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रहें तैयार, इस साल फिर स्कूलों में एडमिशन पर 10 से 20 फीसद बढ़ेगा बोझ

अभी नया सत्र शुरू भी नहीं हुआ और अभिभावकों की जेब ढीली होनी शुरू हो गई है। इस बार भी सीबीएसइ एवं आइसीएसइ से संबद्ध जिले के सभी निजी स्कूलों ने 10 से 20 प्रतिशत फीस बढ़ा दी है।

By Deepak PandeyEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 11:55 AM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 11:55 AM (IST)
रहें तैयार, इस साल फिर स्कूलों में एडमिशन पर 10 से 20 फीसद बढ़ेगा बोझ
रहें तैयार, इस साल फिर स्कूलों में एडमिशन पर 10 से 20 फीसद बढ़ेगा बोझ

जागरण संवाददाता, धनबाद: अभी नया सत्र शुरू भी नहीं हुआ और अभिभावकों की जेब ढीली होनी शुरू हो गई है। निजी स्कूल हर साल फीस में 10 से 20 प्रतिशत की वृद्घि कर रहे हैं। इस बार भी सीबीएसइ एवं आइसीएसइ से संबद्ध जिले के सभी निजी स्कूलों ने फीस बढ़ा दी है। कुछ स्कूलों ने 10 तो किसी ने 15 फीसद तक बढ़ोतरी की है।

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पिछले वर्ष की तुलना में इस बार नए नामांकन शुल्क में भी जबरदस्त वृद्धि की गई है। अभिभावकों को नया नामांकन लेने पर आठ से 12 हजार रुपये अधिक चुकना पड़ेगा। मसलन किसी स्कूल ने पिछली बार नए छात्र का नामांकन लेने के लिए यदि 30 हजार रुपये लिया था, तो इस बार यह शुल्क बढ़कर 35 हजार हो गया है। बड़े स्कूलों ने तो 12 हजार तक की बढ़ोतरी कर दी है।

बिल्डिंग विकास, लैब, डेवलपमेंट सहित अन्य गतिविधियों का हवाला देकर अभिभावकों से सालाना 8 से लेकर 20 हजार रुपए अधिक वसूले जा रहे हैं। शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों को फीस का ब्योरा जमा करने का भी निर्देश दिया था। न तो स्कूलों ने ब्योरा दिया और न ही शिक्षा विभाग के नोटिस का जवाब देना ही उचित समझा। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 57 सीबीएसई, 12 आइसीएसई स्कूल संचालित हैं। गली, मोहल्ले में छोटे-बड़े स्कूलों को मिला लिया जाए तो यह संख्या 450 से अधिक है।

सिर्फ 12 मद में ही लेनी है फीस

- शिक्षण (कम्प्यूटर शिक्षा सहित)

- परीक्षा

- क्रीड़ा (स्पोट्र्स)

- क्रियाकलाप

- रेडक्रॉस

- स्काउट एंड गाइड

- विज्ञान

- पुस्तकालय

- स्कूल विकास

- निर्धन छात्र-छात्रा

- स्वास्थ्य बीमा (यदि छात्रों को स्वास्थ्य बीमा सुविधा दी जाती है तो)

- बागवानी (यदि स्कूल परिसर में बागवानी की जाती है)

ऐसे हो रही फीस वसूली

ट्यूशन फीस 1400 से 3650

एडमिशन फीस 4000 से 12000

इस्टैब्लिशमेंट 3500 से 7800

वार्षिक फीस 5000 से 14000

साइंस फीस 150 से 500

कम्प्यूटर फीस 150 से 450

स्मार्ट क्लास 100 से 400

मैसेजिंग 100 से 250

लैब 300 से 450

स्पोर्ट्स 100 से 350

नोट : इसके अलावा भी बहुत से मद हैं, जिनके नाम पर फीस वसूली जा रही है।

इस आधार पर होनी है फीस वृद्धि

- प्रोफिट-लॉस के आधार पर तय हो ट्यूशन फीस। इसमें अभिभावकों की रजामंदी जरूरी, फीस बढ़ोतरी से पहले होनी चाहिए बैठक।

