बढ़ते संक्रमण के बीच जांच की रफ्तार बढ़ाने का निर्देश
राज्य में कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है। इस खतरे को भांपते हुए जांच की रफ्तार तेज करने को ले सरकार द्वारा निर्देश जारी किया गया है। सरकार के प्रधान सचिव नीतिन कुलकर्णी द्वारा जारी आदेश के तहत संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की जल्द से जल्द पहचान कर उनकी जांच करने को कहा गया है। कहा गया कि संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है उसने संपर्क में आए लोगों की पहचान कर जांच करने में देर हो रही है।
जागरण संवाददाता, देवघर : राज्य में कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है। इस खतरे को भांपते हुए जांच की रफ्तार तेज करने को ले सरकार द्वारा निर्देश जारी किया गया है। सरकार के प्रधान सचिव नीतिन कुलकर्णी द्वारा जारी आदेश में संक्रमित के संपर्क में आए लोगों की जल्द से जल्द पहचान कर उनकी जांच करने को कहा गया है। कहा गया कि संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, उसने संपर्क में आए लोगों की पहचान कर जांच करने में देर हो रही है। पहले से काफी रिपोर्ट लंबित है। ऐसे में सभी जिलों में एक नियंत्रण कक्ष बनाया जाए। इसके तहत पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीजों की पहचान कर आगे की कार्रवाई कैसे करनी है इसके लिए टीम हो। वहीं संपर्क में आए लोगों की पहचान कर कार्रवाई करने के लिए अलग टीम गठित की जाए। किसी कि तरह का इलाज किया जाना, किसे कोविड अस्पताल और किसे होम आइसोलेशन में रखना है ये तय हो। इसके लिए गांव, प्रखंड से लेकर जिला स्तर पर अलग-अलग टीम काम करेगी। इसमें पुलिस की भी सहभागिता होगी। लैब को कैसे जांच करनी है इसके लिए निर्देश है।
मरीजों की जांच ट्रूनेट, रैपिड एंटिजन व आरटी पीसीआर विधि के तहत किया जाना है। इसके लिए 30 जुलाई से दो अगस्त के बीच सभी जिलों में जांच के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। इसके लिए सभी जिलों को जांच के लिए न्यूनतम लक्ष्य निर्धारित किया गया है। तय लक्ष्य के तहत देवघर को ट्रूनेट विधि के तहत 30 जुलाई से एक अगस्त के दौरान प्रतिदिन कम से कम 140, आरटी पीसीआर विधि के तहत 30 जुलाई से एक अगस्त के बीच प्रतिदिन कम से कम 341 और रैपिड एंटिजन विधि के तहत दो अगस्त को 700 लोगों का सैंपल लेकर जांच कराना है।
रैपिड एंटिजन टेस्ट के लिए 31 जुलाई को प्लान तैयार किया जाना है। इसके तहत उन जगहों की पहचान की जानी है जहां संक्रमण का खतरा अधिक है। साथ ही इसमें कंटेनमेंट जोन को भी शामिल किया जाना है। इन इलाकों में विशेष टीम काम करेगी। इसके तहत 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की जांच की जानी है। अगर कोई इस रैपिड एंटिजन जांच के तहत नेगेटिव पाया जाता है लेकिन वह उच्च खतरे वाले इलाके से है या फिर वह पॉजिटिव पाए गए मरीज के सीधे संपर्क में आया है तो उनका तत्काल फिर से आरटी पीसीआर या फिर ट्रूनेट विधि से जांच किया जाना है। वहीं ट्रूनेट जांच के लिए लगाई गई मशीन का भरपूर उपयोग करने को कहा गया है। हर स्लॉट में कम से कम 15 सैंपल की जांच हो। ऐसा ही लक्ष्य राज्य के सभी जिलों को दिया गया है। सभी जिलों के सिविल सर्जन का ये दायित्व होगा कि वे सुनिश्चित करें कि उनके जिले में लक्ष्य पूरा हो रहा है।