शिक्षा व स्वास्थ्य के निजीकरण के खिलाफ लड़नी होगी लंबी लड़ाई : दीपंकर
संवाद सहयोगी निरसा केंद्र की मोदी सरकार देश की सार्वजनिक उपक्रमों को निजीकरण तो कर
संवाद सहयोगी, निरसा :केंद्र की मोदी सरकार देश की सार्वजनिक उपक्रमों को निजीकरण तो कर ही रही है, लेकिन सबसे बड़ी लड़ाई हमें शिक्षा व स्वास्थ्य के निजीकरण करने के खिलाफ लड़नी होगी। प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड तो लोगों को थमा दिया पर क्या सरकारी अस्पतालों में डाक्टर, बेड, दवा आदि की व्यवस्था नहीं है। ऐसी स्थिति में आमजन आयुष्मान कार्ड के माध्यम से अपना इलाज निजी अस्पतालों में कराने को मजबूर हैं। और निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड का पैसा उठाकर करोड़ों का वारा न्यारा कर रहे हैं। शिक्षा व स्वास्थ्य का अधिकार सिर्फ नारा नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकार है। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आमजनों को गोलबंद कर लड़ाई लड़नी होगी। उक्त बातें भाकपा माले के केंद्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने निरसा मासस कार्यालय में पूर्व सांसद एके राय की दूसरी पुण्यतिथि पर आयोजित संकल्प सप्ताह सभा में कही।
बुधवार को यहां मासस व भाकपा माले की तरफ से संकल्प सप्ताह सभा का आयोजन किया गया था। सर्वप्रथम एके राय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। दीपांकर ने कहा कि संकल्प सप्ताह सभा बुधवार को एके राय की पुण्यतिथि से आरंभ हुई है। यह कार्यक्रम 28 जुलाई को भाकपा माले के संस्थापक चारु मजूमदार के शहादत दिवस पर समाप्त होगा। 28 जुलाई को रांची में चारू मजूमदार के शहादत दिवस पर वामपंथी एकता को लेकर सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार में मजदूरों की नौकरी गई। मजदूरों की छटनी हो रही है। मजदूरी में कटौती की जा रही है। दूसरी तरफ पूंजीपतियों की संपत्ति बढ़ रही है। केंद्र सरकार पूंजीपतियों से दो प्रतिशत कोरोना टैक्स वसूल कर लोगों का इलाज और जिनकी कोरोना से मौत हुई है उनके आश्रितों को मुआवजा के देने का काम क्यों नहीं कर रही। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना से जिनकी मौत हुई है, उनके स्वजनों को चार लाख रुपया मुआवजा के तौर पर दें तो केंद्र सरकार ने हाथ खड़े कर दिए। पीएम केयर्स फंड बनाकर कहां से कितना पैसा आया और कितना खर्च किया गया, इसका हिसाब मांगने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जा रहा है। कोरोना काल में कितने लोगों की मौत हुई यह आंकड़ा भी केंद्र सरकार छुपा रही है। गंगा में बह रही लाशों की यदि गिनती की जाए तो सरकार जो आंकड़ा दे रही है उससे कई गुना ज्यादा लोग कोरोना काल में मौत के गाल में समाए।
बगैर वामपंथ के विपक्षी एकता कभी सफल नहीं होगी
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि वर्तमान झारखंड सरकार ने वामपंथियों को अलग कर विपक्षी एकता बनाई। यदि वामपंथियों को साथ रखते तो एक मजबूत और पूर्ण बहुमत की सरकार बनती। बिहार में एमपी चुनाव के समय वामपंथियों को अलग कर संयुक्त मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ा गया परिणाम सबके सामने था। बिहार के राजनीतिज्ञों ने इस बात को समझा और विधानसभा का चुनाव वामपंथियों को साथ रखकर लड़ा तो परिणाम सामने है। 2024 का लोकसभा चुनाव जबरदस्त होगा। वामपंथियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी। 2024 के चुनाव को मद्देनजर रखते हुए जिस भी राज्य में भाजपा विरोधी सरकार है। उसे तरह-तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल की जनता ने भाजपा को हराया तो वहां की लोकतांत्रिक सरकार को प्रताड़ित करने के लिए सीबीआई, ईडी व अन्य केंद्रीय एजेंसियों का सहारा लेकर टीएमसी के नेताओं व कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया जा रहा है। भाजपा को सबसे ज्यादा डर वामपंथियों से है।
