मिटा आतंक तो छा गए मतदाता, दिखा उत्साह
को वोट का अधिकार है तो फिर गांव के लोग पीछे क्यों रहे। बहरहाल मतदाता खुलकर वोटिग किया है। जिसका प्रमाण वोट का प्रतिशत है। गत लोकसभा चुनाव में इस पूरे संसदीय क्षेत्र में 54.37 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं इस बार के चुनाव में मतदान का प्रतिशत साठ से अधिक पहुंच गया है।
जुलकर नैन, चतरा : चिलचिलाती धूप, भीषण गर्मी और झुलसा देने वाली तेज लू, फिर भी मतदाताओं में गजब का उत्साह। यह नजारा कभी नक्सली प्रभाव के लिए बदनाम रहे इलाकों का है। यहां कभी मतदान के दिन मरघटी सन्नाटा छाया रहता था। वोट देने पर जान जाने का खतरा होता था। अब नक्सली आतंक के बादल छंट गए हैं। वोट बहिष्कार के नारे विलुप्त हो चुके हैं। उसकी जगह विकास के अभियान ने ले रखी है। पगडंडियां पक्की चौड़ी सड़क में तब्दील हो चुकीं हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों से संवाद संपर्क बढ़ा। इस बदलाव की छवि मतदान के प्रति उत्साह में साफ झलक रही है। कुंदा, लावालौंग, राजपुर, टंडवा एवं हंटरगंज आदि कई इलाकों में कतार में खड़े मतदाताओं का कहना था कि वह विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और सरकार के स्थायित्व के मुद्दे पर वोट दे रहे हैं। उग्रवादियों का वोट बहिष्कार अब बीते दिनों की बात हो गई। लोग मतदान के लिए पहले से ही उत्सुक थे। सुबह के सात बजे से मतदान प्रारंभ होना था। लेकिन इन क्षेत्रों के मतदान केंद्रों पर एक घंटा पहले से ही मतदाता पंक्तिबद्ध होने लगे थे। महिला हो या पुरुष सबका कदम मतदान केंद्रों की ओर बढ़ रहा था। कुंदा निवासी धनेश्वर यादव कहते हैं कि चालीस वर्षों के बाद पहली बार आजादी के साथ वोट दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि उग्रवादियों के भय के कारण अधिकांश लोग वोट नहीं करते थे। 1984 से लेकर 2004 के पूर्व तक तो स्थिति इतनी खराब थी कि वोट देने वाले डर से गांव छोड़कर कुछ दिनों के बाहर चले जाते थे। 2004 के लोक सभा चुनाव में पूर्व नक्सली रामलाल उरांव निर्दलीय उम्मीदवार की हैसियत से चुनाव लड़ा था। उसके बाद स्थिति थोड़ी सामान्य हुई। लेकिन वोट बहिष्कार का नारा हावी रहा। माओवादी चुनाव से पूर्व या चुनाव के बाद बड़ी घटना को अंजाम देते थे। जिसके कारण भय बना रहता था। कुंदा थाना क्षेत्र के ही कुटील गांव निवासी ब्रह्मदेव कुमार कहते हैं कि वोट बहिष्कार के नारे विलुप्त हो गए। अब न तो उग्रवादियों का जनाधार है और नहीं वोट बहिष्कार का नारा। लोकतांत्रिक में सबों को वोट का अधिकार है, तो फिर गांव के लोग पीछे क्यों रहे। बहरहाल मतदाता खुलकर वोटिग किया है। जिसका प्रमाण वोट का प्रतिशत है। गत लोकसभा चुनाव में इस पूरे संसदीय क्षेत्र में 54.37 प्रतिशत मतदान हुआ था। वहीं इस बार के चुनाव में मतदान का प्रतिशत साठ से अधिक पहुंच गया है।