राम-सीता विवाह के रीतियों का होता अनुसरण
देवघर : बीएड कॉलेज में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के पांचवें दिन रविवार को भी बड़
देवघर : बीएड कॉलेज में चल रहे नौ दिवसीय संगीतमय रामकथा के पांचवें दिन रविवार को भी बड़ी संख्या में लोग आयोजन स्थल पर मौजूद थे। कथा वाचक कपिल भाई ने राम-सीता विवाह के प्रसंग से बताया कि इस विवाह में जिन रीतियों को अपनाया गया उसका अनुसरण आज भी होता है। कन्या के विवाहोत्सव में इसका अनुसरण एवं अनुपालन किया जाता है। ऐसे विवाह प्रसंग सुनने से भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है।
इस दौरान उन्होंने इस विवाह में अपनाई गई परंपरा व रीतियों का विस्तार से वर्णन किया और कहा कि धनुष भंग के पश्चात सियाजी, श्रीराम को जयमाल पहनाती हैं। धनुष भंग की जानकारी से परशुराम क्रोधित होते हैं, लेकिन भगवान श्रीराम की महिमा व पराक्रम देखकर वापस तप के लिए चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि विवाह न केवल दो लोगों बल्कि दो परिवारों का भी बंधन है, इसे बहुत ही जिम्मेदारी से निभाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भगवान के श्रीचरणों में ही उद्धार है। प्रभु का ध्यान करते हुए नेक कर्म किया जाए तो जीवन बहुत आसान हो जाएगा।