जहां भक्तों का होता रहा स्वागत, आज कांवरिया पथ दुम्मा का गेट सील
फोटो01415 जागरण संवाददाता देवघर देवघर की सीमा मुख्य सड़क मार्ग पर सुरक्षा बलों का
फोटो014,15 जागरण संवाददाता, देवघर: देवघर की सीमा मुख्य सड़क मार्ग पर सुरक्षा बलों का कड़ा पहरा है। कांवरिया पथ दुम्मा में भी इससे अधिक पहरेदारी है। ऐसी, मानों सरहद की पहरेदारी हो रही है। एक भी गेरुआ वस्त्रधारी प्रवेश नहीं कर सकता। जिस द्वार पर भक्तों का हर साल स्वागत होता था। आज वह द्वार सील है। यह है कांवरिया पथ दुम्मा का प्रवेश द्वार। यह बाबा नगरी में प्रवेश करने का मुख्य द्वार है। यह वही स्थल है जहां गुरु पूर्णिमा के दिन मेला का उद्घाटन मुख्यमंत्री करते थे। मुख्य प्रवेश द्वार पर बैलून और शांति का प्रतीक कबूतर उड़ाया जाता था। एक एक कांवरिया का स्वागत किया जाता था। दुम्मा से देवघर के बीच के कांवरिया पथ को मखमली बना दिया जाता था। ताकि एक सुखद अनुभूति लेकर बाबा के भक्त देवघर से जाएं। लेकिन इस साल तो भक्तों को नहीं आने के लिए उस रास्ते को ही सील कर दिया गया है। दो साल के दरमियान वक्त ने जो बदलाव किया है वह सब कोरोना के कारण हुआ है। तीसरी लहर आने की संभावना को देखते हुए सरकार कोई जोखिम लेना नहीं चाहती। यह इसलिए कि दूसरी लहर ने कब अचानक दस्तक देकर तबाही मचा दी, किसी को कानों कान पता भी नहीं चला। दुम्मा में बिल्कुल ही सन्नाटा है। सुरक्षा कर्मी सन्नाटे के बीच डयूटी कर रहे हैं। यहां तैनात महिला सुरक्षा कर्मी ने कहा कि ऐसी डयूटी पहली बार कर रहे हैं जब केवल और केवल सन्नाटा है। कोई आने वाला ही नहीं है, जिसे रोका जाए। अब सबको मालूम हो चला है कि रास्ता बंद है। कोई चहल पहल नहीं है, लगता है देश की सीमा पर पहरेदारी कर रहे हैं। यहां खड़े एक एएसआइ ने कहा कि पहली बार मेला में डयूटी लगी है। लेकिन ऐसा कि यहां कोई सेवा नहीं कर पा रहे हैं। सेवा करने का अवसर मिलता तो मन लगता। बाबा के द्वार पर डयूटी करने का मौका तो मिला लेकिन केवल समय काट रहे हैं। बोर्डर पर तैनात सुरक्षाकर्मी भोजन बनाने की भी तैयारी कर रहे थे। बताया कि डयूटी के साथ जीवन की भी डयूटी जरूरी है। दोनों साथ साथ चलता रहता है। मुख्य द्वार पर उगे जंगल- झाड़ प्रवेश द्वार पर रंग बिरंगी रोशनी लगी होती थी। जो रात में और भी सुंदर और आकर्षक लगता था। फूल से द्वार को सजाया जाता था। यह सब देखते ही बनता था। एक महीना पहले से सारी तैयारी चलती थी। इस बार मेला नहीं लगना था सो जंगल झाड़ को भी साफ नहीं कराया गया। जहां तहां गंदगी लगा है। वीरान सा रास्ता लगता है। आसपास गांव है, जिस कारण कभी कभी वे उस रास्ते से गुजर जाते हैं तो सुरक्षा बल थोड़ा अलर्ट हो जाते हैं। बाकी सब शांति है।