कुत्तों के विष की बढ़ रही मारक क्षमता, सिर्फ एंटी रेबीज इंजेक्शन लेकर बेफिक्र होना खतरनाक; जानिए
कुत्ते के काटने से जहां घाव हो उस स्थान को पहले साफ पानी से अच्छी तरह धो लें उसके बाद एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाएं। फिर इम्यूनोग्लोबिन की सुई भी देनी चाहिए।
गिरिडीह [ ज्ञान ज्योति ]। कुत्ते के काटने पर एंटी रेबीज का इंजेक्शन दिया जाता है। इसके लगने से परिजन और मरीज आश्वस्त हो जाते हैं कि अब कोई खतरा नहीं है। कुत्ते के विष का असर नहीं होगा, लेकिन अब एंटी रेबीज इंजेक्शन भरोसे के काबिल नहीं रहा। कुत्तों की लार में मौजूद रेबीज वायरस पर इंजेक्शन बेअसर हो रहा है। कुत्ते के काटने पर इस इंजेक्शन को लगवाने के बावजूद मरीजों की मौत होने से हड़कंप मच गया है। गिरिडीह में कई मामले सामने आए हैं। इससे चिकित्सक भी भौचक हैं।
गावां के आलमपुर गांव के मो. अयूब के 13 वर्षीय पुत्र दिलवर अंसारी, गावां नीचे टोला के संदीप राम के चार वर्षीय पुत्र रुद्र कुमार व विशाल राणा की मां चिंता देवी को कुत्ते ने काटकर जख्मी कर दिया। इनको गावां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। सभी को एंटी रेबीज का इंजेक्शन तुरंत लगाया गया। 26 दिसंबर को रुद्र कुमार की मौत हो गई। इसके बाद सात जनवरी को चिंता देवी और फिर 15 जनवरी को दिलवर की मौत हो गई। एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाने के बावजूद जब इनकी स्थिति बिगड़ी तो परिजन रांची, कोलकाता तक ले गए। यह इलाज भी काम नहीं आया।
घाव को अच्छी तरह से धोना जरूरी
डॉ. कुमार ने बताया कि कुत्ते के काटने से जहां घाव हो, उस स्थान को पहले साफ पानी से अच्छी तरह धो लें उसके बाद एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगवाएं। फिर इम्यूनोग्लोबिन की सुई भी देनी चाहिए। यह भी वैक्सीन की तरह है। अब यही विकल्प दिख रहा है।
शुरुआत में नहीं दिखता असर
कुत्ता के काटने से मरीजों को विष का असर हुआ या नहीं, इसका लक्षण पहले पता नहीं चलता। जब विष पूरे शरीर में फैल जाता है तो इसका असर दिखाई देने लगता है, तब तक स्थिति बिगड़ चुकी होती है। डॉ. कुमार के अनुसार कुत्ता सिर के जितने नजदीक काटता है, उसके विष का असर भी उतनी जल्दी होता है।
लापरवाही हो जाती घातक
डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि कुत्ता के काटने पर मरीज एक बार इंजेक्शन लगवाकर निश्चिंत हो जाते हैं। फिर नियमानुसार शेष इंजेक्शन नहीं लेते। जो शिड्यूल है उसी के अनुसार इंजेक्शन लेना जरूरी होता है। ऐसा नहीं करने पर भी एंटी रेबीज सुई का असर नहीं होता।
कुत्तों के अधिक जहरीला होने के कारण मरीजों पर एंटी रेबीज इंजेक्शन का असर नहीं हुआ है। जो स्थिति पैदा हुई है उससे अब केवल एंटी रेबीज इंजेक्शन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। मरीजों को इम्यूनोग्लोबिन इंजेक्शन लगाने की भी सलाह दी जा रही है। यह इंजेक्शन 7-8 हजार रुपये तक आता है। इसके लगाने से खतरा कम हो जाता है।
- डॉ. अरविंद कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, गावां, गिरिडीह