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AISWA: भाषा, संस्कृति व साहित्य को अक्षुण्ण बनाए रखना जरूरी : रविंद्र नाथ

सम्मेलन में संताली भाषा साहित्य की विकास और संताली भाषा साहित्य की विकास में संताली लिपि ओलचिकी लिपि की आवश्यकता नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संताली भाषा का स्थान आदि के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गई और आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया गया।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 11:44 AM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 11:44 AM (IST)
AISWA: भाषा, संस्कृति व साहित्य को अक्षुण्ण बनाए रखना जरूरी : रविंद्र नाथ
अखिल भारतीय संताली लेखक संघ के सम्मेलन में मंचासीन झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ( फोटो जागरण)।

जागरण संवाददाता, दुमका। अखिल भारतीय संताली लेखक संघ झारखंड शाखा का 12 वां वार्षिक सम्मेलन रविवार को इंडोर स्टेडियम में आयोजित किया गया। बतौर मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष रङ्क्षवद्र महतो ने इस कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। मौके पर उन्होंने सिदो-कान्हु, फूलो-झानो, रघुनाथ मुर्मू, और रामदास टुडू रास्का की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। मौके पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह अत्यंत सराहनीय प्रयास है और इसे निरंतर बनाए रखने की की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भाषा, संस्कृति व साहित्य की गरिमा हरहाल में अक्षुण्ण रहनी चाहिए।

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सम्मेलन में संताली भाषा साहित्य की विकास और संताली भाषा साहित्य की विकास में संताली लिपि ओलचिकी लिपि की आवश्यकता, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में संताली भाषा का स्थान आदि के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा की गई और आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया गया। सम्मेलन में तकरीबन 20 लेखकों का पुस्तक विमोचन किया गया। इस सम्मेलन में लगभग 15 बुक स्टाल लगाए गए थे। सम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया।

मौके पर विशिष्ट अतिथि के रुप में संताली सलाहकार समिति साहित्य अकादमी नई दिल्ली के संयोजक मदन मोहन सोरेन, अखिल भारतीय संताली लेखक संघ केंद्रीय कमिटी के अध्यक्ष लक्ष्मण किस्कु, महासचिव रङ्क्षवद्र नाथ मुर्मू, शाखा कमिटी पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष टुरिया चांद बास्के, सचिव दिजो पद हांसदा, उड़ीसा के अध्यक्ष सरोज कुमार सोरेन, सचिव अर्जुन मरांडी, बिहार के अध्यक्ष सिल्वेस्टर मरांडी, सचिव ढुरू मुर्मू, विश्व भारती शांति निकेतन संताली शिक्षा विभाग के डा.रामू हेंब्रम, संताल एकेडमी सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका के निदेशक डा. सुजीत सोरेन, दुमका दिशोम मांझी बाबा बालेश्वर हेंब्रम, आसेका झारखंड के अध्यक्ष सुभाष चंद्र, महासचिव शंकर सोरेन, श्याम बेसरा, चुण्डा सोरेन सिपाही, भैया हांसदा चासा, मंगल मांझी, होलिका मरांडी, शिवलाल मरांडी, तेज नारायण मुर्मू, ज्ञानरंजन मुर्मू, भुजंग टुडू, मोहन चंद्र बास्के मौजूद थे। सम्मेलन में झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, असम आदि से हजारों संख्या में संताली कवि और लेखक शामिल हुए। सम्मेलन को सफल बनाने में मुख्य भूमिका में नाजिर हेम्ब्रम, सुशील हांसदा, शिबू टुडू, बाबूलाल मरांडी, लुबिन मरांडी, रूपधन सोरेन, नाटुआ हांसदा, शिवनाथ बेसरा, मंचन हांसदा, बैजू मांडी, सुशीला हांसदा, प्रिथ्वीनाथ हांसदा, मोहन चंद्र बास्के, भुजंग टुडू, सुधीर चंद्र मुर्मू ने अहम भूमिका निभाई।

आम सभा में कमेटी गठित

सम्मेलन के दौरान आम सभा की बैठक भी हुई जिसमें झारखंड शाखा कमेटी में अध्यक्ष मानिक हांसदा, सचिव सुधीर चंद्र मुर्मू और कोषाध्यक्ष पृथ्वीनाथ हांसदा को चयन किया गया। जबकि संताल परगना जोन कमेटी का भी गठन किया गया। इसमें अध्यक्ष नजीर हेंब्रम,सचिव सुशील हांसदा और कोषाध्यक्ष टेकलाल मरांडी को चुना गया। चुनाव प्रभारी मदन मोहन सोरेन बनाए गए थे।

सम्मेलन के माध्यम से संघ ने उठाई मांग

- झारखंड में संताल अकादमी का गठन किया जाए।

- झारखंड में संताली भाषा को भाषाई अल्पसंख्यक की मान्यता दिया जाए।

- झारखंड में भी संताली भाषा के लिए ओलचिकी लिपि को स्वीकृति दिया जाए।

- झारखंड के शिक्षा प्रणाली में ओलचिकी लिपि में लागू किया जाए।

-झारखंड लोक सेवा आयोग में ओलचिकी लिपि का ही प्रयोग किया जाए।

-प्राथमिक विद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक संताली शिक्षकों का बहाली किया जाए।

- सभी विश्वविद्यालयों में अलग संताली विभाग स्थापित किया जाए।

-बिहार सरकार द्वारा पूर्व प्रकाशित होड़-संवाद साप्ताहिक पत्रिका को ओलचिकी लिपि में प्रकाशित किया जाए।

- प्रस्तावित जनजाति विश्वविद्यालय का नामकरण प्रसिद्ध संताली लेखक मांझी रामदास टुडू रास्का के नाम से किया जाए।

- देवघर हवाई अड्डा अमर शहीद वीर सिदो-कान्हु मुर्मू के नाम से नामकरण किया जाए।

- झारखंड के सभी रेलवे स्टेशनों का नाम ओलचिकी लिपि में लिखा जाए एवं यात्री सूचनाएं संताली भाषा में उद्घोषणा किया जाए।

-वैशाख पूर्णिमा पंडित रघुनाथ मुर्मू जयंती के अवसर पर झारखंड में एक दिन की राजकीय अवकाश घोषित किया जाए।

- राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 2020 की निर्देशिका संताली भाषा और ओलचिकी लिपि में प्रकाशित किया जाए।


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