कचरा से बनी खाद खेतों में लाएगी हरियाली
अमित सोनी देवघर छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर किसानों की सबसे बड़ी समस्या उनके खेतों
अमित सोनी, देवघर : छोटे और आर्थिक रूप से कमजोर किसानों की सबसे बड़ी समस्या उनके खेतों में लगी फसल के पैदावार को बढ़ाने की होती है। पैदावार बढ़ाने के लिए खाद की जरूरत होती है। बाजारों में उपलब्ध खाद की कीमत इतनी होती है कि किसान अपने खेतों में नहीं डाल सकते है। हालांकि सरकार की ओर से सब्सिडी पर खाद किसानों को मुहैया कराने की व्यवस्था तो करती है, लेकिन अमूमन इसका लाभ सभी किसान नहीं उठा सकते हैं। ऐसे में पछियारी कोठिया में नगर निगम द्वारा स्थापित और एमएसडब्लूएम द्वारा संचालित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन यूनिट में तैयार खाद इन किसानों के लिए वरदान साबित होगा। यहां शहर से उठाव किए जाने वाले कचरा को कई प्रक्रिया में गुजरने के बाद में जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। जो किसानों को सस्ते दामों में आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। किसानों को दो से तीन रुपये प्रतिकिलो की दर से उपलब्ध हो सकेगा। यहां तैयार खाद की पैकिग कर बाजारों में भेजे जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अबतक पांच टन तैयार खाद को बाजार में भेजा जा चुका है, जबकि प्रत्येक शिफ्ट में 25-30 टन खाद बनाने की क्षमता है।
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35 दिनों में तैयार होता है खाद
यहां घरों और बाजारों से लाए गए कचरा को कई प्रक्रिया से गुजारने के बाद खाद तैयार किया जाता है। यूनिट में प्रतिदिन पांच टन खाद तैयार करने की क्षमता है। खाद को पूरी तरह से तैयार होने में 35 दिनों का समय लगता है। इससे पहले लाए गए कचरा को सबसे पहले सूखा और गीला कचरा में अलग किया जाता है। कचरा को कन्वर्ट बेल्ट में डाला जाता है। यहां सौ एमएम से बड़ा कचरा (आरडीएफ) को अलग कर दिया जाता है। कचरा को पांच अलग-अलग भागों में बांटा जाता है। इसमें पहला कंपोस्ट, दूसरा बायो, तीसरा कंस्ट्रक्शन मैटेरियर, चौथा स्क्रब और पांचवां आरडीएफ को अलग किया जाता है। अलग किए गए कंपोस्ट को 35 दिनों के लिए एक स्थान पर गुड़, गोबर मिलाकर रखा जाता है। अवधि पूरा होने के बाद इसे रिफाइन यूनिट में डाला जाता है। इसके बाद इसे दो अलग-अलग रिफाइन यूनिट में डाला जाता है। जहां छह एमएम का प्लास्टिक और पत्थर सहित खाद के लिए हानिकारक पदार्थ को अलग कर दिया जाता है।
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कचरा का 25 फीसद तैयार होता है खाद
कई प्रक्रिया से गुजरने के बाद एक टन कचरा का 25 फीसद भाग से खाद तैयार किया जाता है। कचरा से 40 फीसद आरडीएफ, 20 फीसद कंस्ट्रक्शन मैटेरियल और 15 फीसद बायोटिक बेस्ट के रूप में अलग किया जाता है। शेष बचे भाग से खाद तैयार किया जाता है।
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रोजगार का बड़ा साधन
2018 में स्थापित राज्य का दूसरा सबसे बड़ा ठोस अपशिष्ट कचरा प्रबंधन यूनिट पर्यावरण स्वीकृत नहीं मिलने की वजह से काम लटका पड़ा था, लेकिन दो माह पूर्व नगर आयुक्त शैलेंद्र कुमार लाल के प्रयास के बाद यूनिट को स्वीकृत मिल जाने के बाद खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यूनिट में खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू होने से आसपास के लोगों के लिए भी रोजगार का बड़ा साधन बन चुका है। वर्तमान समय में यहां 25-30 मजदूर कार्यरत हैं। ऐसे में घर में रहकर इन लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सका है।