46 साल बाद बाबा मंदिर को मिला सरदार पंडा
देवघर : 11 मार्च 1970 को बाबा बैद्यनाथ मंदिर के नौवें सरदार पंडा भवप्रीता नंद ओझा के निधन के बाद आज
देवघर : 11 मार्च 1970 को बाबा बैद्यनाथ मंदिर के नौवें सरदार पंडा भवप्रीता नंद ओझा के निधन के बाद आज तक गद्दी के उत्तराधिकार का मामला न्यायालय में चलता रहा। सरदार पंडा के नि:संतान थे इसलिए कारण कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। ब्रिटिश इंडिया कंपनी के समय बने कानून में बड़े बेटे का बड़ा लड़का ही उत्तराधिकारी होगा। यह वंशानुगत कानूनी अधिकार के तहत तय किया गया है। अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के उपाध्यक्ष दुर्लभ मिश्र का कहना है कि वंशानुगत कानूनी अधिकार के तहत परंपरानुसार बड़े बेटे का बड़ा लड़का ही उत्तराधिकारी होगा। जो फैसला आया है वह यही है कि फर्स्ट रूल को ही माना गया है और सेकेंड रूल को खारिज कर दिया गया है। बताया जाता है कि उत्तराधिकार के कई दावेदारों ने अजितानंद के पक्ष में अपना दावा वापस ले लिया तो कई का दावा खारिज हो गया।
सात जल से होगा अभिषेक
अजितानंद झा से अजीतानंद ओझा बनने से पूर्व सात जल से अभिषेक होगा। उससे पूर्व मंदिर में ही उनका मुंडन होगा। चांदी की छतरी में लाकर उनके वंश के वरीय सदस्यों द्वारा उन्हें गद्दी पर बैठाया जाएगा। मंदिर के सरदार पंडा की परंपरा के मुताबिक गंगा समान सात नदी जाकर स्नान करना होगा। देश के विभिन्न तीर्थ की परिक्रमा करेंगे। राज्याभिषेक की तरह सात नदी के जल से अभिषेक कराने के बाद मंदिर के सरदार पंडा की गद्दी पर बैठेंगे।
परिवार में खुशी
अजितानंद झा के बड़े पुत्र गुलाब नंद झा कोर्ट का फैसला आने के बाद बाबा मंदिर पहुंचे। कहा कि 22 साल बाद वह मंदिर के गद्दी के निकट आए हैं। नारियल फोड़कर खुशी जाहिर की। गुलाब ने कहा कि वह मन्नत मांगे थे जब निर्णय आएगा तब नारियल फोड़कर ही कार्यालय के दरवाजा पर आएंगे। बाबा ने आज पूरा कर दिया।