मुआवजा तो दूर, तीन साल में प्रक्रिया भी नहीं
भूअर्जन विभाग के तीन सदस्यीय अमीन की टीम ने शनिवार को मिसराडीह व सारठ मौजा के रैयतों से दस्तावेज के साथ जमीन से संबंधित जानकारी ली। वहीं पर्चाधारी का वंशावली तैयार किया गया।
सारठ : भूअर्जन विभाग के तीन सदस्यीय अमीन की टीम ने शनिवार को मिसराडीह व सारठ मौजा के रैयतों से दस्तावेज के साथ जमीन से संबंधित जानकारी ली। वहीं पर्चाधारी का वंशावली तैयार किया गया। अमीन आलोक कुमार, सुधीर भंडारी व संदीप पंडित ने कहा कि मिसराडीह (सारठ) वाया बीरमाटी पीडब्ल्यूडी पथ निर्माण में कुल 14 मौजा के रैयतों का जमाबंदी जमीन सड़क निर्माण में लिया गया है। रैयतों को उचित मुआवजा मिले, इसके लिए पथ निर्माण विभाग द्वारा जमीन अधिग्रहण की जो सूची विभाग को दी गई है, उसका मिलान किया जा रहा है। कहा कि अभी धारा 11 के तहत अधिसूचना की प्रक्रिया की जा रही है। इसके तहत रैयत के खतियान का मिलान तथा वंशावली तैयार किया जा रहा है। किस रैयत का कितना जमीन गया है। उस जमीन पर वृक्ष, कुआं, मकान, चापापनल आदि है क्या, इसका भी रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। लेकिन अभी तक 14 मौजा में से सात मौजा का ही दस्तावेज तैयार हो पाया है। उसमें भी कुछ त्रुटी रह गई है।
तीन साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा : मिसराडीह, जमुनियाटांड, मंझली मेटरिया, चकनवाडीह, कपसियों, रानीबांध, बगदाहा, फुलचुवां, बरमसोली, चिकनियां, ठाढी, बीरमाटी, राखजोर व बेहंगा सहित 14 मौजा का लगभग 13 एकड़ 90 डीसमील जमीन सड़क निर्माण में लिया गया है जिसमें धानी जमीन भी शामिल है। सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून बनाया है, लेकिन सड़क निर्माण के तीन साल बीतने के बाद भी अभी तक रैयतों को उनके जमाबंदी जमीन का मुआवजा नहीं मिला है। जमीन का भुगतान तो दूर अभी तक कागजी प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। रैयतों ने कभी भी विकास कार्य को अवरूद्ध नहीं किया बल्कि विकास कार्य को पूरा कराने में सहयोग किया। जबकि सरकार, रैयतों के साथ छलावा कर रही है। रैयतों ने विभाग के कार्यालय में जाकर भी इसकी शिकायत की है। लेकिन समस्या के समाधान के दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो रही। रैयतों ने उपायुक्त देवघर से मांग की है कि जल्द से जल्द जांच प्रक्रिया पूरी कराकर रैयतों को मुआवजे का भुगतान कराने में पहल करें।
विभाग में मानव संसाधन की कमी है। 13 सड़क का मामला विभाग के पास है। मार्च 2019 में पदभार लेने के बाद काम में तेजी आई है। पहले के पदाधिकारी ने जिम्मेदारी के साथ काम नहीं किया, जिसके चलते परेशानी हो रही है। सेक्शन 11 का काम लगभग पूरा कर लिया गया है। उसके बाद सेक्शन 19 का काम होगा। जिसमें रैयतों को आपत्ति दर्ज कराने को दो माह का समय दिया जाएगा। उसके बाद सेक्सन 21 के तहत अधिघोषणा कराकर भुगतान करा दिया जाएगा।
उमाशंकर प्रसाद, जिला भूअर्जन पदाधिकारी, देवघर