गुरु दीक्षा का पर्व दिशोम बेलबरन की धूम
संवाद सहयोगी मधुपुर(देवघर) संताल परगना सहित झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में रहनेवाले प्रकृ
संवाद सहयोगी, मधुपुर(देवघर): संताल परगना सहित झारखंड के विभिन्न क्षेत्रों में रहनेवाले प्रकृति प्रेमी संताल आदिवासियों के गुरु दीक्षा का त्योहार बेलबरण शुरू हो गया है। दिशोम बेलवरण स्थापित देवी दुर्गा की प्रतिमा पर नमन करने के बाद विजयादशमी को विसर्जित करने के साथ ही संपन्न होगा। जंगल, जल व जमीन के साथ प्रकृति के इस समुदाय का युग-युगांतर से अटूट संबंध रहा है। समुदाय के लोग अपनी बीमारी का उपचार जड़ी-बूटियों के माध्यम से करते रहे हैं। गांव के बुजुर्ग व जड़ी बूटियों के जानकार गुरु प्रतिवर्ष इस अवसर पर अपने शिष्यों को विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग जड़ी-बूटी के साथ कुछ मंत्रों से अपने शिष्यों को अवगत कराते हैं। इन जड़ी-बूटियों की पहचान व मंत्रों को सिद्ध करने के लिए अपने शिष्यों को पहाड़ व जंगल ले जाते हैं। गुरु से दीक्षा लेने का यह क्रम कई दिनों तक चलता है। इसके शिष्य अलग-अलग टोली में आकर्षक परिधानों में सज-धजकर हाथ में मयूर का पंख, झाल ढोल व नगाड़े लेकर नाचते-गाते हैं। गुरु दक्षिणा चुकाने के लिए अपने अपने क्षेत्र में रुपया एकत्र करते हैं। प्रत्येक गांव में संताल समुदाय के नवयुवक गुरु ज्ञान प्राप्त करने की खुशी से झूम उठते हैं। इसके साथ ही परंपरागत गाजे-बाजे के साथ पांच दिनों तक चलनेवाला महान त्योहार दसई शुरू हो जाता है, जो विजयादशमी को गांव के समीप स्थापित देवी दुर्गा की प्रतिमा पर नमन करने के बाद विसर्जित हो जाता है। करीब पांच से छह दिनों तक चलने वाले इस त्यौहार में नवयुवक शिष्य अपने गांव के गुरु के प्रति विशेष आदर का भाव प्रदर्शित करते हैं।