1167 दिन, 5 नगर आयुक्त, औसतन 233 दिन कार्यकाल
धनबाद : वर्तमान नगर निगम बोर्ड को तीन साल हो गए हैं। जून 2015 में मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल की अ
धनबाद : वर्तमान नगर निगम बोर्ड को तीन साल हो गए हैं। जून 2015 में मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल की अगुवाई में वर्तमान नगर निगम बोर्ड का गठन हुआ था। तब से निगम बोर्ड का 1167 दिन कार्यकाल हो चुका है और इतने दिनों में यह पाचं-पांच नगर आयुक्त देख चुका है। अब चंद्रमोहन कश्यप छठे नगर आयुक्त बन कर आ रहे हैं। निवर्तमान नगर आयुक्त राजीव रंजन के स्थान पर यहां उनका तबादला हुआ है।
राजीव रंजन राज्य ग्रामीण विकास संस्थान के निदेशक बनकर जा रहे हैं। पिछले साल 4 दिसंबर को राजीव रंजन नगर निगम का नगर आयुक्त बनकर आए थे, लेकिन आठ महीने तक ही यहां टिक पाए। वैसे भी जून 2015 में वर्तमान नगर निगम का गठन होने के बाद से कोई नगर आयुक्त यहां ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाया है। बीते तीन सालों में नगर निगम पांच नगर आयुक्त देख चुका है।
जून 2015 से अबतक की बात करें तो सबसे अधिक पूर्व नगर आयुक्त मनोज कुमार और सबसे कम रमेश घोलप का कार्यकाल रहा। इस दौरान मनोज कुमार जहां 15 महीनों तक टिके तो रमेश घोलप तीन महीने भी नहीं टिक पाए। मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोलने से उनको अल्प अवधि में स्थानातंरण का मुंह देखनी पड़ा था। रमेश घोलप, मनोज कुमार व राजीव रंजन के अलावा बीते तीन सालों छवि रंजन और विनोद शंकर सिंह भी यहां नगर आयुक्त के पद पर रहे चुके हैं। विनोद शंकर सिंह पूर्व नगर निगम बोर्ड में भी नगर आयुक्त रहे थे।
मेयर से बढ़ गई थी राजीव रंजन की दूरियां
निवर्तमान नगर आयुक्त राजीव रंजन से मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल की दूरियां पिछले कुछ समय से बढ़ गई थी। दोनों के बीच शीतयुद्ध चल रहा था। दोनों के बीच आपस में पट नहीं रहा था। हालांकि मेयर इससे इंकार करते हैं। वे कहते हैं कि नगर आयुक्त के साथ उनके अच्छे संबंध हैं। नगर निगम बोर्ड हम दोनों साथ-साथ शामिल हुए। मेयर विवाद से भले इंकार करें पर नगर आयुक्त के साथ रिश्ता ठीक नहीं चल रहा था। नगर आयुक्त मेयर के साथ बैठकों से कन्नी काट रहे थे। यही नहीं, मेयर के करीबियों को शोकॉज किया गया। इससे निगम में दोनों के बीच शीतयुद्ध को बल मिला।
नए नगर आयुक्त के लिए होगी चुनौती
नए नगर आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप के लिए नगर निगम चुनौती से कम नहीं होगी। वह ऐसे समय नगर आयुक्त बनकर आ रहे हैं जब यहां सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। उनके लिए सभी को साथ में लेकर चलने के साथ निगम के विकास की गति को आगे बढ़ाने की चुनौती होगी।