मधुपुर की महिला कोरोना योद्धा सैंड्रा सुब्बा
संवाद सहयोगी मधुपुर (देवघर) कहते हैं न कि घुप्प अंधेरे को प्रकाश द्वारा ही पराजित कि
संवाद सहयोगी, मधुपुर (देवघर) :
कहते हैं न कि घुप्प अंधेरे को प्रकाश द्वारा ही पराजित किया जा सकता है। राष्ट्रव्यापी कोरोना महामारी के निराशा के इस अंधेरे काल में कमजोर तबके के लोगों जिनका गुजारा मांग-छांग कर या कुछ छोटे-मोटे कार्य कर मिले पैसे द्वारा चलता है। उनके वर्तमान अंधेरे जीवन पथ पर कुछ हद तक प्रकाश बिखेरने का कार्य लाइट एंड द वे फाउंडेशन द्वारा किया गया। यह तब हुआ जब लोग एक दूसरे से दूर रहना चाहते थे। घर में रहते थे। तब कोरोना महामारी के मुश्किल वक्त में बंदर नचाने वाले, कूड़ा चुनने वाले, रिक्शा- ठेला चलाने वाले, भीख मांगने वाले और मजदूरी करने वाले असहाय लोगों के करीब 70 बच्चों को सैंड्रा सुब्बा ने दो जून की खुराक देने की कोशिश की। बगैर किसी सरकारी अथवा गैर- सरकारी सहयोग के असहाय, महादलित बच्चों के लिए शांति विला में शिक्षा केंद्र का संचालन भी इस फाउंडेशन द्वारा किया जाता है। इसके अलावा मधुपुर प्रखंड के आदिवासी बहुल गांव सोनाजोरी में भी इनके द्वारा असहाय बच्चों के लिए शिक्षा केंद्र का संचालन किया जा रहा है। फाउंडेशन के कार्यों की जानकारी जब स्थानीय कुमार विक्रम और उनके साथी विजय कुमार, जय राम प्रसाद, नीरज भाई आदि की टीम को मिली तो वह सभी असहाय गरीब बच्चों की मदद को आगे आ गए। सामाजिक कर्मी सेण्ड्रा सुब्बा का कहना है कि मनुष्य को अपने अर्जित किए हुए धन का दसवां भाग जरूरतमंदों की मदद के लिये अवश्य रखनी चाहिए। कोरोना त्रासदी काल में सैण्ड्रा सुब्बा का सेवा भाव भावी पीढ़ी के लिए मिसाल बना है।