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Anita Murmu: अपनों जैसों के लिए प्रेरणास्रोत यह ढाबा मालकिन, पाई-पाई की थी मोहताज अब हजारों में आय

अनिता ने बताया कि सखी मंडल से जुड़ी महिला या उसके परिवार का सदस्य स्टार्टअप ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम के तहत कुटीर उद्योग शुरू कर सकता है। उन्होंने व्यवसाय प्रस्ताव बनाकर झारखंडे स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) कार्यालय में दिया। उन्हें बिना गारंटी 30 हजार रुपये ऋण मिले।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 09:32 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2021 09:32 AM (IST)
Anita Murmu: अपनों जैसों के लिए प्रेरणास्रोत यह ढाबा मालकिन, पाई-पाई की थी मोहताज अब हजारों में आय
गोविंदपुर-साहिबगंज रोड पर अपने ढाबे पर अनिता मुर्मू ( फोटो जागरण)।

पाकुड़ [ रोहित कुमार ]। लिट्टीपाड़ा की अनिता मुर्मू। कुछ माह पहले तक यह आदिवासी महिला खेतों में मजदूरी कर किसी प्रकार 100 से 200 रुपये के बीच कमाकर जीवन यापन कर रही थीं। बच्चों की पढ़ाई मुश्किल हो गई थी। वह स्नातक हैं। खाना बनाने में पारंगत भी। मन में आया कि होटल व्यवसाय शुरू किया जाए, लेकिन पूंजी नहीं थी। तब सरकार के स्टार्टअप ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम का सहारा लिया। बस, राह मिल गई।

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दिसंबर में साहिबगंज-गोविंदपुर हाईवे पर होटल खोल दिया। यहां उनकी पहले से जमीन थी। झारखंड आजीविका मिशन से होटल संचालन व खाता संधारण का प्रशिक्षण लिया। प्रयास रंग लाया। अब हर दिन एक हजार से अधिक आय हो रही है।

कोरोना काल के संकट में खड़ा किया व्यवसाय

अनिता ने बताया कि सखी मंडल से जुड़ी महिला या उसके परिवार का सदस्य स्टार्टअप ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम के तहत कुटीर उद्योग शुरू कर सकता है। उन्होंने व्यवसाय प्रस्ताव बनाकर झारखंडे स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) कार्यालय में दिया। उन्हें बिना गारंटी 30 हजार रुपये ऋण मिले। सखी मंडल से 20 हजार रुपये मिले। इस राशि से लिट्टीपाड़ा में दिसंबर 2020 में होटल शुरू किया। एक महिला और पुरुष को काम भी दिया। अनिता खुद भी भोजन बनाती हैं ताकि गुणवत्ता कम न हो। कहती हैं- सफर पर निकले लोगों को भोजन कराकर जो आत्मसंतुष्टि मिलती है, उसे बता नहीं सकती। कई लोग कहते थे कि लाइन होटल पुरुष ही चला सकते हैं, पर हमने इस मिथक को तोड़ा है। आदिवासी बेटियां किसी से कम नहीं।

शादी के बाद भी नहीं छोड़ी पढ़ाई

एक मजदूर से होटल बनाने तक का सफर बहुत संघर्षपूर्ण रहा। बकौल अनिता, 2005 में उनकी शादी हुई। उसके बाद भी पढ़ाई जारी रखी। स्नातक किया। पति स्टीफन पहले दैनिक मजदूरी, बाद में नौकरी करने लगे। हमने भी गांव में मजदूरी की। खुद स्वावलंबी बन ऐसा करने की इच्छा थी कि परिवार का सहारा बनूं। इसलिए 2014 में गांव के सवेरा आजीविका सखी मंडल से जुड़ गई। इसी व्यवसाय को और आगे बढ़ाएंगे।

उनकी कुछ बड़ा करने की हमेशा इच्छा थी। इसमें वह सफल हो रही हैं। उनका बेटा और बेटी अच्छे स्कूल में पढ़ रहे हैं।

-प्रवीण मिश्रा, समन्वयक, जेएसएलपीएस

गोविंदपुर-साहिबगंज हाईवे पर  अनिता ने होटल खोला है। उन्हें इस काम के लिए ऋण दिया गया। वह अच्छा काम कर रही हैं। वह अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

-कुलदीप चौधरी, उपायुक्त, पाकुड़


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