कलियुग में भगवान को पाने का सरल रास्ता कीर्तन
संवाद सूत्र देवघर बाबाधाम में बारह महीने कीर्तन-भजन पूजा पाठ का आयोजन होता रहता है। छ
संवाद सूत्र, देवघर : बाबाधाम में बारह महीने कीर्तन-भजन, पूजा पाठ का आयोजन होता रहता है। छह कीर्तन मंडलियों द्वारा पूरे साल बाबा के दरबार में कीर्तन का आयोजन सुबह व शाम होता है।
इस क्रम में विभिन्न कीर्तन मंडलियों की ओर से प्रभातफेरी कीर्तन का आयोजन किया जा रहा है। रविवार को भी मंडली के सदस्यों ने हरे कृष्ण, हरे राम की धुन पर शहर के विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण किया और बाबा मंदिर पहुंचकर इसका समापन किया। एक माह पूर्व शरद पूर्णिमा से शुरू प्रभातफेरी कीर्तन का समापन कार्तिक पूर्णिमा पर सोमवार को हो जाएगा। प्रभातफेरी कीर्तन में गोपाल, वैद्यनाथ पंडा, बमबम बाबा कीर्तन मंडली शामिल हैं। वैद्यनाथ पंडा कीर्तन मंडली के अध्यक्ष सुरेश मिश्र बताते हैं कि प्रभात फेरी कीर्तन की शुरुआत चैतन्य महाप्रभु द्वारा की गई थी। चैतन्य महाप्रभु द्वारा शुरू की गई इस परंपरा का अनवरत निर्वहन कीर्तन मंडलियों द्वारा किया जा रहा है। चैतन्य महाप्रभु कीर्तन के श्रृजनहार थे। उनका जन्म बंगाल के नदिया जिला में हुआ था। वह आठ वर्ष के अल्पायु से ही प्रभु की भक्ति में लीन हो गए थे। उन्होंने कहा था कि कलयुग में एकमात्र ईश्वर को पाने का सरल रास्ता कीर्तन है। जिस प्रकार कलयुग के प्रभाव से भक्ति के दो पुत्र ज्ञान और वैराग्य वृद्ध हो गए थे तो नारद मुनि के द्वारा उन्हें मार्ग बताया गया था कि वह अपनी माता की बताए रास्ते पर चले, प्रभु का कीर्तन करें तो वह भी उनकी तरह प्रभु को पाएंगे।