सत्य के पथ पर चलने वालों की होती विजय
नई कॉलोनी में हो रहे रामलीला महोत्सव के छठे दिन शनिवार की रात लक्ष्मण शक्ति व कुंभकरण वध का मंचन किया गया।
चितरा : नई कॉलोनी में हो रहे रामलीला महोत्सव के छठे दिन शनिवार की रात लक्ष्मण शक्ति व कुंभकरण वध का मंचन किया गया। बनारस के कलाकारों की जीवंत प्रस्तुति से प्रभावित होकर दर्शक मंत्रमुग्ध सा कार्यक्रम पर्यंत भगवान की लीला का दर्शन करते रहे। कलाकारों ने इस प्रसंग के मंचन के माध्यम से बताया कि धर्म और सत्य के रास्ते पर चलने वाले भले ही पग-पग पर ठोकर खाते रहते हैं। जीवन की खुशियां इन्हें नसीब नहीं होती। अधार्मिक और असत्य का आचरण करने वाले मजे में जीवन गुजारते हैं। लेकिन विजय उनकी ही होती है, जो धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं और सत्य के पथ का अनुसरण करते हैं। कुंभकरण महाज्ञानी रावण का साथ दे रहे थे। लेकिन उन्होंने सीता का हरण करके महापाप किया था। महापंडित व महाज्ञानी होने के बावजूद ऐसा कुकर्म करके रावण ने अपने माथे पर कलंक का टीका लगा लिया। इस महापापी का साथ कुंभकरण का मिल रहा था। कुकर्म का साथ देने वाले एक तरह से कुकर्मी होते हैं। इनका विनाश होना तय है। ऐसा ही कुंभकरण के साथ भी हुआ। काफी शक्तिशाली होने के बावजूद कुंभकरण लक्ष्मण के शक्ति के सामने टिक नहीं पाए। उनका वध कर दिया गया। बता दें कि इस धार्मिक लीला की प्रस्तुति को दर्शक पलक झपकाये बिना दर्शन कर रहे थे। सबों को यह आभास हो गया कि दुराचारी पापाचारी की मौत कुत्ते के जैसे होती है। सामान्य मौत इन्हें कभी नसीब नहीं होती।