सरकार किसी को भी देशद्रोही व आतंकवादी बना रही
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि इजराइल की कंपनी पेगासस ऐसा तंत्र विकसित किया है जो आपके टेलीफोन मोबाइल कंप्यूटर की जासूसी कर रहा है। इसके माध्यम से आपके बगैर जानकारी के आपके कंप्यूटर, मोबाइल फोन में कुछ भी आपत्तिजनक चीज डालकर आपको आसानी से देशद्रोही व आतंकवादी ठहराया जा सकता है। इसी के सहारे भीमा कोरेगांव के मामले में स्टेन स्वामी सहित 16 लोगों को फंसाया गया। लोकतांत्रिक शक्तियों को पुन: इकट्ठा होकर पूरी शक्ति के साथ हिटलर शाही सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए खड़ा होना होगा।
भ्रष्टाचार व महंगाई का विरोध करने वाले को भेजा जा रहा जेल : विनोद सिंह
भाकपा माले के बगोदर विधायक विनोद सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना आपदा में भी अवसर खोज रही है। इसी के तहत झारखंड सहित देश के कई कोल ब्लाक को निजी हाथों को सौंप दिया गया। मजदूरों के अधिकारों में कटौती कर उन्हें पुन: बंधुआ मजदूर बनाने की साजिश रची जा रही है। नक्सली के नाम पर निर्दोषों को मारा जा रहा है। बकोरिया कांड में निर्दोषों को मारा गया। लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाजों को रखने वाले को राजद्रोह व अन्य मुकदमों में फंसाकर जेल में भरा जा रहा है। महंगाई भ्रष्टाचार पर जो भी सवाल उठाना चाहता है उसे देशद्रोही व आतंकवादी संरक्षक करार देकर जेल भिजवाया जा रहा है।
जेल में रहकर रिकार्ड वोटों से जीते थे एके राय : अरूप
पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि एके राय मात्र 14 वर्ष की अवस्था में भाषा आंदोलन के कारण जेल गए थे। लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए जब जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आपातकाल का विरोध किया जा रहा था तो सबसे पहले विधायकी से इस्तीफा देनेवाले एके राय थे। जेल में रहकर उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा और रिकार्ड वोटों से जीते। जब संसद में सांसदों के भत्ता व अन्य सुविधाओं के लिए पैसे की बढ़ोतरी की जा रही थी तो सबसे पहले विरोध इन्होंने किया तथा बढ़ा हुआ पैसा भी नहीं लिया। उन्होंने आजीवन विधायक व सांसद का पेंशन नहीं लिया। वह सांसद आवास से पैदल ही संसद जाया करते थे। उनकी सादगी व सिद्धांत की प्रशंसा विपक्षी भी करते थे। मासस व वामपंथ को उनसे हमेशा प्रेरणा मिलती रही है।
एके राय व चारू मजूमदार वामपंथियों के प्रेरणा : आनंद महतो
मासस के केंद्रीय अध्यक्ष आनंद महतो ने कहा कि एके राय व चारू मजूमदार वामपंथ की प्रेरणा हैं। दोनों ने ही मजदूरों, किसानों, छात्रों व नौजवानों के हक व अधिकार के लिए लगातार आवाज उठाई। देश में वामपंथ के कमजोर होने से हिटलर शाही व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। वामपंथी ही है जो आज भी अन्याय व अत्याचार के खिलाफ लगातार लोगों को गोलबंद कर आंदोलन के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वामपंथी एकता समय की मांग है। संकल्प सप्ताह सभा को मासस के हलधर महतो, निताई महतो, आगम राम, पवन महतो, दिलीप चटर्जी भाकपा माले के मनोज भगत, उपेंद्र सिंह आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में टुटून मुखर्जी, कृष्णा रजक, दशरथ चंद्रा, हरेराम, लखन सिंह, वापीन घोष, संतोष दास, सपन गोराई इत्यादि की भूमिका रही।