Weekly News Roundup Dhanbad: यात्रियों को नो एंट्री, चोरों का वेलकम; पढ़ें रेलवे स्टेशन की हैरतअंगेज व्यवस्था
हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग के ग्रैंड कॉर्ड सेक्शन पर हाथियों के आने का संयोग भी गजब का है। जुलाई में ही हाथी यहां आते हैं। इससे पहले 31 जुलाई 2013 को हाथियों ने तांडव मचाया था।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। जी हां, कहानी धनबाद स्टेशन की है। यहां यात्रियों के प्रवेश पर रोक है। टिकट रहने के बाद भी आप अंदर नहीं जा सकते हैं। जब ट्रेन आएगी तभी एंट्री मिलेगी, वह भी पूरे ताम-झाम के साथ जांच के बाद। पर हैरत वाली बात यह है कि स्टेशन के प्लेटफॉर्म तक चोर पहुंच गए। इतना ही नहीं, प्लेटफॉर्म में एक स्टॉल तोड़ा और तकरीबन एक लाख का सामान ले गए। स्टॉल मालिक को खबर मिली तो चौंक गए। सोचने लगे कि माजरा क्या है। आखिर चोर अंदर घुसे कैसे। गेट पर तो पहरा ऐसा है कि पङ्क्षरदा भी पर न मार सके। चोरी की वारदात को कई दिन गुजर चुके हैं। घटना सीसीटीवी में कैद है। बेचारा दुकानदार कभी आरपीएफ तो कभी जीआरपी के दफ्तर का चक्कर लगा रहा है। उसकी फरियाद वेटिंगलिस्ट में है। बस आश्वासन के घूंट पिलाए जा रहे हैं।
सिर्फ मीटिंग होगी या मेंटेनेंस भी
रेलवे के टूटते-फूटते आवासों को दुरुस्त करने और उनकी रिस रही छतों की बारिश से पहले मरम्मत को लेकर सिर्फ मीटिंग ही होगी या काम भी। यह सवाल उन रेलकर्मियों का है जो अपने घर की छत रिसने से परेशान हैं या जिन्होंने रिसाव से बचने के लिए प्लास्टिक का कवर लगाया है। यूनियन ने स्थायी वार्तातंत्र से लेकर क्वार्टर मेंटेनेंस तक की ऑनलाइन बैठक में ताम-झाम के साथ इस मसले को उठाया था। ऐसा लगा जैसे काम करा कर ही मानेंगे। तमाम अफसरों ने तत्काल मेंटेनेंस कराने की घोषणा भी कर दी। मगर घोषणाएं पटरी पर उतरें तब न। अब कर्मचारी कह रहे हैं, रेलवे यूनियन चुनाव की सुगबुगाहट पर ही सक्रिय होती हैं। अभी चुनाव की संभावना नहीं दिख रही, इसलिए यूनियन नेता खामोश हैं। इधर, यूनियन के नेता भी पीछे हटने वाले कहां हैं, कह रहे हैं, काम जल्द शुरू होगा।
चादर-कंबल हटा तो टेंशन घटा
कोरोना फैलने के डर से रेलवे ने बेड रोल यानी चादर, कंबल और तकिया देना बंद कर दिया। इस कदम से बेड रोल कारोबारी ठेकेदार चाहे जो सोचें, पर रेल अधिकारियों के सिर से बड़ा टेंशन दूर हो गया है। अब रोज-रोज बेड रोल गिनवाने और चोरी हुए चादर, कंबल और तकिया का हिसाब रखने से मुक्ति मिल गई है। रेलवे के लिए भी यह बड़ी समस्या थी। एसी के यात्री भी इन्हें चुराकर खिसक लेते थे। अकेले धनबाद से खुलने वाली ट्रेनों से पिछले दो साल में 10 हजार से ज्यादा कंबल, चादर और तकिया कवर चोरी हुए हैं। तकरीबन 22 लाख रुपये का झटका लगा है। मुसाफिरों को इसकी जरूरत न पड़े इसके लिए टे्रनों के एसी कोच का तापमान ही संतुलित कर दिया। अगली कड़ी में तो रेलवे के स्टॉल पर ही बेड रोल देने की तैयारी पूरी कर ली गई है।
जुलाई, रेल और हाथी का गजब संयोग
हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग के ग्रैंड कॉर्ड सेक्शन पर हाथियों के आने का संयोग भी गजब का है। जुलाई में ही हाथी यहां आते हैं। इससे पहले 31 जुलाई 2013 को हाथियों के झुंड ने तांडव मचाया था। तोपचांची के कई गांवों में उत्पात मचाने के दौरान हाथी का एक बच्चा रेलवे ट्रैक पर आ गया था। गोमो-मतारी के बीच सियालदह से नई दिल्ली जा रही दुरंतो एक्सप्रेस से उसकी टक्कर हो गई थी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि हाथी का बच्चा हवा में काफी दूर तक उछल गया था। इस घटना के बाद कई दिनों तक ट्रेनों की गति कम कर चलाई गई थी। अब सात साल बाद एक बार फिर हाथी जुलाई में ही आए हैं। पिछले चार दिनों से गजराज रेल पटरियों के अगल-बगल में सैर कर रहे हैं। नतीजा, 130 पर चलने वाली ट्रेनें 50 पर पहुंच गई हैं।