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धनबाद में इस वर्ष डेल्टा ने ले ली 264 की जान, चिकित्सक नहीं मिले पहली और दूसरी लहर में

वर्ष 2021 कोरोना संक्रमण के कारण धनबाद वासियों के लिए के लिए कभी ना भूलने वाला साल होगा। कोरोनावायरस की दूसरी लहर में डेल्टा भारत में जमकर तांडव मचाया। 381 लोगों की जान चली गई। दूसरी लहर में 264 लोगों की जान गयी।

By Atul SinghEdited By: Published: Sat, 25 Dec 2021 05:25 PM (IST)Updated: Sat, 25 Dec 2021 05:25 PM (IST)
धनबाद में इस वर्ष डेल्टा ने ले ली 264 की जान, चिकित्सक नहीं मिले पहली और दूसरी लहर में
वर्ष 2021 कोरोना संक्रमण के कारण धनबाद वासियों के लिए के लिए कभी ना भूलने वाला साल होगा।

मोहन गोप, धनबाद: वर्ष 2021 कोरोना संक्रमण के कारण धनबाद वासियों के लिए के लिए कभी ना भूलने वाला साल होगा। कोरोनावायरस की दूसरी लहर में डेल्टा भारत में जमकर तांडव मचाया। 381 लोगों की जान चली गई। पहली बार में एक सौ सतरा की जान गई तो दूसरी लहर में 264 लोगों की जान गयी। तमाम दावे और घोषणाओं के बावजूद अस्पताल में संसाधन तो निश्चित किए गए लेकिन सबसे बड़ी कमी चिकित्सकों के कई पद खाली रह गए। आइए जानते हैं इस वर्ष क्या खोया क्या पाया।

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इस वर्ष 264 की चली गई जान

धनबाद में कोरोनावायरस के दूसरी लहर में 264 लोगों की जान गई है। सबसे ज्यादा मौत अप्रैल और मई महीने में हुई है। इसका बड़ा कारण डेल्टा वायरस को माना गया। सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड नहीं मिलने के कारण कई लोगों की जान चली गई। सबसे ज्यादा मौत एसएनएमएमसीएच और सेंट्रल अस्पताल के कोविड-19 में हुई। जबकि पहली लहर में 117 लोगों की जान गई। हालांकि दूसरी बात यह है कि नगर निगम की श्मशान और कब्रिस्तान में कोविड प्रोटोकॉल के तहत 3700 मृत लोगों का अंतिम संस्कार किया गया। इसमें मरीजों का इलाज करने डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी जान गई है।

अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगे, डॉक्टर नहीं मिले

दूसरी लहर का अब तक राज्य सरकार ने सबक नहीं लिया है। इस इन एमएमसीएच में दो ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन किया गया है, लेकिन सदर अस्पताल में अभी तक ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन नहीं हो पाया है। जबकि इसके बने 5 महीने पूरे हो गए हैं। मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों के स्वीकृत पदों की संख्या 189 है। जबकि यहां मात्र 105 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। इसी वर्ष लगभग 20 सीनियर रेजिडेंट का कार्यकाल भी पूरा हुआ। और यह सभी अस्पताल छोड़ चले गए। यही वजह है कि मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के कुल 30 फ़ीसदी पद खाली रह गए।

180 स्वास्थ्य केंद्रों पर मात्र 64 डॉक्टर दे रहे सेवा

स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की भारी कमी है। इस वर्ष भी अतिरिक्त डॉक्टर नहीं मिल पाए। स्वास्थ विभाग के आंकड़ों की माने तो जिले में आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 28 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 144 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है। इसके लिए 125 डॉक्टरों के पद स्वीकृत है। लेकिन यहां मात्र 64 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। सदर अस्पताल में डीएमएफटी फंड से 20 डॉक्टरों की बहाली निकाली गई इसे मात्र सात नहीं ज्वाइन की है। फिलहाल अस्पताल में कुल मिलाकर 15 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं।

सरकारी अस्पताल में दवाओं की रही किल्लत

सरकार के लाख दावों के बावजूद सरकारी अस्पताल में दवाओं की भारी किल्लत रही। लोगों को इस वर्ष भी बाहर से दवाई खरीदने पड़ी। खासकर कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान लोगों को निजी दवा केंद्रों पर निर्भर रहना पड़ा। एसएनएमएमसीएच, सदर अस्पताल, एसएसएलएनटी अस्पताल, और स्वास्थ्य केंद्र में दबाव की घोर कमी रही। स्वास्थ्य केंद्रों में खासकर कुत्ता काटने पर देने वाली एंटी रेबीज वैक्सीन और सांप काटने पर देने वाला एंटी स्नेक वेनम पूरे साल नहीं रहा।

उम्मीद

धनबाद को इस साल मिल सकता है सुपर स्पेशलिटी अस्पताल

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा के तहत मेडिकल कॉलेज के पास सुपर स्पेशलिटी अस्पताल बनाया जा रहा है। मार्च 2022 में इसे पूरी तरह से हैंड ओवर कर लेने की योजना है। अगर ऐसा हुआ तो नए साल में धनबाद को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की सेवा मिल सकती है। इसमें कार्डियोलॉजी न्यूरोलॉजी सहित आठ सुपर स्पेशलिटी सेवा मरीजों को मिल पाएगी। वही एसएसएलएनटी अस्पताल में भी चिकित्सकीय सुविधाएं बढ़ाई जा सकती है।

कोट

कोरोना संक्रमण की वजह से इस साल कई स्वास्थ्य योजनाएं धरातल पर पूर्ण रूप से नहीं उतर पाई। अभी भी संक्रमण का खतरा है। आने वाले समय में ऐसे में विभाग की पूरी कोशिश है कि संक्रमण के स्तर को कम किया जा सके। इस साल हमें कोरोना संक्रमण के कारण कई लोगों को खोया है इसमें डॉक्टर समुदाय के भी लोग शामिल हैं और स्वास्थ्य कर्मी भी हैं।

डॉ श्याम किशोर, सिविल सर्जन, धनबाद


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