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सिमरिया में लंबे संघर्ष के बाद लाल झंडे ने लहराया था परचम

कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ दिए जाने के बाद पार्टी ने क्षेत्र के अनशनकारी नेता विनोद बिहारी पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया। लेकिन उस चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कुछ खास जलवा नहीं दिखा सकें। इस बार भी विनोद बिहारी पासवान ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी बनाए गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 08:07 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 06:15 AM (IST)
सिमरिया में लंबे संघर्ष के बाद लाल झंडे ने लहराया था परचम
सिमरिया में लंबे संघर्ष के बाद लाल झंडे ने लहराया था परचम

संजय शर्मा, इटखोरी: सिमरिया विधानसभा क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को भले ही सिर्फ एक बार जीत हासिल हुई है। लेकिन लाल झंडे वाली इस पार्टी ने दो दशक तक सिमरिया से जीतने वाले प्रत्याशी को हर चुनाव में कडा संघर्ष दिया है। अपने संघर्ष के बलबूते पर ही 2007 के उपचुनाव में लाल झंडे ने पहली बार सिमरिया में जीत का परचम लहराया था। 1977 में गठित सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का चुनावी संघर्ष 1985 से शुरू हुआ था। उस वक्त नौकरी से इस्तीफा देने के बाद रामचंद्र राम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बने थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति के लहर पर सवार उस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी ने सिमरिया की राजनीति को लाल झंडे का अहसास कराया था। पांच वर्ष के बाद 1990 में हुए विधानसभा के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी रामचंद्र राम मुख्य संघर्ष में शामिल होकर दूसरे स्थान पर रहे थे। 1995 के चुनाव में भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी रामचंद्र राम ने सिमरिया से जीत हासिल करने वाले भाजपा के उम्मीदवार उपेंद्र नाथ दास को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि उस चुनाव में भी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था। नक्सली बहिष्कार के बीच हुए 2000 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव में तीसरे स्थान पर खिसक गए थे। लेकिन 2005 के विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति को सुधारते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी ने पुन: दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया था। 2005 के चुनाव में हारने के बावजूद क्षेत्र में यह चर्चा होने लगी थी कि अगला चुनाव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के रामचंद्र राम ही जीतेंगे। क्षेत्र के लोगों के ऐसे अनुमान को 2007 के उपचुनाव में जीत हासिल कर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी रामचंद्र राम ने सही साबित कर दिया था। हालांकि चुनाव जीतने के डेढ़ वर्ष के बाद ही उनका आकस्मिक निधन हो गया था। पूर्व विधायक रामचंद्र राम के निधन के बाद से सिमरिया विधानसभा क्षेत्र में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के लाल झंडे का रंग धीरे धीरे फीका होता चला गया। पूर्व विधायक रामचंद्र राम के निधन के बाद 2009 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने दिवंगत विधायक के पुत्र मनोज चंद्रा को सिमरिया से अपना प्रत्याशी बनाया। लेकिन उस चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी को करारी हार झेलनी पड़ी। 2014 के विधानसभा चुनाव में मनोज चंद्रा के द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ दिए जाने के बाद पार्टी ने क्षेत्र के अनशनकारी नेता विनोद बिहारी पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया। लेकिन उस चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कुछ खास जलवा नहीं दिखा सकें। इस बार भी विनोद बिहारी पासवान ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी बनाए गए हैं।

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