ढाक बजते ही माता के दर्शन को खुला पंडालों का पट
संवाद सूत्र चतरा ढाक बजा पट खुला और जगत जननी महामाया प्रकट हुई। भक्तों ने जयकारे के
संवाद सूत्र, चतरा : ढाक बजा, पट खुला और जगत जननी महामाया प्रकट हुई। भक्तों ने जयकारे के साथ माता रानी का दर्शन किया। कोविड-19 को लेकर इस बार सार्वजनिक पूजा पंडालों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। पंडालों का आकार को छोटा कर मां दुर्गे की प्रतिमा स्थापित की गई है। शुक्रवार को ढाक बजते ही मां के दर्शन को पंडालों का पट आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिया गया। देवी मंदिरों और पूजा पंडाल माता के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। शंख घंट की ध्वनि से वातावरण प्रतिध्वनित हो उठी। पुजारियों ने मंत्रोच्चार किया। भक्तों ने पुष्प वर्षा की। सर्वत्र भक्ति का ज्वार उमड़ पड़ा। चहुंओर आस्था का सैलाब प्रवाहित हो उठा। सभी के शीश माता के चरणों में झूके हुए। सभी की चाहत माता की इस नयनाभिराम छवि को निहारने के की। सभी की इच्छा माता को आंखों में बसा लेने की। क्या अमीर, क्या गरीब, क्या छोटा क्या बड़ा, आज सभी है याचक, सभी हैं भीक्षुक सभी माता के सामने नतमस्तक, मांग लो जो चाहो आज माता स्वयं धरा पर पधारी हैं। सभी का पीड़ा हरने, जगत का कल्याण करने, मिट गई दूरियां, खत्म हो गए भेदभाव, माता के समक्ष सभी एक, सब बराबर सभी को उनसे कृपा की आवश्यकता, सभी को उनसे दया की कामना, पूजा की थाल लिए महिलाएं भक्ति की अतिरेक में झूमते पुरुष, माता को अपलक निहारते बच्चे, मंत्रों का अनवरत जाप करते साधक, मंत्रोच्चारण करते पुजारी, गांव से लेकर शहर तक माता की आराधना में डूबे लोग। इधर सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है। पूजा पंडालों के आसपास सुरक्षा कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। उसके अलावा सभी देवी मंदिरों के आसपास में भी दंडाधिकारी के साथ पुलिस के जवान प्रतिनियुक्त किए गए हैं। कोरोना के कारण इस बार पंडालों को भव्य रूप नहीं दिया गया है और नहीं लाइट व द्वार बनाए गए हैं। बिल्कुल सादगी का ²श्य है।