कौलेश्वरी पर्वत पर विदेशी सैलानियों की बहार
हंटरगंज : तीन धर्मो बौद्ध, जैन और सनातन के संगम स्थल कौलेश्वरी पर्वत पर विदेशी सैलानियों की ब
हंटरगंज : तीन धर्मो बौद्ध, जैन और सनातन के संगम स्थल कौलेश्वरी पर्वत पर विदेशी सैलानियों की बहार आ गई है। पिछले तीन महीने में इसकी मनोरम छटा निहारने करीब 5000 विदेशी मेहमान पहुंच चुके हैं। विदेशी सैलानियों की बढ़ती आमद से कौलेश्वरी विकास प्रबंधन समिति गदगद है। समिति के सदस्य अमरेंद्र कुमार केशरी की मानें, तो यहां पहुंचने वाले सैलानियों में ज्यादातर नेपाल, भूटान, बर्मा, तिब्बत, जापान, श्री लंका, फ्रांस, यूके आदि के निवासी थे। इन विदेशी सैलानियों मे बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखने वाले थे। जानकारी के मुताबिक इन सैलानियों का आगमन वसंत ऋतु की शुरुआत तक जारी रहेगा। विडंबना यह कि इतनी बड़ी संख्या में विदेशी मेहमानों के आगमन के बावजूद उनकी सुविधा के नाम पर कोई खास इंतजाम नहीं है। यहां तक कि उन विदेशी सैलानियों की आमद के दिनों में शासन प्रशासन की ओर से न तो सुरक्षा प्रबंध किया जाता है और नहीं उन पर नजर रखने का कोई इंतजाम। हालांकि चतरा जिला प्रशासन और संबंधित जनप्रतिनिधि कौलेश्वरी पर्वत को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का अपना संकल्प दोहराते रहते हैं। अगर घर बात है कि उनका संकल्प जमीनी रूप अख्तियार करता नजर नहीं आता। इसे लेकर प्रबंधन समिति के कुछ सदस्य भी भीतर ही भीतर खीझे से रहते हैं। पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त कराने का अभियान चलाया जा रहा है, मगर कौलेश्वरी पर्वत इससें अछूता है। पर्वत और हटवरिया स्थित तलहटी में एक दो शौचालय का निर्माण हुआ अवश्य, मगर पानी की व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें चालू नहीं किया जा सका। ऐसी स्थिति में विदेशी सैलानियों को भी खुले में ही शौच जाना पड़ रहा है। पिछले 20 अगस्त 2017 को बौद्ध, जैन और सनातन की संवेदना से जुड़ी भैरवनाथ की मूर्ति चोरी हो गई। उस मूर्ति को बौद्धिष्ट भगवान बुद्ध, जैन धर्मावलंबी पारसनाथ और सनातनी भैरवनाथ के रूप में पूजते आए हैं। खासकर यहां पहुंचने वाले विदेशी बौद्धिष्ट इस प्रतिमा के दर्शन करना चाहते हैं। कौलेश्वरी विकास प्रबंधन समिति ने चोरी गई प्रतिमा जैसी दूसरी प्रतिमा का निर्माण तो करा लिया है, मगर उसकी स्थापना महीनों से लंबित है। इससे विदेशी सैलानियों में गलत संदेश जा रहा है। बहरहाल सबकी नजर भैरवनाथ प्रतिमा की स्थापना और फरवरी में घोषित रोपवे लगाने के काम की शुरुआत पर टिकी हुई है।