राम अग्रवाल, मैनेजर कुंवर, काशीनाथ शर्मा, मनोज सिघल, विक्की कथुरिया, अरुण कुमार नारनोली, रामेश्वर लाल सहित कई मौजूद थे। दही की मटकी फूटते ही तालियों से गूंजा परिसर
संस, कतरास: गंगा गोशाला कतरास में आयोजित गोपाष्टमी महोत्सव में वृंदावन से आई रासलीला मंडली कृष्ण लीला में मथुरा की याद दिलाई। मथुरा में दही बेच रही गोपियों की मटकी फोड़ने और माखन चोरी का मंचन किया। वृंदावन से मथुरा जा रहे दही व मक्खन समान अमृत को राक्षसों से दूर करना था। दही और मक्खन खाकर कंस रूपी अत्याचारी बलशाली हो रहे थे। उस अमृत को बचाने के लिए चोरी व मटकी फोड़ने की लीला कृष्ण ने की।