लोकआस्था के महापर्व छठ की तैयारियों में जुटे व्रती
जागरण संवाददाता चतरा प्रकाश पर्व दिवाली संपन्न होने के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ क
जागरण संवाददाता, चतरा : प्रकाश पर्व दिवाली संपन्न होने के साथ ही लोक आस्था का महापर्व छठ की तैयारियां शुरू हो गई है। नेम-निष्ठा के इस पर्व को लेकर अभी से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। यूं तो महापर्व की शुरूआत बुधवार को नहाय-खाय के साथ होगी। छठ महापर्व पर कोविड-19 को जरा सा भी असर नहीं दिख रहा है। बल्कि यूं कहें कि इस बार व्रतियों की संख्या गत वर्ष से अधिक होगी। राज्य सरकार द्वारा घरों में ही भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की अपील को पूरी तरह से खारिज कर रहे हैं। लोग घाटों पर ही भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करेंगे। सरकार द्वारा दिशा निर्देश नहीं मिलने की वजह से इस बार अब तक छठ घाटों की साफ-सफाई शुरू नहीं हुई है। वैसे में आगे बढ़कर घाटों की साफ-सफाई करने का मन बना लिया है। ऐसी उम्मीद है कि मंगलवार से घाटों की साफ सफाई शुरू हो जाएगी। शहर में छह स्थानों पर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। जिसमें दीभा मोहल्ला स्थित छठ तालाब, चौर मोहल्ला स्थित कठौतिया तालाब, जतराहीबाग स्थित पुरैनिया तालाब, विकास भवन के समीप में स्थित हरलाल तालाब, चतरा-चौपारण पथ पर स्थित हेरू जलाशय और बाईपास रोड़ में स्थित बाबा घाट शामिल है। छठ तालाब, पुरैनिया तालाब और कठौतिया तालाब की सफाई नगर परिषद प्रशासन करवाता है। शेष अन्य की सफाई वहां की स्थानीय कमेटी द्वारा कराई जाती है। पूजा समितियों द्वारा घाटों को सजाने और संवारने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है। वैसे व्रतियों एवं श्रद्धालुओं का सर्वाधिक भीड़ शहर के छठ तालाब में ही उमड़ती है। आधी से अधिक आबादी यहां पर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने पहुंचते हैं। यही कारण है कि छठ तालाब को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। छठ तालाब के आसपास सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था होती है। पूजन सामग्रियों की दुकानों पर भीड़ उमड़ने लगी है। परिधान, साड़ी, चुड़ी, श्रृंगार प्रसाधन की दुकानों पर भीड़ देखते ही बन रही है। शुक्रवार को साप्ताहिक हाट में गेहूं, रावा गुड, सूप, दौरा आदि की बिक्री आसमान पर रही। बताते चलें कि चार दिवसीय महापर्व का आगाज बुधवार से हो रहा है। बुधवार को नहाय-खाय है। व्रती नजदीक के जलाशय में स्नान ध्यान करेंगे। उसके बाद अरवा चालक, दाल और कद्दु की सब्जी का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद भोजन करेंगे। भोजन के बाद निर्जला उपवास रहेंगे। दूसरे दिन अर्थात गुरुवार को खरना होगा। खरना के बाद शुक्रवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य के स्वरूप को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। वहीं शनिवार को उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके साथ ही महापर्व का संपन्न हो जाएगा।