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Shravani Mela 2020: पुरी की रथयात्रा की तरह श्रावणी मेला के सवाल पर हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार को भेजा नोटिस, बिहार सरकार भी पार्टी

बाबा धाम प्रबंधन (बाबा बैद्यनाथ मंदिर) समिति के चेयरमैन सह देवघर डीसी को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा गया है। कोर्ट ने बिहार सरकार को भी प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया है।

By MritunjayEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 12:19 PM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 12:19 PM (IST)
Shravani Mela  2020: पुरी की रथयात्रा की तरह श्रावणी मेला के सवाल पर हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार को भेजा नोटिस, बिहार सरकार भी पार्टी
Shravani Mela 2020: पुरी की रथयात्रा की तरह श्रावणी मेला के सवाल पर हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार को भेजा नोटिस, बिहार सरकार भी पार्टी

रांची, जेएनएन। पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की तरह देवघर में बाबा बैद्यनाथ की मंदिर खोलने और श्रावणी मेला शुरू करने की मांग को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को हाई कोर्ट रांची में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में झारखंड सरकार से जवाब मांगा है। बाबा धाम प्रबंधन (बाबा बैद्यनाथ मंदिर) समिति के चेयरमैन सह देवघर डीसी को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा गया है। इसके अलावा कोर्ट ने बिहार सरकार को भी प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 30 जून को होगी।

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कोरोना संक्रमण को रोकने के मद्देनजर झारखंड सरकारन ने इस साल विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला नहीं करने का निर्णय लिया है। यह मेला प्रत्येक साल श्रावण मास में लगता है। मेले के दाैरान बिहार के सुल्तानगंज से झारखंड के देवघर तक 108 किलोमीटर की पदयात्रा कर बाबा बैद्यनाथ के भक्त पहुंचते हैं। इसके बाद बाबा बैद्यनाथ को जलाभिषेख करते हैं। इस साल यह मेला 5 जुलाई से शुरू होकर 4 अगस्त तक चलने वाला था। झारखंड सरकार ने कोरोना और लॉकडाउन के मद्देनजर मेला स्थगित कर दिया है। एक महीने तक चलने वाले मेले में प्रतिदिन करीब एक लाख लोग देवघर पहुंचते हैं। बिहार और झारखंड की 108 किलोमीटर की लंबी पट्टी पर लगने वाले मेला का अधिकांश भाग बिहार में पड़ता है। इसके मद्देनजर हाई कोर्ट रांची ने बिहार सरकार को भी पार्टी बनाने का आदेश दिया है। 

झारखंड सरकार द्वारा श्रावणी मेला-2020 रद कर देने के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुरी में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा आयोजन को हवाला दिाय गया है। उसी तर्ज पर श्रावणी मेला की अनुमति देने की मांग की गई है। याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद होई कोर्ट ने झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 30 जून को होगी। अब सबकी निगाहें अगली सुनवाई पर टिक गई है। 

श्रावणी मेला नहीं लगने से 1500 करोड़ की अर्थव्यवस्था पर चोट

श्रावणी मेले पर झारखंड के देवघर और दुमका के साथ ही बिहार के भागलपुर, मुंगेर और बांगा जिले की अर्थव्यवस्था आधारित है। बिहार के सुल्तानगंज और झारखंड के देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर से लेकर दुमका के बाबा बासुकीनाथ मंदिर तक करीब 150 किलीमोटर की पट्टी के आस-पास के लोगों को श्रावणी मेले का इंतजार रहता है। यहां कहावत भी है कि एक महीने की कमाई लोग साल भर खाते हैं। हमारे देवघर संवाददाता राजीव के अनुसार श्रावणी मेले की अर्थव्यवस्था सिर्फ देवघर ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों को परोक्ष और अपरोक्ष रूप से प्रभावित करती है। बिहार के सुल्तानगंज से लेकर देवघर और  दुमका के बासुकीनाथ तक तकरीबन 150 किलोमीटर के दायरे में फैले श्रावणी मेले का कारोबार तकरीबन 1000 से 1500 करोड़ रुपये के बीच आंका जाता है।

सिर्फ देवघर में सावन और भादो माह की अर्थव्यवस्था 200 से 500 करोड़ के बीच बताई जाती है। जिसमें पंडा- पुरोहितों का दक्षिणा शामिल नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक सावन महीने में पेड़ा, प्रसाद सामग्री, स्थानीय उत्पाद, हरी सब्जी, दूध, दही, खोआ, वस्त्र, जूता- चप्पल, आचार, कांवर, बर्तन समेत अन्य जरूरत की सामग्रियां यहां की अर्थव्यवस्था के मुख्य स्रोत तो हैं ही साथ ही होटल व्यवसाय, ट्रांसपोर्ट एवं बड़ी संख्या में उपलब्ध मानव संसाधन पूरे अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इससे इतर देश के विभिन्न सामग्रियों व उत्पादों के रोजगारी मेले में अपनी दुकान सजाने पहुंचते हैं सो अलग। यही वजह है कि श्रावणी मेला को लेकर यहां दो माह पूर्व से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं लेकिन इस बार कोविड-19 की वजह से श्रावणी मेला के आयोजन को लेकर संशय है। केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के स्तर से आठ जून से धार्मिक स्थलों को खोले जाने के लिए जारी गाइडलाइंस के बावजूद झारखंड सरकार ने श्रावणी मेला का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया है।

  • देवघर जिले की आबादी तकरीबन 16 लाख के करीब है। सावन में परोक्ष और अपरोक्ष रूप से आधी आबादी श्रावणी मेला से जुड़कर रोजी- रोजगार चलाते हैं।
  • देवघर में सिर्फ 50 हजार के करीब आबादी पंडा- पुरोहितों की है जिनके लिए सावन खास है।
  • सुल्तानगंज से बासुकीनाथ तक तकरीबन एक लाख से अधिक स्थायी और अस्थायी दुकानें सज जाती हैं। देवघर शहर की अधिसंख्य आबादी सावन के मेले से प्रभावित होती है। देवघर बाजार की निर्भरता सावन और भादो माह में आने वाले 30 लाख (पिछले वर्ष के सावन का आंकड़ा) से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ तय करती है।
  • सिर्फ देवघर में सावन माह में 300 से 500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है।
  • अभी लॉकडाउन जारी है इसलिए अभी नुकसान का आकलन बताने की स्थिति में कोई नहीं है।
  • लॉकडाउन की वजह से पूजा और प्रसाद की अधिकांश दुकानें बंद है। अगर कुछ आंशिक तौर पर खुल भी रहीं हैं तो खरीदार कोई नहीं है। अधिकांश दुकानदार बेरोजगार बैठे हैं और सरकार के आदेश का इंतजार कर रहे हैं।

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