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संजू का हुनर बना कोरोना से जंग में हथियार

जुलकर नैन चतरा यह कहानी हंटरगंज अंचल में एक छोटे से गांव बारा के गणेश दुबे की बिि

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 07:43 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 07:43 PM (IST)
संजू का हुनर बना कोरोना से जंग में हथियार
संजू का हुनर बना कोरोना से जंग में हथियार

जुलकर नैन, चतरा: यह कहानी हंटरगंज अंचल में एक छोटे से गांव बारा के गणेश दुबे की बिटिया संजू मिश्रा की है। एक ऐसे परिवार की बिटिया जिसके बुजुर्ग से लेकर बच्चे तक संगीत को समर्पित हैं। शास्त्रीय संगीत की विधा में राष्ट्रीय फलक पर उनकी पहचान है। जाहिर तौर पर यह बिटिया भी अपने घराने की विधा से अछूती नहीं है। मगर गणेश दुबे की संगीत बगिया के इस फूल का सामाजिक गतिविधियों में भी जबर्दस्त हस्तक्षेप है। वह सामाजिक पटल पर ऐसा हस्ताक्षर बन गई है जो बहू-बेटियों के लिए आदर्श प्रस्तुत कर रही है। खासकर वैश्विक महामारी कोविड 19 के दौर में तो उसने आधी आबादी की आंखें खोल देने वाला उदाहरण पेश किया है। सुशिक्षित समाज गढ़ने में जुटी इस संगीत शिक्षिका संजू ने नारी सशक्तिकरण के साथ बेरोजगारी उन्मूलन की जबर्दस्त कहानी भी लिख डाली है। स्नातक (हिदी प्रतिष्ठा) और संगीत (गायन) में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल करने के बाद संजू बतौर संगीत शिक्षिका मधुबनी ( बिहार) के पोल स्टार डे बोर्डिंग हाईस्कूल में बहाल हो गईं। ससुराल में मधुबनी पेंटिग (मिथिला पेंटिग) के कई दक्ष चित्रकार थे। वह भी इस कला से प्रभावित हुई और उसे पूरे मनोयोग से हासिल किया। संगीत शिक्षण और गृह कार्यों को संभालते हुए मधुबनी पेंटिग को स्वरोजगार का माध्यम बनाया। अपनी पुत्री सिद्धिता मिश्रा समेत पास-पड़ोस की बहू-बेटियों को उसका प्रशिक्षण देकर उससे जोड़ना प्रारंभ किया। देखते-देखते करीब डेढ़ सौ महिलाएं जुड़ गईं। इस कार्य में उनके पति संजय मिश्र समेत संपूर्ण परिवार का सहयोग और प्रोत्साहन मिला। इधर, जब वैश्विक महामारी कोविड19 से मानवता पीड़ित हुई तो उन महिलाओं ने मिथिला पेंटिग मास्क बनाना शुरू कर दिया। नाम दिया ''स्व धी'' मास्क। विशुद्ध खादी के उनके आकर्षक मास्क ने बाजार में धूम मचा रखी हैं। संजू की मानें तो उनके मास्क की आपूर्ति भारत के अलावा नेपाल, भूटान, यूएई और श्रीलंका में भी की जा रही है। अब मधुबनी पेंटिग के मास्क उत्पादन में जुटी महिलाएं स्वरोजगार पाकर न सिर्फ आर्थिक रूप से सक्षम हो गईं, बल्कि अपने घर-परिवार चलाने में भरपूर सहयोग कर रही हैं। खासकर कोरोना संकट के बुरे दौर में उनकी चहुंओर प्रशंसा हो रही है। घर-परिवार में भी उनका मान-सम्मान बढ़ा है।

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