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Weekly News Roundup Dhanbad: मजदूरों के आशियाना में छेद; न भू धंसान का खतरा है, न धरती के नीचे आग

Weekly News Roundup Dhanbad लोदना में बीसीसीएल स्मृति भवन बनाने जा रही है। इस भवन में प्रवेश करने पर लोदना की खदानों में काम कर चुके कोयला कर्मचारियों से जुड़ी हर तरह की स्मृति खुद ब खुद मानस पटल पर छा जाएगी।

By MritunjayEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 11:45 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 05:56 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: मजदूरों के आशियाना में छेद; न भू धंसान का खतरा है, न धरती के नीचे आग
आग एवं भू-धंसान प्रभावितों के लिए बेलगड़िया में बनाई जा रही कॉलोनी।

धनबाद [ रोहित कर्ण ]। माटीगढ़ा, भीमकनाली, हरिणा, दुग्दा में बीसीसीएल के मजदूरों की कॉलोनी है। वहां न भू धंसान का खतरा है, न धरती के नीचे आग। काम करने के लिए कोयला खदान भी कॉलोनी से बहुत दूर नहीं। फिर भी यहां रहने वाले कोयला मजदूरों को खुशनसीब नहीं कह सकते। क्वार्टर इतने जर्जर है कि वही कभी भी खतरा बन सकते हैं। दो साल पहले सभी कॉलोनी की मरम्मत के लिए वैश्विक निविदा निकाली गई थी। जहां प्लास्टर उखड़ा था, वहां ज्यादा बालू और थोड़े सीमेंट को मिला कर टिपकारी कर दी गई। चूना पोत दिया गया। हो गया जीर्णोद्धार। करोड़ों की निविदा में लाखों का फायदा भी नहीं हुआ। किस घर का छज्जा कब टूट जाय, कोई ठिकाना नहीं।  न सफाई का इंतजाम, न समय पर पानी की व्यवस्था। बात बढऩे लगी तो निदेशक कॉलोनी में गए। लोगों की व्यथा कथा सुन निदेशक भी व्यथित हो गए। 

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स्मृति भवन में बुरी स्मृति

लोदना में बीसीसीएल स्मृति भवन बनाने जा रही है। इस भवन में प्रवेश करने पर लोदना की खदानों में काम कर चुके कोयला कर्मचारियों से जुड़ी हर तरह की स्मृति खुद ब खुद मानस पटल पर छा जाएगी। निर्माण शुरू होने के पहले इस भवन के ठेका पïट्टा के बाबत कोयला मजदूरों के मन में बुरी यादें जुडऩे लगी है। 20 लाख की लागत से यह भवन बनना है। जिसकी निविदा राशि न्यूनतम होगी, नियमत: उसे कार्यादेश दिया जाना चाहिए। कुछ मजदूर यूनियनों की शिकायत है कि एल-वन टेंडर डालने वाले को काम नहीं दिया गया। जिसका टेंडर एल-फोर था, उस पर मेहरबानी दिखाई गई। मजदूर नेताओं को आशंका है कि जब निविदा में ही गोलमाल किया गया तो भवन बनाने में कमीशनखोरी के लिए गोरखधंधा होगा ही। आवाज उठने लगी है कि मजदूरों का आवास ठीक हो जाय तो स्मृति अपने सुखद हो जाएगी। 

सिर्फ दिखाने की रवायत

साल के पहले दिन बीसीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह ने कई सिलाई सेंटर का ऑनलाइन उदघाटन किया। कोयला उत्खनन की परियोजनाओं से प्रभावित महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ स्वावलंबी बनाना इसका उद्देश्य बताया गया। सीएमडी ने महिलाओं को प्रेरित किया। उनकी आदर्श भरी बातें सुन कर मुकुंदा की स्वावलंबी स्वरोजगार सोसायटी की महिलाओं को प्रेरणा मिली। बीसीसीएल द्वारा संचालित केंद्रीय अस्पताल में एक हजार कंबल खरीदने की निविदा निकाली गई। इस सोसाइटी की महिलाओं ने कंबल देने का प्रस्ताव दिया। जवाब मिला, निविदा से ही खरीददारी होगी। एनजीओ होने के नाते रियायत नहीं दी जा सकती। बीते 10 जनवरी को सेवा दिवस पर भी कंपनी की ओर से जरूरतमंद लोगों में कंबल वितरण किया। फिर महिलाओं ने महज 100 रुपये में एक कंबल देने की पेशकश की। लोदना एवं सिजुआ में सोसाइटी से कंबल लिए गए। बाकी जगह बाजार दर पर। 30 रुपये का चक्कर है कुछ।  

खरमास में उपलब्धि की खोज

गणतंत्र दिवस सामने है। उसके कुछ दिन बाद सीएमडी गोपाल सिंह सेवानिवृत हो जाएंगे। जाहिर है, गणतंत्र दिवस पर कोई भी कंपनी की उपलब्धि का बखान करना चाहेगा। सो, बीसीसीएल के प्रशासनिक महकमा के मुखिया ने सभी विभागों से उपलब्धि की सूची उपलब्ध कराने के लिए पत्राचार किया। कोरोना काल में उत्पादन से लेकर कोयले का प्रेषण उस रफ्तार में नहीं हो सका है, जैसा कि लक्ष्य तय किया गया है। उपलब्धियों की सूची नहीं मिली तो दोबारा स्मार पत्र भेजा गया है। स्मार पत्र ने सभी विभागों के हाकिमों का तनाव बढ़ा दिया है। प्रशासनिक विभाग के महाप्रबंधक ने यह ईमानदारी जरुर दिखाई है कि खुद के विभाग में भी उपलब्धि का स्मार पत्र भेजा है। कारण कि खुद अपने विभाग की उपलब्धि नहीं बता पाए थे। खैर, महाप्रबंधक (प्रशासन) की उपलब्धि पत्राचार में उनकी ईमानदारी है। बीसीसीएल में ईमानदारी छोड़ सबकुछ तो है।


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