छठ घाटों की शुरू नहीं हुई सफाई, चारों ओर पसरा कचरा
संवाद सहयोगी चतरा लोक आस्था एवं सूर्योपासना के महापर्व छठ को लेकर घाटों की साफ-सफाई
संवाद सहयोगी, चतरा : लोक आस्था एवं सूर्योपासना के महापर्व छठ को लेकर घाटों की साफ-सफाई शुरू नहीं हुई है। चार दिवसीय इस महापर्व की शुरुआत 18 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगी। छठ घाटों पर कूड़े-कचरे का अंबार लगा हुआ है। सफाई के लिए अभी तक न तो नगरपालिका प्रशासन और न ही स्वयंसेवी संस्थाओं ने हाथ बढ़ाया है।
शहर के छह छठ घाटों पर भगवान भास्कर को व्रतियों द्वारा अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इनमें छठ तालाब, हेरूआ छठ घाट, कठौतिया तालाब, बाबा घाट, हरलाल तालाब एवं पुरैनिया तालाब शामिल हैं। इन घाटों में सबसे पुराना और ऐतिहासिक छठ तालाब है। यही कारण है कि शहर के आधे से अधिक व्रती छठ तालाब में भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने पहुंचते हैं। लेकिन कोरोना के कारण यहां इस बार घाटों की साफ-सफाई पर प्रशासन कोई पहल नहीं किया है। चूंकि अबतक छठ पूजा मनाने को लेकर राज्य सरकार द्वारा किसी प्रकार का कोई गाइडलाइन जारी नहीं हुआ है। यही वजह है कि अधिकारी छठ घाटों की साफ-सफाई में अबतक शिथिलता बरते हुए हैं।
छठ घाट स्थित सूर्य मंदिर काफी पौराणिक एवं ऐतिहासिक है। एक समय यह शहर का एकमात्र छठ घाट था और पूरे शहर के श्रद्धालु भगवान भास्कर के अस्ताचलगामी और उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य अर्पित करने के लिए यहां आते थे। इतना ही नहीं निकटवर्ती गांव के श्रद्धालु भी पूजा-अर्चना के लिए यहां पहुंचते थे। बढ़ती आबादी को देखते हुए करीब 16 वर्ष पूर्व कठौतिया तालाब में छठ पूजा का आयोजन शुरू किया गया। इस घाट पर भी धीरे-धीरे अब व्रतियों की भीड़ जुटने लगी है। इसके कुछ वर्षों बाद हेरूआ नदी को छठ घाट के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा। उसके बाद स्थानीय युवकों ने हेरूआ नदी को घाट का शक्ल दिया। बाद में जिला प्रशासन ने विधिवत रूप से यहां घाट का निर्माण करवाया। करीब सात वर्षों से यहां सैकड़ों की संख्या में व्रती यहां आकर भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करते हैं।
बहरहाल उपासना के इस महापर्व की तैयारियां तो शुरू कर ली गई हैं, लेकिन घाटों की साफ-सफाई का कार्य शुरू नहीं होने से लोगों में थोड़ी निराशा है। हालांकि नगर पर्षद प्रशासन का कहना है कि घाटों की साफ-सफाई का कार्य एक-दो दिनों के भीतर शुरू कर दिया जाएगा।