जुल्म के आगे झुकें नहीं, डटकर करें सामना
धनबाद सिखों के छठे गुरु मीरी पीरी के मालिक श्री गुरु हरगोबिंद साहिब का 423वां प्रकाश दिहाड़ शनिवार को गुरु नानकपुरा में मनाया गया।
धनबाद : सिखों के छठे गुरु मीरी पीरी के मालिक श्री गुरु हरगोबिंद साहिब का 423वां प्रकाश दिहाड़ा शनिवार को गुरु नानकपुरा गुरुद्वारा में श्रद्धाभाव व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शाम को गुरुद्वारा में सजे विशेष दीवान में पंथ प्रसिद्ध कथावाचक भाई जसविंदर सिंह शहूर (हजूरी प्रचारक श्री दरबार साहिब अमृतसर) ने संगत को गुरु हरगोबिंद साहिब की जीवनी से अवगत कराया। उन्होंने गुरु साहिब के उपदेशों से कहा कि जुल्म के आगे झुकना नहीं, बल्कि उसका सामना करना चाहिए। गुरु जी पर चार बार मुगलों ने हमला किया, सभी में वे विजयी रहे। जिस जरनैल ने भी गुरु जी पर हमला किया, उसकी मौत हो गई। गुरु जी ने स्वयं से एक बार भी किसी पर हमला नहीं किया।
ज्ञानी शहूर ने संगत को गुरु घर से जुड़ने के लिए भी प्रेरित किया। बच्चों को सिख रहित मर्यादा का पाठ पढ़ाने की भी अभिभावकों से अपील की। इसके बाद बैंक मोड़ के हजूरी रागी भाई देवेंद्र सिंह निरोल छतीसगढ़ वाले ने हर जियो निमाणया को माण..आदि शबद गायन कर संगत को निहाल किया। अरदास उपरांत गुरु का अटूट लंगर संगत के बीच वितरण किया गया। शनिवार को भाई ओंकार सिंह का कीर्तन नहीं हो सका। उन्हें आने में विलंब हो गया था। भारी संख्या में संगत उन्हें सुनने के लिए गुरु दरबार पहुंची थी।
रविवार सुबह दूसरे दिन के दीवान में विश्व प्रसिद्ध रागी भाई ओंकार सिंह ऊना वाले 7.30 से 8.30 बजे तक आसा दी वार का पाठ कीर्तन के जरिए करेंगे। 11 बजे मुख्य दीवान में प्रचारक भाई शहूर और फिर भाई ओंकार सिंह ऊना वाले मनोहर आवाज में अल्लाही वाणी से संगत को गुरु चरणों से जोड़ेंगे। शाम को रहिरास साहिब के पाठ बाद भी पंथ विद्वान संगत के दर्शन करेंगे। समागम को सफल बनाने में सचिव अमरजीत सिंह, इंदरजीत सिंह, सत्यजीत सिंह, लाल सिंह, गुरदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, सतपाल सिंह, बलबीर सिंह आदि ने सेवा में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
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गुरु दरबार में मन को मिलती है शांति
गुरु हरगोबिंद साहिब का इतिहास जानकर मन प्रसन्न हुआ। उन्होंने देश की रक्षा के लिए मीरी पीरी की कृपाण धारण की और गरीब बेसहारा के लिए खड़े रहे।
- राजेंद्र सिंह चावला
गुरु घर में मन को शांति मिलती है। गुरुद्वारा कमेटी द्वारा समय समय पर ऐसे आयोजन किए जाते हैं। गुरवाणी सुनकर हृदय निर्मल हो गया।
- परमजीत चावला
ऐसे दीवान के आयोजन से युवा पीढ़ी अपने गुरु और सिख इतिहास से जुड़ी रहती है। गुरु रूपी संगत के दर्शन करने का सौभाग्य भी प्राप्त हो जाता है।
- हरजिंदर कौर
घर के कामकाज छोड़कर दीवान में हाजरी भरी है। गुरवाणी गहरा सागर है। इसके श्रवण से दुख कलेस का नाश होता है।
- देवेंद्र कौर
समागम के आयोजन से गुरु घर की सेवा करने का अवसर मिलता है। साथ ही सिख इतिहास की जानकारी मिलती है।
- जगजीत सिंह