अब तो रहम करो प्रभु ! निराशा दूर कर आशा के संचार के लिए 100 घंटे का Baba Nam Kevalam KIRTAN
Baba Nam Kevalam KIRTAN बहिर्मुखी और जड़ाभिमुखी चिंतन ही वैश्विक महामारी रूपी Baba Nam Kevalam KIRTAN बहिर्मुखी और जड़ाभिमुखी चिंतन ही वैश्विक महामारी रूपी ज्वालामुखी का मूल कारण है। मनुष्य की हिंसक प्रवृति के कारण वातावरण में भय और चित्कार की तरंग बह रही है।
धनबाद, जेएनएन। Baba Nam Kevalam KIRTAN कोरोना महामारी से हर वर्ग त्रस्त है। कुछ न कुछ उपाय किए जा रहे हैं, जिससे शरीर स्वस्थ और मन-मस्तिष्क शांत रहे। आनंद मार्ग भी इससे अछूता नहीं है। विश्वस्तरीय 100 घंटे का अखंड कीर्तन जारी है। वेबीनार के जरिए आयोजित कीर्तन में धनबाद एवं इसके आसपास के जिले के सभी आनंद मार्गी शामिल हुए। अपने अपने घर पर रहकर तीन घंटे का बाबा नाम केवलम् अखंड कीर्तन किया। सभी को अलग-अलग स्लॉट दिया गया है। निकटवर्ती आनंद मार्ग के केंद्रीय कार्यालय आनंदनगर स्थित बाबा क्वार्टर में रात्रि 2 बजे अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र बाबा नाम केवलम् का कीर्तन प्रारंभ हुआ। यह कीर्तन धनबाद, झारखंड, भारतवर्ष के प्रत्येक राज्य एवं दुनिया के 160 देशों में ऑनलाइन 100 घंटे तक निरंतर किया जाएगा। 26 मई को सुबह छह बजे कीर्तन संपन्न होगा।
मनुष्य के हिंसक प्रवृति के कारण वातावरण में बह रही भय की तरंग
कीर्तन की महिमा बताते हुए आचार्य सवितानंद अवधूत ने कहा कि बहिर्मुखी और जड़ाभिमुखी चिंतन ही वैश्विक महामारी रूपी ज्वालामुखी का मूल कारण है। मनुष्य के हिंसक प्रवृति के कारण वातावरण में भय और चित्कार की तरंग बह रही है। संयमित जीवन, सात्विक आहार, विचार और व्यवहार से महामारी को हराया जा सकता है। कीर्तन मानवीय संवेदना को मानसाध्यात्मिक स्तर में ले जाकर परम-शांति का रसपान कराता है।
इस तरह होता आशा का संचार
आचार्य ने कहा कि भाव विह्वल होकर जब मनुष्य परम पुरुष को पुकारता है तो उसके अंदर आशा का संचार होता है। कीर्तन करने से उसका आत्मविश्वास और संकल्प शक्ति बहुत मजबूत हो जाती है। सामूहिक कीर्तन प्राकृतिक विपदा से तत्क्षण त्राण देता है। ललित नृत्य के साथ कीर्तन करने से वातरोग का शमन होता है। कीर्तन करने से बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। चिंता भी दूर हो जाती है। कीर्तन साधना सहायक और आनंददायक है।