अमावस्या पर लोगों ने तर्पण कर दी पितरों को विदाई
अमावस्या के साथ ही गुरुवार को पितृपक्ष का समापन हो गया। करौं के पौराणिक राजा तालाब घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पितरों के मोक्ष के लिए तर्पण किया।
संवाद सहयोगी, करौं (देवघर) : अमावस्या के साथ ही गुरुवार को पितृपक्ष का समापन हो गया। करौं के पौराणिक राजा तालाब घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पितरों के मोक्ष के लिए तर्पण किया।
इस बार कोरोना का असर पितृपक्ष पर भी देखने को मिला। पितृ विसर्जन अमावस्या पर भीड़ कम दिखी। पितृ मोक्ष अमावस्या पर तर्पण के साथ पितरों को विदाई दी गई। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दिन उन मृत लोगों के लिए पिडदान, श्राद्ध और तर्पण कर्म किए जाते हैं, जिनकी मृत्यु तिथि मालूम नहीं होती है। श्रद्धालु अपने पितरों के मोक्ष के लिए तालाब में खड़े होकर पुष्प, शहद, फल, चावल आदि पितरों को अर्पण किया। पंडित नीलमणि आचार्य के अनुसार मान्यता है कि तर्पण करने से देव ऋषि तथा पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है तथा जन्म कुंडली का पितृ दोष का निवारण होता है।