कोविड नियमों का पालन कर मंदिर खोले सरकार, वरना भूखे मर जाएंगे दुकानदार
जागरण संवाददाता देवघर देवघर के ज्यादातर दुकान व बाजार बाबा बैद्यनाथ मंदिर पर आश्रित हैं अ
जागरण संवाददाता, देवघर: देवघर के ज्यादातर दुकान व बाजार बाबा बैद्यनाथ मंदिर पर आश्रित हैं और तकरीबन डेढ़ साल से बाबा मंदिर बंद है। मंदिर बंद रहने से पूरा पुरोहित समाज, दुकानदार एवं होटल व्यवसाय पूरी तरह प्रभावित हो चुका है। दुकानदारों का सब्र जवाब दे दिया है। मंगलवार को फेडरेशन आफ झारखंड चैंबर, संताल परगना चैंबर और देवघर चैंबर ने संयुक्त रूप से आखिर कब खुलेगा बाबा मंदिर, अब तो सुध ले सरकार विषय पर परिचर्चा की। दुकानदारों ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि अब सरकार सिर्फ मंदिर खोल दे। बाबा बैद्यनाथ उनके पालन हार हैं। उनके भरोसे ही आज तक जीवन चली है आगे भी चल जाएगी। सरकार से सबने मांग और प्रार्थना किया कि मंदिर खोलने में अब देरी नहीं करे, वरना धीरे धीरे एक एक कर दुकानदार भूखे मर जाएंगे।
कोविड नियम का पालन कर सीमित संख्या में हो पूजा फेडरेशन आफ झारखंड चैंबर आफ कामर्स के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष आलोक मल्लिक ने कहा कि महाकाल, काशी विश्वनाथ, तिरूपति एवं बंगाल के तारापीठ में भक्तों के पूजा पद्धति को मानक मानकर बाबा मंदिर में भी सुविधा विकसित की जाए। सरकार महामारी से बचाते हुए आजीविका बरकरार रखना उपाय करे। व्यापारियों को कोई आर्थिक एवं राहत पैकेज की जरूरत नहीं है।
संताल परगना चैंबर आफ कामर्स के अध्यक्ष गोपाल कृष्ण शर्मा ने कहा कि मंदिर बंद रहने से केवल देवघर ही नहीं कई प्रांत प्रभावित है। सबका रोजगार प्रभावित है। सरकार सीमित संख्या में अरघा सिस्टम से पूजा शुरू कराए। संप चैंबर के सचिव संजय मालवीय ने कहा कि राग-द्वेष की राजनीति से उपर उठकर सरकार सबके बारे में सोचे। सरकार की नीति किसी काम की नहीं है। होटल व्यवसाय खोलकर मंदिर बंद रख दिया। कर्मियों को हटा नहीं सकते हैं। ट्रेड लाइसेंस लेना है, बिजली बिल देना है और समय पर होल्डिग नहीं दिया तो दंड भी देना है। देवघर चैंबर के अध्यक्ष रवि केसरी ने कहा कि सरकार से मिले संकेत के मुताबिक जल्द ही मंदिर खुलने की संभावना है। मंदिर नहीं खुलने से परेशानी है। संरक्षक अशोक सर्राफ ने कहा कि सरकार को सोचना चाहिए कि जनता ही मालिक है, यदि उसे कष्ट होगा तो उसका परिणाम भी समय पर आएगा। रेस्टोरेंट व्यवसाय के प्रतिनिधि उमेश राजपाल ने कहा कि मंदिर नहीं खुलने के कारण पूरा व्यवसाय चौपट हो गया है। अब बस सरकार मंदिर खोल दे।
------------------------ बच्चा सो जाता है, तब दुकान से घर आते हैं दुकानदार सुभाष गुप्ता ने कहा कि बच्चा जब सो जाता है तब दुकान से घर जाते हैं। क्योंकि तीर्थयात्री नहीं आ रहे हैं, दुकान में बिक्री नहीं हो रही है तो रात में बच्चों के लिए क्या लेकर जाएंगे। पहले दोना में मिठाई लेकर जाते थे अब वह स्थिति भी नहीं है। 18 महीना का कष्ट अब बताने लायक नहीं रह गया है। मंदिर के पूरब दरवाजा पर दुकान चलाने सुभाष केसरी ने कहा कि अब दिमाग भी काम नहीं कर रहा है कि क्या करें और क्या नहीं करें। समीर केसरी ने कहा कि दर्द जानने से अच्छा है कि सरकार मंदिर खोल दे। कपड़ा व्यवसायी पंकज कुमार ने कहा कि पूंजी खत्म हो गई है। बैंक को समय पर ब्याज और मकान मालिक को समय पर किराया चाहिए। दो साल में पांच लाख रुपया किराया दे चुके और आमद शून्य है। अब तो दुकानदार कर्जदार के डर से देवघर छोड़कर भागने लगे हैं। बासुकी केसरी ने कहा कि देवघर में अतिथि नहीं आए तो हमलोग भूखे रह जाएंगे। यह हाल पिछले डेढ़ साल से है।
डेकारेटर्स ऐसोसिएशन के अध्यक्ष उपेंद्र कुमार ने कहा कि मंदिर से ही सबका कारोबार जुड़ा हुआ है। मंदिर बंद है तो शादी-ब्याह, पार्टी सब बंद है। कर्मचारी को घर से भुगतान कर रहे हैं। चूड़ी दुकानदार राजा राम केसरी ने कहा कि दो साल से दुकान का किराया दे रहे हैं। अब तक पांच लाख से अधिक का भुगतान कर दिए हैं। अब तो भूखमरी की स्थिति हो गयी है।
चंदन केसरी ने कहा कि सरकार से कोई पैकेज नहीं चाहिए। वह मंदिर खोल दे हमलोग कमाकर खा लेंगे। बाबा हमारा और हमारे परिवार का पेट भरते आए हैं आगे भी भर देंगे, बस दुकान चल जाए। होटल व्यवसायी कृष्णा केसरी ने कहा कि मंदिर बंद रहने से देवघर की छवि भी खराब हो रही है। मुख्यमंत्री से एक ही आग्रह है कि वह मंदिर खोल दें। चूड़ी दुकानदार मोहनलाल और रवि चंद्र साह ने भी अपनी व्यथा सुनायी।