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जरूरत ने भगाया 'भूतों' को, बंजर में आई हरियाली

किसान भाइयों ने दूसरे किसानों के मन से भगाया भूतों का डर। जहां दिन में भी गुजरने से डरते थे लोग, एक दर्जन किसान कर रहे खेती

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 07:08 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 07:08 PM (IST)
जरूरत ने भगाया 'भूतों' को, बंजर में आई हरियाली
जरूरत ने भगाया 'भूतों' को, बंजर में आई हरियाली

चेतन पांडेय, पत्थलगडा (चतरा) : हिम्मत हो तो जरूरतों के पहाड़ के आगे भूत भी भागते हैं। चतरा के पत्थलगड़ा के दो किसान भाइयों ने ऐसा ही कर दिखाया। जेजला में जहां भूत के डर से लोग दिन में भी जाना सुरक्षित नहीं समझते थे जरूरत पड़ी तो दोनों भाइयों ने हौसला दिखा, बंजर में हरियाली ला दी।

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बंजर जमीन को उर्वर बना दी। आज सब्जी और दूरी खेती से उनकी तंगी दूर हो गई। खुद तो आत्मनिर्भर बने ही दूसरे किसानों के लिए भी रास्ता खोल दिया। बता दिया कि इच्छा शक्ति हो तो भूत का कोई अस्तित्व नहीं।

कृषि बहुल प्रखंड पत्थलगडा में जेजला नाम का एक स्थान है। लोग मानते थे कि यहां भूतों का डेरा है। रात की बात छोड़िए लोग दिन में भी इस इलाके से अकेले गुजरना सुरक्षित नहीं महसूस करते थे।

वहम इस कदर हावी था कि उधर से कोई गुजर जाता, तो समझो वह भूतों के चक्कर में पड़ गया। ओझा और गुनी, तंत्र-मंत्र और झाड़ फूक शुरू हो जाती। इलाके की जमीन बंजर पड़ी थी। कंकड़, पत्थर से भरी। घास का भी दर्शन मुश्किल था।

दांगी बंधुओं की पहल : बरवाडीह पंचायत के बेलहर गांव के विनय दांगी और रितुराज दांगी दोनों सगे भाई हैं। गरीबी और लाचारी ने दो जून की रोटी पर संकट पैदा कर दिया था।

हर कोशिश बेकार गई। लाचार हो कर दोनों ने कुदाल उठाई और खेती करने की ठानी। जेजला में लगभग दो एकड़ बंजर भूमि पर इन्होंने खेती शुरू की। शुरुआत में लोगों ने उन्हें यहां भूतों का भय दिखाकर खेती नहीं करने की सलाह दी।

विवशता से पैदा हौसला ले दोनों भाई अपनी जिद पर अड़े रहे। जेजला में जमीन की कोड़ाई, जोताई शुरू की, उपजाऊ बना दिया। वर्ष 2007 से जेजला की इस जमीन पर खेती शुरू की। आज जमीन पूरी तरह आबाद है, हरियाली छाई हुई है।

इस जमीन पर गोभी, टमाटर, बैंगन, मटर, मकई, प्याज आदि की फसल लहलहाती है। अभी चारों तरफ गोभी की हरी चादर से जमीन ढकी है। सब्जी के साथ मेड़ों पर पौधे लगा दिए। आम, आंवला, अमरूद, ऐलोबिरा, केला और भी दूसरे पौधे। अब तो पौधे भी पेड़ का आकार ले रहे हैं। आंवला ने भी फल देना शुरू कर दिया है।

दूसरों मन से भगाया भूत का डर : यहां खेती कर दोनों भाई खुश हैं। आर्थिक रूप से सबल बन रहे हैं। अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा भी दे रहे हैं। विनय दांगी और ऋतुराज दांगी कि मेहनत और परिश्रम के बदौलत जेजला की जमीन में लहलहाती फसलों ने दूसरे किसानों के मन से भी भूतों का डर भगा दिया।

दोनों भाई कहते हैं भूतों को लेकर लोगों के मन में वहम था। हमें तो कोई परेशानी नहीं हुई। दूसरे किसानों ने भी यहां खेती शुरू कर दी है। बेलहर, दुम्बी और बरवाडीह के करीब दो दर्जन से अधिक किसान अब यहां खेतीबारी करने लगे हैं।


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