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महोत्सव से कला, संस्कृति व पर्यटन विकास को मिला बढ़ावा

व सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रम तक है सिमटा हुआ नहीं है। बल्कि महोत्सव के आयोजन से चतरा जिला में कला संस्कृति तथा पर्यटन विकास को भी बढ़ावा मिला है। अब जिले के पर्यटन स्थलों के विकास की योजनाएं बनने लगी है। इटखोरी महोत्सव का आयोजन होने से पहले जिले में कला संस्कृति की गतिविधि लगभग शून्य थी। पर्यटन स्थलों के विकास को लेकर भी लोग इतने जागरूक नहीं थे। इटखोरी के मां भद्रकाली मंदिर।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 06:44 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 06:44 PM (IST)
महोत्सव से कला, संस्कृति व पर्यटन विकास को मिला बढ़ावा
महोत्सव से कला, संस्कृति व पर्यटन विकास को मिला बढ़ावा

संजय शर्मा, इटखोरी : राजकीय इटखोरी महोत्सव सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रम तक है सिमटा हुआ नहीं है। बल्कि महोत्सव के आयोजन से चतरा जिला में कला संस्कृति तथा पर्यटन विकास को भी बढ़ावा मिला है। अब जिले के पर्यटन स्थलों के विकास की योजनाएं बनने लगी है। इटखोरी महोत्सव का आयोजन होने से पहले जिले में कला संस्कृति की गतिविधि लगभग शून्य थी। पर्यटन स्थलों के विकास को लेकर भी लोग इतने जागरूक नहीं थे। मां भद्रकाली मंदिर परिसर को छोड़कर जिले के तमाम प्राकृतिक व धार्मिक पर्यटन स्थल अपने विकास की बाट जोह रहे थे। लेकिन 2015 में जब इटखोरी महोत्सव का आयोजन शुरू हुआ इसके बाद जिले में पर्यटन विकास की संभावनाएं टटोली जाने लगी। मां भद्रकाली मंदिर परिसर में पर्यटन विकास के लिए 500 करोड़ रुपए का मास्टर प्लान बनाया गया। जबकि हंटरगंज के प्रसिद्ध मां कौलेश्वरी मंदिर परिसर के लिए रोप-वे के निर्माण की योजना को सरकार के द्वारा मंजूरी दी गई। इसी तरह तमासिन जलप्रपात के विकास के लिए पार्क निर्माण की योजना मंजूर हुई। हालांकि उपरोक्त योजनाएं जिले के पर्यटन स्थलों के विकास के लिए पूरी तरह पर्याप्त नहीं है। चतरा जिला में गिद्धौर प्रखंड का बलबल गर्म जल कुंड, पत्थलगड़ा प्रखंड में मां लेंबोइया मंदिर परिसर, लावालौंग प्रखंड में खैवा बनारू पर्यटन स्थल तथा सिमरिया प्रखंड में भवानी मठ धार्मिक पर्यटन स्थल में पर्यटन विकास की बहुत संभावनाएं हैं। इन स्थलों में भी पर्यटन विकास को लेकर काफी काम किए जा सकते हैं। महोत्सव ने पर्यटन विकास को बढ़ावा देने के साथ चतरा जिला में कला संस्कृति की गतिविधि को भी तेज किया है। महोत्सव के मंच पर अब स्थानीय कलाकार भी अपने कार्यक्रमों की धूम मचाने लगे हैं। इस बार नौ कलाकार या कला मंडली का चयन महोत्सव के मंच पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए किया गया है। कला संस्कृति तथा पर्यटन से जुड़े लोगों का कहना है कि महोत्सव में चतरा जिला में कला संस्कृति तथा पर्यटन विकास को बढ़ावा देने अहम भूमिका निभाई है। महोत्सव से जिले में पर्यटन विकास तथा कला संस्कृति को बढ़ावा देने का सकारात्मक माहौल तैयार हुआ है।

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