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10 एकड़ बंजर जमीन पर लगाए आम के 2800 पौधे

अभी तक इस प्रकार की मांग किसानों द्वारा नहीं की गई है। अभी सिचाई कूप का निर्माण नहीं हो सकता है। अगर किसान आवेदन दे तो सितंबर-अक्टूबर में सिचाई कूप दिया जा सकेगा। देवेन्द्र झा बीपीओ (मनरेगा)

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 11:05 PM (IST)Updated: Wed, 10 Jun 2020 06:25 AM (IST)
10 एकड़ बंजर जमीन पर लगाए आम के 2800 पौधे
10 एकड़ बंजर जमीन पर लगाए आम के 2800 पौधे

संवाद सहयोगी, करौं (देवघर): करौं प्रखंड मुख्यालय के बगल में चोरवरिया गांव है। यहां के लगभग 10 एकड़ बंजर थी। बागवानी मिशन से प्रेरित होकर किसान बिरेंद्र सिंह व शंकर सिंह ने फलदार पौधे लगाए। देखभाल की। उनकी भरसक प्रयास से आज 10 एकड़ बंजर जमीन में 2800 आम के पेड़ लहलहा रहे हैं। आम भी फलने लगा है। वर्तमान में यहां लगा पेड़ पर्यावरण संरक्षण के अलावा आर्थिक लाभ का स्त्रोत बन चुका है। अब इन इलाके में इनकी पहचान खास लोगों में होने लगी है।

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वन विभाग का मिला सहयोग

किसान बिरेंद्र सिंह ने बताया कि छ: साल पूर्व तक यह जमीन बिल्कुल बंजर थी लेकिन विभाग के वनरक्षी ओमप्रकाश साह ने यहां आम का पौधा लगाने के लिए प्रेरित किया। पौधा लगाने के लिए वन महकमा की ओर से मदद दी गई। उसके पास आठ एकड़ जमीन थी। इसके अलावा उन्होंने करौं के गुरुदास बनर्जी एवं चांदचौरा के धर्मदास को उनकी जमीन पर आम का बगीचा लगाने के लिए राजी किया और सब मिलकर 3000 हजार आम के पौधे लगाए। पेड़ की रक्षा के लिए चारों ओर गड्ढा खोदाई की।

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सिचाई की सुविधा नहीं होने से परेशानी

विरेंद्र ने कहा कि पौधा लगाने के बाद सिचाई के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। पूर्व में मनरेगा से बना सिचाई कूप सहारा बना लेकिन सिचाई के लिए एक कुआं पर्याप्त नहीं है। पहले पंप लगाकर एक गड्ढे में पानी जमा करना पड़ता था। इसके बाद बाल्टी से पौधों का पटवन करना पड़ता था। कहा कि सिचाई के अभाव में 300 पौधों को नहीं बचा सके। इसके लिए कई बार प्रखंड का चक्कर भी लगा चुके हैं।

-------------------- आंधी-पानी से आम के फसल को भारी नुकसान हुआ है लेकिन इस वर्ष आम से 20 हजार रुपये की आमदनी हुई है। कहा कि आम की रखवाली करने में काफी परेशानी हो रही है। अगर बागीचे की घेराबंदी हो जाए तो काफी सहूलियत हो सकती है।

शंकर सिंह, किसान

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कुआं व पंप नहीं रहने से पेड़ों की सिचाई में काफी परेशानी होती है। बगीचा में एक कुंआ है लेकिन इसमें पर्याप्त पानी नहीं है। सिचाई की सुविधा मिल जाए तो आम का उत्पादन अच्छा होगा।

विरेंद्र सिंह, किसान

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अभी तक इस प्रकार की मांग किसानों द्वारा नहीं की गई है। अभी सिचाई कूप का निर्माण नहीं हो सकता है। अगर किसान आवेदन दे तो सितंबर-अक्टूबर में सिचाई कूप दिया जा सकेगा।

देवेंद्र झा, बीपीओ (मनरेगा)

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