- बिजली, पानी, वेतन के नाम पर जरूरत से अधिक वसूली।

- बच्चे जहां पढ़ रहे हैं, उसके अलावा भी अपनी अन्य ब्रांच में करते हैं खर्च।

- कई स्कूलों में लैब में नहीं आधुनिक उपकरण।

- स्पोर्ट्स फीस की 45 फीसदी राशि शिक्षा विभाग, 15 फीसदी खेलकूद विभाग कार्यालय में जमा करना जरूरी, लेकिन अधिकांश नहीं दे रहे।

- किसी सूचना को लेकर अभिभावकों को बल्क मैसेज भेजा जाता है, इसके लिए गूगल पर कई निश्शुल्क साइट्स उपलब्ध हैं।

- स्कूल ब्योरा न तो नोटिस बोर्ड पर चस्पा करते हैं और न ही फीस स्ट्रक्चर की जानकारी देते हैं।

निजी स्कूलों की वार्षिक फीस

- साधारण स्कूल का प्रवेश शुल्क 600 से 4000 व अन्य शुल्क 4000 से 12 हजार रुपए

- मध्यम स्तर के स्कूल 4000 से 12 हजार व अन्य शुल्क 10 से 20 हजार तक

- मध्यम-उच्च स्तर के स्कूल 14000 से 34 हजार व अन्य शुल्क 18 से 30 हजार तक

- उच्च स्तर के स्कूल 30000 से 60 हजार व अन्य शुल्क 17000 से 35 हजार तक

"निजी स्कूलों द्वारा फीस की जानकारी शिक्षा विभाग को देना अनिवार्य है। जिले में इतने स्कूल होने के बावजूद किसी भी स्कूल ने अभी तक बढ़ी हुई फीस की जानकारी शिक्षा विभाग को नहीं दी है। निजी स्कूल हर साल अपनी मर्जी के मुताबिक फीस बढ़ा देते हैं। अभिभावक महासंघ इसका विरोध करेगा।"

- मनोज मिश्रा, महासचिव झारखंड अभिभावक महासंघ

"निजी स्कूल कोई भी गुप्त फीस नहीं ले सकता, फीस का निर्धारण करना जरूरी है। स्कूलों को अपने सालाना ऑडिट में दर्शाना अनिवार्य है। शिक्षा का अधिकार के तहत कैपिटेशन फीस लेने वाले स्कूलों पर प्राप्त रकम से 10 गुना राशि से दंड का प्रावधान है। यदि कोई अभिभावक शिकायत करते हैं तो विभाग कार्रवाई करेगा।"

- विनीत कुमार, डीएसई

दो साल पहले शुल्क निर्धारण के लिए लिया गया था यह निर्णय

- पांच सदस्यीय कमेटी जिले के स्कूलों के लिए कॉमन फीस स्ट्रक्चर का खाका तैयार कर 15 दिन के अंदर डीईओ कार्यालय में जमा करेगी।

- प्रत्येक वर्ष स्कूल किताबें नहीं बदलेंगे और न ही ड्रेस में बदलाव होगा। बदलने से पूर्व डीईओ व कमेटी की अनुमति लेनी होगी।

- स्कूल एनसीईआरटी बुक ही अपने यहां चलाएंगे, यदि किताबें उपलब्ध नहीं है तो रेफरेंस बुक के लिए अभिभावकों पर दबाव नहीं डालेंगे। अभिभावकों की अनुमति के बाद रेफरेंस बुक चलाएंगे।

- बस फीस भी बिना अनुमति नहीं बढ़ाएंगे।

- अभिभावकों को बल्क एसएमएस भेजा जाता है, लेकिन 100 से 150 रुपये लिया जाता है। यह दर 25 से 30 रुपये के बीच होनी चाहिए।

- डेवलपमेंट, बिल्डिंग फंड, वार्षिक शुल्क, बिजली का शुल्क, जिस मद में भी राशि अभिभावकों से ली जाती है उसका ब्योरा दें।

- इलेक्ट्रिसिटी चार्ज वार्षिक फीस में जोड़ते हैं तो अलग से बिजली शुल्क नहीं लेंगे।

कमेटी में ये थे शामिल

- आरएन चौबे, प्राचार्य जेएनएमएस डिगवाडीह

- केबी भार्गव, प्राचार्य दिल्ली पब्लिक स्कूल

- डॉ.केसी श्रीवास्तव, पूर्व प्राचार्य डीएवी कोयला नगर

- राजेश कुमार सिंह, प्राचार्य राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर

- टीके सिन्हा, प्राचार्य धनबाद सिटी स्कूल भूली बाइपास


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