हैवानियत से शर्मसार व दहशतजदा हैं महिलाएं
अमरेंद्र प्रताप सिंह हंटरगंज (चतरा) थाना क्षेत्र के एक विधवा से हैवाननियत की हद लांघ जाने
अमरेंद्र प्रताप सिंह, हंटरगंज (चतरा) : थाना क्षेत्र के एक विधवा से हैवाननियत की हद लांघ जाने से महिलाएं खौफजदा है। महिलाओं में असुरक्षा का भाव स्पष्ट झलक रहा है। महिलाओं का कहना है कि अब बहु-बेटियों की आबरू और जान सुरक्षित नहीं रही। आरोपित पिछले ढाई साल से पीड़िता की जान के पीछे पड़े थे। छह महीने पहले भी उनकी जान लेने की कोशिश हुई थी। हालांकि पीड़िता तब उनकी नासमझी मानकर खामोश रह गई थी। गुरुवार रात को भी हत्या की नीयत से ही सामूहिक दुष्कर्म और उस क्रूरतापूर्ण वारदात को अंजाम दिया गया है। उनका कहना है कि वह रात करीब बारह बजे पीड़िता की चीख-चीत्कार सुनकर घटनास्थल पर पहुंचे। वहां वह खून से लथपथ थी। उसके गुप्तांग से लगातार खून बह रहा था। गुप्तांग में एक छोटा स्टील का गिलास घुसेड़ा हुआ था। सफाई के दौरान उससे पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े भी निकले थे। उन्होंने मौका-ए-वारदात पर पहुंचे चतरा के एसपी ऋषभ झा को भी उन पत्थर के टुकड़ों को दिखाया।
दरअसल पीड़िता घर में अकेली रहती है। उनकी तीन बेटियां हैं। तीनों का विवाह हो गया है। सभी ससुराल में रहती हैं। पीड़िता के घर में कोई शौचालय नहीं है। स्वच्छ भारत मिशन से शौचालय मिला, मगर अब तक उसे इस्तेमाल लायक नहीं बनाया गया है। विवशता में उसे शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। उसके घर के तीन तरफ से छोटी चारदीवारी है। उसके पीछे खेत है। उसी रास्ते से आरोपित चारदीवारी के पास पहुंच कर छिपे हुए थे। जैसे ही महिला बाहर निकली घात लगाकर बैठे आरोपितों ने उसे दबोच लिया और वारदात को अंजाम दिया। वारदात के समय पड़ोस के लोग गहरी नींद में सोये हुए थे। पीड़िता वारदात के बाद बेहोश हो गई थी। जब होश हुआ तो चिल्लाने लगी। उसकी चीख के बाद पास-पड़ोस के लोग दौडे़ और वारदात की सूचना गांव के चौकीदार को दी। फिर थाने को इतिला दी गई और पीड़िता को अस्पताल पहुंचाया गया। पीड़िता के पड़ोसियों, खासकर महिलाओं का कहना था कि मानवता को शर्मसार करने वाले ऐसे हैवानों को सजा-ए- मौत मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई ऐसी वारदात को अंजाम देने के पहले सौ बार सोचे।
बेटियों का रो-रो कर बुरा हाल, कहा-किसी से नहीं था बिगाड़
मानवता को शर्मसार करने वाली वारदात की सूचना पाकर मायके पहुंची पीड़िता की तीनों बेटियों का रो-रो कर बुरा हाल है। उनमें दो अपनी मां के साथ देखरेख के लिए अस्पताल में हैं और एक अपनी दुधमुंही बच्ची के साथ घर में। उसका कहना है कि गांव के लोग ही उसके पिता और भाई की तरह हैं। उन्हीं के भरोसे विधवा मां अकेली घर में रहती थी। सबके साथ आत्मीय रिश्ता था। कोई बैर भाव नहीं। ऐसे में इस प्रकार के जघन्य कुकृत्य का भला कोई कैसे कल्पना कर सकता है। उनका कहना है कि मां के पास थोड़ी बहुत जमीन है। उस पर भी उनकी नजर होने का कोई औचित्य नहीं है। क्योंकि आरोपित न तो गोतिया हैं और न बिरादरी में। फिर हत्या का कोई अन्य कारण समझ में नहीं आता है। पुलिस को आरोपितों से सघन पूछताछ कर मामले का खुलासा करना चाहिए। सभी आरोपित गांव के दूसरे टोले के हैं। घटनास्थल से पांच सौ मीटर के दायरे में ही उनका घर है।