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Cricket politics of Jharkhand: JSCA चुनाव में अमिताभ गुट की क्लीन स्वीप के बाद DCA को सता रहा बाउंसर का डर

अमिताभ चौधरी की फितरत विरोध के स्वर सुनने की नहीं रही है। अपने विरोधियों को निपटाने में कोताही नहीं बरतते। चुनाैती देने पर आइपीएस प्रवीण कुमार की जेएससीए की सदस्यता रद कर दी गई थी।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 12:16 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 12:16 PM (IST)
Cricket politics of Jharkhand: JSCA चुनाव में अमिताभ गुट की क्लीन स्वीप के बाद DCA को सता रहा बाउंसर का डर
Cricket politics of Jharkhand: JSCA चुनाव में अमिताभ गुट की क्लीन स्वीप के बाद DCA को सता रहा बाउंसर का डर

धनबाद [सुनील कुमार]। झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (JSCA) के चुनाव में बीसीसीआइ के कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी के गुट के क्लीन स्वीप कर लेने के बाद धनबाद क्रिकेट पर इसका व्यापक असर पडऩे की संभावना जताई जा रही है। 22 सितंबर को हुए चुनाव में धनबाद क्रिकेट संघ (डीसीए) ने खुले तौर पर अमिताभ गुट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। अमिताभ गुट के अध्यक्ष पद के दावेदार डॉ. नफीस अख्तर के खिलाफ खड़े हुए अजय मारू गुट का उनका समर्थन था। यह अलग बात है कि डीसीए धनबाद के मतदाताओं पर उनका नियंत्रण नहीं रह पाया। यहां तक कि डीसीए मैनेजिंग कमेटी के कुछ सदस्यों के वोट भी अमिताभ गुट को मिलने की चर्चा आम है।
चुनाव में धनबाद के साथ हजारीबाग के संजय सिंह और पश्चिम सिंहभूम के असीम कुमार सिंह अमिताभ गुट के खिलाफ मैदान में खड़े दिखे। डीसीए के अध्यक्ष मनोज कुमार ने सचिव पद के लिए नामांकन भी भरा, लेकिन उनका नामांकन कूलिंग पीरियड के नाम पर रद कर दिया गया। इसके अलावा जिला कमेटी मेंबर के पद के लिए चुनावी मैदान में उतरे डीसीए के महासचिव विनय कुमार सिंह को भी मात खानी पड़ी। चुनाव परिणाम के तुरंत बाद प्रेस कांफ्रेंस में जेएससीए के पूर्व अध्यक्ष अमिताभ चौधरी ने विरोधियों को जमकर निशाने पर लिया। इसके बाद धनबाद क्रिकेट जगत में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। माना जा रहा है कि अब धनबाद क्रिकेट संघ चौधरी गुट के निशाने पर रहेगा और भविष्य में क्रिकेट गतिविधियों के संचालन में उनकी परेशानियां बढ़ सकती है।
पहले गुड बुक में थे, अब हैं निशाने परः धनबाद क्रिकेट संघ के अध्यक्ष मनोज कुमार, हजारीबाग के संजय सिंह और पश्चिम सिंहभूम के असीम कुमार सिंह पहले अमिताभ चौधरी के गुड बुक में माने जाते थे। जेएससीए में मनोज कुमार और संजय सिंह उपाध्यक्ष पद पर थे और असीम सह सचिव थे। क्रिकेट से जुड़ी सारी गतिविधियां असीम के ही जिम्मे थी। लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी है। तीनों पदाधिकारी जेएससीए से बाहर हैं।
ऐसे बिगड़े रिश्तेः लोढ़ा कमेटी की सिफारिश आने के बाद मनोज कुमार ने जेएससीए के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उस समय देश के अधिकतर राज्य संघ इन सिफारिशों के खिलाफ थे, क्योंकि अगर उसे लागू किया जाता तो अधिकतर राज्य संघ के अध्यक्ष व सचिवों को बाहर का रास्ता देखना पड़ता। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर भी लग गई। ऐसी परिस्थिति में मनोज कुमार ने लोढ़ा कमेटी की सिफारिश को मानते हुए जेएससीए में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अमिताभ चौधरी ने उनके इस कदम को अपने खिलाफ माना और तभी से उनके आपसी रिश्तों में दरार आ गया। इसके साथ ही असीम और संजय के साथ भी अमिताभ चौधरी के रिश्ते बिगड़ गए। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद आखिरकार अमिताभ चौधरी को जेएससीए अध्यक्ष पद छोडऩा पड़ा। बाद में बनी जेएससीए की एडहॉक कमेटी में असीम और संजय को स्थान नहीं देकर अमिताभ चौधरी ने बिगड़ते रिश्ते पर अपनी मुहर लगा दी।
विरोधियों को बर्दाश्त नहीं करते अमिताभ चौधरीः अमिताभ चौधरी की फितरत विरोध के स्वर सुनने की नहीं रही है। अपने विरोधियों को निपटाने में कोताही नहीं बरतते। आइपीएस अधिकारी प्रवीण कुमार सिंह ने पिछले चुनाव में अध्यक्ष पद पर अमिताभ चौधरी को चुनौती दी थी। चुनाव के बाद उनकी जेएससीए की सदस्यता ही रद कर दी गई। इसके साथ ही विरोध के स्वर उठाने वाले रांची जिला क्रिकेट संघ के सचिव रह चुके सुनील सिंह, लोहरदगा क्रिकेट संघ के पदाधिकारी व जदयू नेता प्रवीण सिंह, जमशेदपुर के जीतू पटेल समेत कई की सदस्यता रद कर दी। आरोप लगा कि वे एसोसिएशन की छवि खराब कर रहे हैं। अगर ऐसी कार्रवाई को नजीर मानें तो भविष्य में मनोज कुमार, संजय सिंह और असीम कुमार सिंह को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अंदरखाने चर्चा है कि जिस तरह अमिताभ चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस में विरोधियों के प्रति तल्खी जताई उससे डीसीए से जुड़े कुछ पदाधिकारियों की सदस्यता भी खतरे में पड़ सकती है।
शुरुआती दौर में डीसीए के साथ थे तल्ख रिश्तेः वर्ष 2003-04 के दौरान धनबाद क्रिकेट संघ के साथ अमिताभ चौधरी के रिश्ते बेहद खराब दौर में थे। उस वक्त धनबाद में नागेंद्र सिंह की अगुआई में एक समानांतर संघ खड़ा कर दिया गया। हालांकि बाद में अमिताभ चौधरी ने ही दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता कर समझौता करा दिया। इस बार के चुनाव में धनबाद के कुछ वोटरों ने अमिताभ चौधरी गुट के पक्ष में मतदान किया। ऐसे वोटरों की मदद से एक बार फिर समानांतर संघ खड़ा किए जाने की चर्चा होने लगी है। सूत्र बताते हैं कि लगभग छह माह पूर्व भी डीसीए के कुछ विक्षुब्ध सदस्यों ने इस दिशा में प्रयास शुरू किया था, लेकिन उस वक्त यह परवान नहीं चढ़ पाया। बदली परिस्थितियों में एक बार फिर ऐसी कवायद की जा सकती है। हालांकि माना जा रहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के 23 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के बाद ही इस दिशा में कोई प्रयास संभव होगा।

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